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जुलाई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर, क्या होगा इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर

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-निधि जैन भारतीय रुपये की हालत कई दिनों से बेहद खराब हो गई है. बता दें कि रूपया, डॉलर के मुकाबले 80.05 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि रूपये गिरने से हम पर यानी आम जनता पर इसका क्या असर होगा.? अमेरिका के मुकाबले 7 पैसे गिरा रूपया अमेरिकी डॉलर, इस वर्ष अब तक भारतीय रुपये के मुकाबले 7.5% ऊपर है यानी भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 7 पैसे गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 80.05 पर आ गया है. डॉलर इंडेक्स, सोमवार को एक सप्ताह के निचले स्तर पर फिसलकर 107.338 पर पहुंच गया. हालांकि पिछले हफ्ते डॉलर इंडेक्स बढ़कर 109.2 हो गया था, जो कि सितंबर 2022 के बाद सबसे अधिक है. रुपया गिरने का क्या है मतलब विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिका मुद्रा (डॉलर) के मुकाबले रुपये में गिरावट का मतलब है, कि ‘भारतीय करंसी कमजोर हो रही है’. जिस वजह से अब हमें अमेरिका से या फिर किसी भी देश से आयात में चुकाने वाली राशि अधिक देनी होगी, क्योंकि विदेशों में भुगतान रुपये में नहीं, बल्कि डॉलर में किया जाता है. जिस कारण अब हमें अधिक पैसे खर्च करने होंगे. विदेशी निवेशक क्...

ऑटोरिक्शा चलाने वाले व्यक्ति ने मचाया महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल

रातोंरात शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे, 35 विधायकों को लेकर गुजरात के शहर सूरत पहुंच गए, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया है और अब तो इसमें बगावती नेताओं की संख्या भी बढ़ती जा रहीं है। एकनाथ शिंदे ठाणे की कोपरी-पचपाखड़ी सीट से विधायक के साथ-साथ कई दशकों तक पार्टी के अहम नेता भी रहे हैं तो वहीं उनके बेटे श्रीकांत शिंदे कल्याण लोकसभा क्षेत्र से दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। एकनाथ शिंदे कई सालों से शिवसेना के सदस्य रहे हैं व ठाणे नगर निगम में विपक्ष के नेता के रूप में काम करने के बाद वर्ष 2004 में वह, पहली बार विधायक बने थे। हालांकि उनके करियर की शुरुआत एक ऑटोरिक्शा चालक के रूप में हुई थी एवं उन्होंने 18 साल की उम्र में शिवसेना से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। पार्टी में क़रीब डेढ़ दशक तक काम करने के बाद 1997 में आनंद दिघे ने शिंदे को, ठाणे नगर निगम के चुनाव में पार्षद का टिकट दिया, पहली ही कोशिश में शिंदे ने न केवल नगर निगम का चुनाव जीता, बल्कि वे ठाणे नगर निगम के हाउस लीडर भी बन गए। उसके बाद उन्होंने साल 2004 में ठाणे विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और यहां...

अग्निपथ योजना युवाओं के हित में है या नहीं

भारतीय सेना में नौसिखिए जवानों की संख्या से वृद्धि हो जाएगी, सशस्त्र बलों की सदियों पुरानी रेजिमेंटल संरचना बाधित हो सकती है, हर वर्ष लगभग 40 हजार युवा बेरोज़गार होंगे व योजना में भर्ती होने वाले लोगों का भविष्य क्या होगा आदि-आदि ऐसे कई ओर सवाल देश की आने वाली पीढ़ी के अंदर चल रहें है। जिसके कारण वह देश के अलग-अलग राज्यों में पथराव, रेल में आग लगाकर, सड़को पर रैली व आगजनी करके इस नई योजना का विरोध कर रहें है। पिछले कुछ सालों से, सेना में भर्तियां रुकी हुई थीं जिसे लेकर देश के युवा, जिनके लिए सेना में भर्ती, जीवन का सबसे बड़ा सपना व नौकरी का महत्वपूर्ण ज़रिया होता है, वह सरकार से कई बार सवाल पूछ रहे थे कि जब भारतीय सेना में 97,000 पद खाली है तो, फिर भी क्यों सेना में भर्ती नहीं निकल रहीं है? जिसके बाद, बीते दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने, घोषणा की थी कि, 'अग्निपथ' नामक योजना के तहत कम समय के लिए भारतीय सेना में युवाओं की नियुक्ति होगी। योजना के मुताबिक़, भारतीय सेना में चार सालों के लिए युवाओं की भर्तियां होंगी व नौकरी के बाद उन्हें सेवा निधि पैकेज दिया जाएगा एवं उनका नाम ह...

धर्मनिरपेक्ष देश भारत क्यों?

बचपन में दी गई शिक्षा, संस्कार, सीख अवश्य ही इस गुम नाम दुनिया में आगे चलकर बच्चों के व्यक्तित्व को आकार देकर उनके भविष्य की बुनियाद बनती हैं। एकमात्र अच्छी शिक्षा ही बच्चे का भविष्य उज्जवल बनाने में कारगर साबित होती है परन्तु प्रशन यह उठता है कि इस विश्व में कितने मां-बाप ऐसे हैं जो अपने बच्चों को उनके खुशहाल बचपन से अलग करके उन्हें पुजारी, पादरी, मौलवी बनाना चाहते हैं? गौरतलब है कि अगर भारत में सभी को अपना धर्म और पूजा पद्धति चुनने की आजादी है तो फिर भी भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश क्यों कहां जाता हैं? सरकार के खर्चे पर बच्चों को धार्मिक शिक्षा क्यों दी चाहती हैं? हालही में असम सरकार के शिक्षा मंत्री हेमन्ता बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि अब उनके राज्य में चल रहे सभी मदरसों को और संस्कृत स्कूलों को सामान्य स्कूलों में बदल दिया जाएगा व इसके अलावा मदरसों पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी नए स्कूलों में ट्रांसफर किया जाएगा। असम सरकार ने यह साफ कर दिया है कि सरकार के पैसों से बच्चों को कुरान नहीं पढ़ाई जा सकती और अगर सरकारी खर्चे पर कुरान को पढ़ाया जा सकता है तो फिर गीता या बाइबल क्यों नहीं पढ़ा...

निरंतर वृद्धि हो रहीं कृषि उत्पादों की मांग में

जिन भारतीय चीजों का, घर के नुस्खे का विदेशों में मजाक उड़ाया जाता था आज उसका ही समूचे विश्व में बड़े चाव से सेवन किया जा रहा हैं। वैश्विक महामारी कोविड़-19 के प्रकोप से लोग बचने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद भी यह जानलेवा बीमारी अपना विकराल रूप धारण करने में जरा सी भी कमी नहीं बरतरी हैं। शोधकर्ताओं तो हर संभव प्रयास कर ही रहे है वैक्सीन की काट खोजने में, परन्तु इसके साथ साथ सम्पूर्ण आबादी भी अपनी तरफ से तमाम उपाय अपना ही रही है अपनी जान बचाने में और इस तमाम कोशिशों में जो सबसे ज्यादा कारगर रहें वो है घरेलू नुस्खे व विदेश में भी लोग भारत के परंपरागत काढ़े को पी रहे है। जो बेशक़ गौरवान्वित बात हैं। और इसी कारण भारतीय वस्तुओं के कुल निर्यात में गिरावट के बावजूद मसाले के निर्यात में बढ़ोतरी हो रही है। स्पाइस बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि, इस साल अप्रैल-जुलाई के दौरान मसाले के कुल निर्यात में दस फीसद की बढ़ोतरी हुई है। जबकि इस साल अप्रैल-जुलाई के बीच वस्तुओं के कुल निर्यात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले तीस फीसद की गिरावट रही थी। इस वर्ष ...

भेदभाव का सबसे बड़ा केंद्र कहां तक फैलेगा

रेप का सिलसिला आखिर कहाँ जाकर थमेगा इस खुदगर्ज दुनिया में। बेटी किसी की भी हो, वह बेटी तो भारत माता की है ही ना तो इस पर राजनीतिक क्यों की जाती हैं। हमें अवश्य ही इन मामलों में मिलकर आवाज उठानी चाहिए ताकि यह आग कल हमारे घर तक ना पहुंचे। बहरहाल संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि पूरे विश्व में करीब 35 प्रतिशत महिलाएं किसी ना किसी प्रकार की हिंसा का शिकार होती हैं। हैरानी की बात यह है कि जिस सोशल मीडिया को अधिकतम दुनिया उपयोग करती हैं। उसी सोशल मीडिया पर दुनिया की करीब 60 प्रतिशत महिलाओं के साथ विभिन्न प्रकार की हिंसा होती है। जिस आंकड़े को देखकर यह तो स्पष्ट हो गया है कि असल जिंदगी में कानून के डर की वजह से महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने वाले पुरुषों की संख्या भले ही कम हो लेकिन जैसे ही यह पुरुष सोशल मीडिया पर आते हैं, तो पूरी तरह से स्वछंद हो जाते हैं और खुलेआम महिलाओं के साथ हिंसा करने लगते हैं। भले ही यह हिंसा शारीरिक ना हो परन्तु इस ऑनलाइन हिंसा का शिकार हुई महिलाओं की मानसिक स्थिति भी शारिरिक हिंसा का शिकार होने वाली महिलाओं जैसी ही हो जाती ...

यह भी परेशानी हैं

हमारे देश में अभी भी कई ऐसे लोग है जो अभी भी यानी इक्कीसवीं शताब्दी में भी गाड़ी, मेट्रो में सफर करने का खर्च नहीं उठा सकतें। कई ऐसे लोग है जिन्होंने अभी तक गाड़ी में सफर करने का लुफ्त नहीं उठाया है वह अपना पूरा जीवन बस, लोकल ट्रेन में ही धक्के काटकर गुजार देते हैं तो एसे में उन लोगों को अब कई वर्षों से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि दिल्ली में छह साल से दिल्ली परिवहन निगम यानी डीटीसी के बेड़े में एक भी नई बस शामिल नहीं हुई है व कम होती बसों की संख्या ने सुबह व शाम के व्यस्त समय में यात्रियों की परेशानियां बहुत बढ़ा दी है और अभी मौजूदा समय में तो यात्रियों को तो ओर ही परेशानी हो रहीं है क्योंकि कोविड़-19 के प्रकोप के कारण बस चालक अब बीस ही यात्रियों को बस में बैठने देते है एंव अधिकांश बसे तो बस डीपो पर ही भर जाती हैं जिससे आगे वाले स्टैंड में यात्रियों को घंटो घंटो तक बसों के लिए वेट करना पड़ता है और कई बार तो घंटों इंतजार करने के बाद भी बस नहीं मिलती हैं। हालत तो अब यह है कि पुरानी बसें अपनी तय किलोमीटर पूर्ण कर मार्गों से हटती जा रही हैं, डीटीसी के बेड़े में बसों की संख्...

क्या किसान ही हैं जिम्मेदार

किसानों ने पराली क्या जलाई इस पर तो बवाल मच गया, राजनीति आरम्भ हो गई लेकिन हाथरस में जब पुलिस वालों ने हिन्दुस्तान की बेटी को आधी रात में जला दिया तो उसे कानून का नाम दे दिया। बहरहाल वायु की बदलती दिशा पंजाब, हरियाणा और पड़ोसी राज्य में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हो रहीं है। वायु की दिशा पराली जलाने वाले मैदानों से प्रदूषण फैलाने वाले कणों को राष्ट्रीय राजधानी ला पाने में सक्षम नहीं थी। इसलिए पराली जलाने से वायु प्रदूषण में होने वाले योगदान में अंतर पाया गया हैं। वायु में पराली जलाने से प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा हैं। तथा केंद्र सरकार की एजेंसी सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बीते दिन 583 क्राप फायर्स रिकॉर्ड किया गया। जो भयावह हैं। और शोध में यह पता चला है कि वायु प्रदूषण फैलाने वाली हवा की दिशा दिल्ली की तरफ ही है और अब हवा में मौजूदा पीएम 2.5 में पराली का योगदान 26 प्रतिशत है। वहीं अच्छी खबर यह भी है कि राष्ट्रीय राजधानी में सतही हवा की गति में थोड़ा सा सुधार भी महसूस किया गया है, जिससे व...

अभिशाप का अंत सिर्फ साढ़े चार महीने में

कोविड़-19 महामारी से लोग त्रस्त हो चुके हैं लेकिन कोरोना को लेकर अब एक खुशखबरी सामने आई है कि भारत में अगले वर्ष फरवरी तक कोरोना काबू में आ सकता है क्योंकि पिछले महीने 17 तारीख से देश में कोविड-19 संक्रमण के नए मामलों में लगातार कमी आ रही है। वैसे अभी तक लगभग 75 लाख भारतीय इस महामारी से संक्रमित हो चुके हैं व आईआईटी हैदराबाद के एक एक्सपर्ट पैनल के अनुसार, फरवरी में वायरस पर पूरी तरह से काबू पाया जा सकता है एंव संक्रमितों की संख्या भी 1.06 करोड़ तक पहुंच सकती है। हालांकि, पैनल ने यह साफ भी कह दिया है कि अगर लोगों ने लापरवाही बरती और एहतियातन कदमों पर ध्यान नहीं दिया तो यह अनुमान गलत भी साबित हो सकता हैं। बहरहाल एक राहत भरी खबर यह भी है कि यूरोप के बेल्जियम में कोरोना वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू हो गया है। जिससे कयास है कि कोरोना की काट जल्द उत्पन्न हो जाएगी। दवा बनाने वाली अमेरिकी कंपनी फाइजर ने कोरोना वैक्सीन के लाखों डोज का उत्पादन अपने बेल्जियम प्लांट में शुरू कर दिया है व फाइजर का दावा है कि इस साल के अंत तक कंपनी दस करोड़ डोज तैयार भी कर लेगी एंव हर मरीज को वैक्सीन के दो डोज दिए जा...

यह भी परेशानी हैं

हमारे देश में अभी भी कई ऐसे लोग है जो अभी भी यानी इक्कीसवीं शताब्दी में भी गाड़ी, मेट्रो में सफर करने का खर्च नहीं उठा सकतें। कई ऐसे लोग है जिन्होंने अभी तक गाड़ी में सफर करने का लुफ्त नहीं उठाया है वह अपना पूरा जीवन बस, लोकल ट्रेन में ही धक्के काटकर गुजार देते हैं तो एसे में उन लोगों को अब कई वर्षों से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि दिल्ली में छह साल से दिल्ली परिवहन निगम यानी डीटीसी के बेड़े में एक भी नई बस शामिल नहीं हुई है व कम होती बसों की संख्या ने सुबह व शाम के व्यस्त समय में यात्रियों की परेशानियां बहुत बढ़ा दी है और अभी मौजूदा समय में तो यात्रियों को तो ओर ही परेशानी हो रहीं है क्योंकि कोविड़-19 के प्रकोप के कारण बस चालक अब बीस ही यात्रियों को बस में बैठने देते है एंव अधिकांश बसे तो बस डीपो पर ही भर जाती हैं जिससे आगे वाले स्टैंड में यात्रियों को घंटो घंटो तक बसों के लिए वेट करना पड़ता है और कई बार तो घंटों इंतजार करने के बाद भी बस नहीं मिलती हैं। हालत तो अब यह है कि पुरानी बसें अपनी तय किलोमीटर पूर्ण कर मार्गों से हटती जा रही हैं, डीटीसी के बेड़े में बसों की संख्य...

क्या किसान ही हैं जिम्मेदार

किसानों ने पराली क्या जलाई इस पर तो बवाल मच गया, राजनीति आरम्भ हो गई लेकिन हाथरस में जब पुलिस वालों ने हिन्दुस्तान की बेटी को आधी रात में जला दिया तो उसे कानून का नाम दे दिया। बहरहाल वायु की बदलती दिशा पंजाब, हरियाणा और पड़ोसी राज्य में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हो रहीं है। वायु की दिशा पराली जलाने वाले मैदानों से प्रदूषण फैलाने वाले कणों को राष्ट्रीय राजधानी ला पाने में सक्षम नहीं थी। इसलिए पराली जलाने से वायु प्रदूषण में होने वाले योगदान में अंतर पाया गया हैं। वायु में पराली जलाने से प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा हैं। तथा केंद्र सरकार की एजेंसी सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बीते दिन 583 क्राप फायर्स रिकॉर्ड किया गया। जो भयावह हैं। और शोध में यह पता चला है कि वायु प्रदूषण फैलाने वाली हवा की दिशा दिल्ली की तरफ ही है और अब हवा में मौजूदा पीएम 2.5 में पराली का योगदान 26 प्रतिशत है। वहीं अच्छी खबर यह भी है कि राष्ट्रीय राजधानी में सतही हवा की गति में थोड़ा सा सुधार भी महसूस किया गया है, जिससे व...

अभिशाप का अंत सिर्फ साढ़े चार महीने में

कोविड़-19 महामारी से लोग त्रस्त हो चुके हैं लेकिन कोरोना को लेकर अब एक खुशखबरी सामने आई है कि भारत में अगले वर्ष फरवरी तक कोरोना काबू में आ सकता है क्योंकि पिछले महीने 17 तारीख से देश में कोविड-19 संक्रमण के नए मामलों में लगातार कमी आ रही है। वैसे अभी तक लगभग 75 लाख भारतीय इस महामारी से संक्रमित हो चुके हैं व आईआईटी हैदराबाद के एक एक्सपर्ट पैनल के अनुसार, फरवरी में वायरस पर पूरी तरह से काबू पाया जा सकता है एंव संक्रमितों की संख्या भी 1.06 करोड़ तक पहुंच सकती है। हालांकि, पैनल ने यह साफ भी कह दिया है कि अगर लोगों ने लापरवाही बरती और एहतियातन कदमों पर ध्यान नहीं दिया तो यह अनुमान गलत भी साबित हो सकता हैं। बहरहाल एक राहत भरी खबर यह भी है कि यूरोप के बेल्जियम में कोरोना वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू हो गया है। जिससे कयास है कि कोरोना की काट जल्द उत्पन्न हो जाएगी। दवा बनाने वाली अमेरिकी कंपनी फाइजर ने कोरोना वैक्सीन के लाखों डोज का उत्पादन अपने बेल्जियम प्लांट में शुरू कर दिया है व फाइजर का दावा है कि इस साल के अंत तक कंपनी दस करोड़ डोज तैयार भी कर लेगी एंव हर मरीज को वैक्सीन के दो डोज दिए जा...

आखिर कब इंसाफ?

किसी दूसरे इन्सान के धर्म को कम करके कतई नहीं आंकना चाहिए व किसी का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश करना तो अवश्य ही एक बीमार मानसिकता की पहचान है लेकिन चिंता पूर्ण विषय तो यह हैं कि अब यह बीमार मानसिकता धीरे-धीरे करके भारत देश की राजधानी दिल्ली के पास हरियाणा के फरीदाबाद जिले तक पहुंच गई है। जहां इस बीमारी के कारण एक बीस वर्षीय लड़की की जान भी चली गई हैं। जान गवाने वाली लड़की निकिता तोमर की बस इतनी गलती थी कि उसने तौसीफ नाम के एक लड़के से शादी करने से इनकार कर दिया था। 21 वर्षीय तौसीफ पिछले कई वर्षों से निकिता से एकतरफा प्यार करता था एंव वह लड़की के साथ कई बार जबरदस्ती करने की कोशिश भी कर चुका था परन्तु 26 अक्टूबर को उस मनहूस दिन यह एकतरफा मोहब्बत मर्डर में तबदील हो गई जब तौसीफ और उसके दोस्त रेहान ने कॉलेज में परीक्षा देकर घर लौट रही निकिता को सरेआम गोली मार दी। गौरतलब है कि यह वारदात देश की संसद से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर पर ही हुई थी जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि इस देश की संसद में बनने वाले तमाम कानून भी देश की एक बेटी को बचाने के लिए काफी बिल्कुल भी नहीं हैं। निकिता की मौत के बाद निकित...

भूख से जंग जारी!

वर्ष 2020 में आम जनता के साथ-साथ बड़े से बड़े राजनेता, बॉलीवुड स्टार व हर एक वो हस्ती जो अपने आप को सबसे उच्च मानती थी वह तक त्रस्त हुई हैं। चीन से उप्जे कोरोना वायरस ने समूचे विश्व के लोगों को अपनी औकात दिखा दी कि वायरस के प्रकोप के सामने हर कोई बराबर हैं। चिंता पूर्ण विषय तो यह है कि कोरोना वायरस एक खतरनाक वैश्विक महामारी जरूर है लेकिन वास्तविकता में इसकी मारक क्षमता एक महामारी से बहुत कम है, जिस महामारी का नाम है भूख। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार इस बात का खुलासा हुआ है कि पूरे विश्व में हर वर्ष जितने लोगों की मृत्यु ऐड़स, टीबी और मलेरिया से नहीं होती उससे अधिक लोग भूख की वजह से ना चाहते हुए भी अपनी जान लाचारी में गवा देते हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक पूरे संसार में हर साल भूख की वजह से 90 लाख लोगों की मौत हो जाती है। हालही में बीते वर्ल्ड फूड डे के मौके पर ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने भी भारत के आंकड़े जारी किए गए हैं। जिस इंडेक्स में साफ-साफ भारत की स्थिति को देखकर उन लोगों को शर्म और पीड़ा होनी चाहिए जो भोजन की बर्बादी करते हैं। 2020 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में कुल 107 देशों ...

मौतों की हकीकत क्या हैं?

बेशक़ इसमें कोई शक नहीं है कि जबसे कोविड़-19 ने हमारे देश में दस्तक दी है तब से भारत में मृत्यु दर में यकीनन काफी इजाफा हुआ हैं लेकिन अब एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि समूचे भारतवर्ष में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण से कई अधिक मौतें वायु प्रदूषण की वजह से हो रही हैं। उस समय जब पीक पर वायरस का प्रकोप था जब देश लॉकड़ाउन की स्थिति में था तो जब यकीनन ही कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें हार्ट अटैक, डायबिटीज, लंग कैंसर या फेफड़ों की कई गंभीर बीमारी हुई होगी जिनका डॉक्टरों ने उन बीमारियों का इलाज भी किया होगा लेकिन शायद ही किसी डॉक्टर ने मरीज से यह कहा होगा कि आपको एयर पॉल्यूशन नाम की बीमारी हुई है। अगर कोई रोगी हार्ट पेशेंट का हैं तो उसे कहा होगा कि उसे दिल की परेशानी हैं या उसे अस्थमा हो गया है लेकिन यह कोई नहीं बताता कि उसे यह इसलिए हुआ है क्योंकि दिल्ली या ऐसे ही किसी और शहर में जहां वह रहता है वहां एयर पॉल्यूशन बहुत ज्यादा है। जिससे वह पीड़ित हुए हैं। बहरहाल अमेरिका के हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट की ग्लोबल एयर 2020 रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में वायु प्रदूषण के कारण दुनिया के 67 ल...

सोशल मीडिया पर रहें सतर्क

टेक्नोलॉजी इक्कीस वी सदी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं लेकिन कहते है ना हर चीज के अच्छे और बुरे दोनों ही नतीजे होते है तो इसी तरह इंटरनेट के उपयोग करने के भी अपने ही फायदे और नुकसान है क्योंकि शायद ही कोई जानता होगा कि अगर किसी की कोई आपत्तिजनक तस्वीर एक बार इंटरनेट पर आ गई तो फिर उसे भगवान भी वहां से नहीं हटा सकते। इंटरनेट से इस एक तस्वीर को हटवाने में लोगों का पूरा जीवन निकल जाएगा लेकिन फिर भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह सच में हट गई है या नहीं क्योंकि ऐसा ही कुछ, दुनिया भर की एक लाख महिलाओं के साथ हुआ है व इन महिलाओं की तस्वीरों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी ऐआई की सहायता से  अश्लील तस्वीरों में बदल दिया गया एंव इसे टेलीग्राम नाम के एक ऐप्प पर शेयर किया जाने लगा है। ऐआई की मदद से बनाए गए ऐसे वीड़ियों को ड़ीप फेक कहा जाता है एंव इन महिलाओं की यह तस्वीरें कैसे हटेंगी यह किसी को नहीं पता इसलिए आज दुनिया भर की सरकारों और बड़ी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों को यह समझना चाहिए कि उन्होंने डीप फेक बनाने वाली टेक्नोलॉजी तो बना ली है लेकिन इसे रोकने का उपाय आखिर...

खाकी वालों की कदर कब

खाकी के सपूत बिन सोचे अपने बारे में दूसरों के लिए जीवन अपना कुर्बान कर देते हैं, यकीनन नहीं मिलता वह गौरव पुलिस को फिर भी वह सर्वोच्च बलिदान देते हैं। सुबह हो या शाम ड्यूटी पर तैनात रहते हैं, आंदोलन, धरना, प्रदर्शन को संभालते हैं बेशक़ लोगों की जिंदगी में फरिश्तों से कम नहीं होते खाकी रंग के फ़रिश्ते वाले वह शख्स। पुलिस एक आम आदमी को सुरक्षा का भरोसा देती है जिससे अपराधियों के मन में खौफ पैदा होता है, लेकिन फिर भी हमारे देश में कानून की रक्षा करने वाले इन पुलिसकर्मियों को उनके हिस्से का आदर नहीं मिल पाता है। पूरे देश में हालही में पुलिस स्मृति दिवस मनाया गया था, व यह दिन वर्ष 1959 में चीनी सैनिकों के हमले में शहीद हुए भारतीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की याद में मनाया जाता है। 21 अक्टूबर से भारत और चीन के बीच वर्ष 1962 में युद्ध शुरू हुआ था लेकिन एलऐसी पर चीन की तरफ से हमले की शुरुआत उससे पहले ही हो गई थी। 15 अगस्त 1947 से लेकर अब तक 35 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों ने अपना बलिदान दिया है। देशभर के पुलिस के जवानों ने कोविड़-19 के इस संकटकाल में लोगों की रक्षा...

गुस्ताखी चीन की, सज़ा पूरी दुनिया भर रही

चीन से जन्मा कोरोना वायरस समूचे विश्व के लिए अभिशाप बनकर आया है इस पर तो कोई शंका नहीं हैं, लेकिन सवाल तो यह है कि क्या इस वायरस से ठीक हो चुके मरीज पहले की ही तरह यानी कोविड़-19 काल से पहले की तरह अपनी जिंदगी जी पाएगें, क्या वायरस संक्रमित मरीज पहले की तरह ही स्वस्थ हो पाएंगे? क्योंकि एक रिसर्च के मुताबिक यह पता चला है कि कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को अब सांस लेने में तकलीफ, थकान, चिंता और डिप्रेशन जैसे लक्षण परेशान कर रहे हैं जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि स्वस्थ होने के बाद भी इन मरीजों का जीवन दोबारा कभी सामान्य नहीं हो पाएगा। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार कोविड-19 के संक्रमण से ठीक होने के बाद भी हर दस में से छह मरीजों को सांस लेने में तकलीफ की दिक्कत हो ही रही हैं। जांच में पता चला कि वायरस से पीड़ित लोगों को ठीक होने के बाद 60 प्रतिशत मरीजों के फेफड़े, 29 प्रतिशत मरीजों की किडनी, 26 प्रतिशत के हार्ट और दस प्रतिशत मरीजों के लिवर ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। जो अवश्य ही भयावह है। कुछ मरीजों के तो एक से अधिक ऑर्गन्स में परेशानी हुईं व स्वस्थ ह...

प्रकृति के आगे सब बेबस

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अगले वर्ष जनवरी में अपना पद छोड़ सकते हैं। वैसे पुतिन का अचानक राजनीति से मोह भंग नहीं हुआ है बल्कि उनके इस कथित फैसले के पीछे एक गंभीर बीमारी है। दावा किया जा रहा है कि 68 वर्ष के व्लादिमिर पुतिन को पार्किंसन नाम की एक बीमारी हो गई है, और इसी बीमारी की वजह से शरीर धीरे-धीरे काम करने की क्षमता खोने लगता है व आगे चलकर मरीज की सोचने समझने की क्षमता भी बाधित हो जाती है। हालांकि रूस सरकार ने इस खबर का पूरी तरह से खंडन किया है और उनका कहना है कि पुतिन का स्वास्थ्य एकदम ठीक है और वह अपना पद नहीं छोड़ने वाले हैं लेकिन इस खबर ने तब और जोर पकड़ लिया जब रूस की संसद में व्लादिमिर पुतिन को आजीवन राजनैतिक इम्युनिटी देने वाला एक प्रस्ताव लाया गया,जो पुतिन के लिए एक तरह का अभयदान है। इस प्रस्ताव के पास होने पर पुतिन जीवन भर सांसद के पद पर रह पाएंगे और राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद भी उन पर किसी भी तरह का मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा एंव इसी वर्ष जुलाई में रूस में एक जनमत संग्रह हुआ था जिसके बाद पुतिन का वर्ष 2036 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहने का रास्ता साफ हो गया था परन...

क्यूं न इस दिवाली

क्यूं न इस दिवाली कुछ नया किया जाए, क्यूं न शहीदों को नमन करके अंखड़ दिया जलाया जाए, क्यूं न इस दिवाली कुछ गरीबों को खुश किया जाए, हर जगह खुशियां बाटी जाए, बेशक़ लकीरे खीच दी है चंद मतलबी लोगों ने भावनाओं में वरना क्या फर्क है उनकी ईद और हमारी दिवाली में। दिवाली के इस विशेष त्योहार के लिए हिंदू धर्म के लोग बहुत उत्सुकता से इस दिन का इंतजार करते हैं। यह बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए हर किसी का सबसे महत्वपूर्ण और पसंदीदा त्यौहार में से एक है। दीवाली भारत का सबसे महत्वपूर्ण और मशहूर त्यौहार है। जो पूरे देश में साथ-साथ हर साल मनाया जाता है। बहरहाल रावण को पराजित करने के बाद, 14 साल के निर्वासन के लंबे समय के बाद जब भगवान राम अपने राज्य अयोध्या में लौटे थेजिस दिन का लोग आज भी बहुत उत्साहजनक तरीके से मनाते हैं। भगवान राम के लौटने वाले दिन, अयोध्या के लोगों ने अपने घरों और मार्गों को बड़े उत्साह के साथ अपने भगवान का स्वागत करने के लिए प्रकाशित किया था। यह एक पवित्र हिंदू त्यौहार है जो कि बुरेपन पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह सिखों द्वारा भी मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा ग्वालियर जेल से अपने...

एहतियातन के साथ मनाए त्यौहार

डूब रहा था बृज जब तो उठाया था गोवर्धन उनहोंने तो आज फिर से लोग बुला रहे हैं कृष्ण को इस युग में, भक्तों की यहीं पुकार कि एक बार फिर से उठालो पीर का पर्वत आप। दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर उत्तर भारत में मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा भारत में बढ़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जिसमें हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की अल्पना बनाकर उनका पूजन करते है। तत्पश्चात ब्रज के साक्षात देवता माने जाने वाले गिरिराज भगवान यानी पर्वत को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। बहरहाल यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है व उससे पूर्व ब्रज में भी इंद्र की पूजा की जाती थी लेकिन जब भगवान कृष्ण को यह तर्क देते हुए इंद्र से कोई लाभ नहीं प्राप्त होता जबकि गोवर्धन पर्वत गौधन का संवर्धन एवं संरक्षण करता है, जिससे पर्यावरण भी शुद्ध होता है तो इसलिए इंद्र की नहीं गोवर्धन की पूजा की जानी चाहिए।हालांकि, इसके बाद इंद्र ने ब्रजवासियों को भारी वर्षा के द्वारा डराने का प्रयास किया, परन्तु ब्रजवासी भगवान कृष्ण का आसरा पाकर अपने निर्णय पर अडिग रहे। उन्होंने अपना विचार...