आखिर कब इंसाफ?
किसी दूसरे इन्सान के धर्म को कम करके कतई नहीं आंकना चाहिए व किसी का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश करना तो अवश्य ही एक बीमार मानसिकता की पहचान है लेकिन चिंता पूर्ण विषय तो यह हैं कि अब यह बीमार मानसिकता धीरे-धीरे करके भारत देश की राजधानी दिल्ली के पास हरियाणा के फरीदाबाद जिले तक पहुंच गई है।
जहां इस बीमारी के कारण एक बीस वर्षीय लड़की की जान भी चली गई हैं। जान गवाने वाली लड़की निकिता तोमर की बस इतनी गलती थी कि उसने तौसीफ नाम के एक लड़के से शादी करने से इनकार कर दिया था। 21 वर्षीय तौसीफ पिछले कई वर्षों से निकिता से एकतरफा प्यार करता था एंव वह लड़की के साथ कई बार जबरदस्ती करने की कोशिश भी कर चुका था परन्तु 26 अक्टूबर को उस मनहूस दिन यह एकतरफा मोहब्बत मर्डर में तबदील हो गई जब तौसीफ और उसके दोस्त रेहान ने कॉलेज में परीक्षा देकर घर लौट रही निकिता को सरेआम गोली मार दी। गौरतलब है कि यह वारदात देश की संसद से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर पर ही हुई थी जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि इस देश की संसद में बनने वाले तमाम कानून भी देश की एक बेटी को बचाने के लिए काफी बिल्कुल भी नहीं हैं।
निकिता की मौत के बाद निकिता के परिवार और रिश्तेदारों ने उसके घर के पास ही सड़क जाम कर दिया था और प्रशासन से न्याय दिलाने की मांग की परन्तु जब यह सब हो रहा था तो इसी बीच तौसीफ और उसके दोस्त रेहान ने हरियाणा के मेवात के एक गांव में जाकर छिप गये लेकिन पुलिस ने इन दोनों की पहचान कर इन्हें गिरफ्तार कर लिया हैं। वैसे भी हरियाणा का मेवात इलाका इस पूरी कहानी के केंद्र में ही आता है।
बहरहाल इस हत्याकांड को लेकर दायर की गई एफआईआर की एक कॉपी में साफ साफ लिखा हुआ है कि तौसीफ पहले भी निकिता को परेशान किया करता था लेकिन यह इस मामले की पहली एफआईआर है ही नहीं क्योंकि वर्ष 2018 में निकिता के परिवार ने तौसीफ के खिलाफ एकएफआईआर ओर दर्ज कराई थी। 2 अगस्त 2018 को दर्ज की गई उस एफआईआर में निकिता के परिवार ने तौसीफ पर निकिता के अपहरण का आरोप लगाया था परन्तु उसके बाद एक स्थानीय पंचायत में तौसीफ और निकिता के परिवार के बीच समझौता हो गया था और यह शिकायत वापस ले ली गई थी लेकिन इसके बाद भी तौसीफ ने निकिता को परेशान करना नहीं छोड़ा और आखिरी में यह पूरा मामला निकिता की हत्या तक पहुंच गया।
एकतरफ़ा लव के कारण उस लड़की और उसके परिवार के सारे सपनें टूट गयें। फिलहाल हरियाणा पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का गठन भी कर दिया है जो इस हत्याकांड के पीछे की असली वजह पता लगाने की कोशिश कर रही है ताकि निकिता को इन्साफ मिल सकें। हालांकि निकिता का अंतिम संस्कार तो हो गया है लेकिन इस मामले ने एक बार फिर एकतरफा एजेंडे की पोल खोल दी है क्योंकि अभी हालही में कुछ दिन पूर्व ही उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक बीस साल की लड़की के साथ गैंगरेप हुआ था, जिसके कुछ दिनों बाद लड़की की मौत भी हो गई थी व जिस मामले में नेताओं ने पीड़ित और आरोपियों की जाति ढूंढ ली थी और क्योंकि पीड़िता दलित थी और आरोपी ऊंची जाति के थे।
इसलिए तमाम नेताओं ने हाथरस में अपनी राजनीति की दुकाने सजानी आरम्भ भी कर दी थीं व कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा तो राजनैतिक पर्यटन करने के लिए हाथरस भी पहुंच गए थे लेकिन आज तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा निकिता की हत्या पर पूरी तरह से शांत हैं व उनकी इस चुप्पी का राज तो तौसीफ के नाम और उसके राजनैतिक कनेक्शन में साफ साफ छिपा हुआ हैं क्योंकि खोज में पता चला है कि तौसीफ के चचेरे भाई हरियाणा के नूंह से कांग्रेस के विधायक हैं। जिनका नाम आफताब अहमद है। जो कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार में परिवहन मंत्री भी रह चुके हैं व आफताब के पिता खुर्शीद अहमद भी कांग्रेस से पाँच बार विधायक और एक बार सांसद भी रह चुके हैं एंव खुर्शीद अहमद खुद तीन बार हरियाणा सरकार में मंत्री रहे हैं। आफताब के दादा चौधरी कबीर अहमद भी दो बार विधायक रहे हैं, जबकि तौसीफ के एक चाचा जावेद अहमद ने तो हरियाणा के पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी की टिकट पर सोहना विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। जिसका स्पष्ट मतलब है कि तौसीफ एक राजनैतिक खानदान से आता है और नेताओं की चुप्पी का राज उसके इसी राजनैतिक कनेक्शन और उसके नाम में छिपा है। गौरतलब है कि हाथरस की बेटी को न्याय किसी भी कीमत पर मिलना चाहिए परन्तु उसी न्याय की हकदार निकिता और उसके जैसी करोड़ों बेटियां और महिलाएं नहीं हैं क्या? निकिता लव जेहाद की शिकार हुई थी या फिर तौसीफ ने उसे एकतरफा प्यार में असफल होने की वजह से मार ड़ाला। इसका पता तो पुलिस लगा ही लेगी परन्तु जिस देश में बेटियों को देवी मानकर पूजा की जाती है उसी देश में धर्म बदलने से मना करने पर एक होनहार बेटी की हत्या कर दी गई। यह कहां का इन्साफ हुआ इस देश में। क्या निकिता की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने तौसीफ से शादी करने और अपना धर्म बदलने से मना कर दिया था। क्या इस देश में किसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं हैं। निकिता के परिवार वालों का कहना है कि उनकी बेटी की हत्या लव जेहाद की मजहबी साजिश के लिए हुई है यानी यह सिर्फ एकतरफा प्यार का मामला नहीं है, बल्कि एक हिंदू बेटी की हत्या धर्म परिवर्तन के लिए की गई है।उल्लेखनीय है कि अब इस मामले पर राजनीति शुरु हो गई है और एक बेटी की हत्या पर हो रही यह सियासत अवश्य ही देश पर कलंक हैं।
हालांकि देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो तर्क देंगे कि भारत में लव जेहाद जैसा कुछ नहीं है लेकिन सवाल तो यहां उस मजहबी कट्टरता का है, जिसमें कभी बल्लभगढ़ में निकिता तोमर तो कभी दिल्ली में राहुल की हत्या कर दी जाती है। बीच सड़क पर जान ले ली जाती है और देश का टुकड़े-टुकड़े गैंग, मोमबत्ती गैंग और बुद्धिजीवी पत्रकार सिर्फ उन्हीं मुद्दों की बात करते हैं जो उनके एजेंडे को पूरा करते हैं। कुल मिलाकर एक बात यह है कि ऐसे मामले अब देश में लगातार बड़ रहें जिन पर रोक लगानी आवश्यक है। इन मामलों के लिए हमारी संसद को सख़्त कानून बनाने होंगे।
-निधि जैन
जहां इस बीमारी के कारण एक बीस वर्षीय लड़की की जान भी चली गई हैं। जान गवाने वाली लड़की निकिता तोमर की बस इतनी गलती थी कि उसने तौसीफ नाम के एक लड़के से शादी करने से इनकार कर दिया था। 21 वर्षीय तौसीफ पिछले कई वर्षों से निकिता से एकतरफा प्यार करता था एंव वह लड़की के साथ कई बार जबरदस्ती करने की कोशिश भी कर चुका था परन्तु 26 अक्टूबर को उस मनहूस दिन यह एकतरफा मोहब्बत मर्डर में तबदील हो गई जब तौसीफ और उसके दोस्त रेहान ने कॉलेज में परीक्षा देकर घर लौट रही निकिता को सरेआम गोली मार दी। गौरतलब है कि यह वारदात देश की संसद से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर पर ही हुई थी जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि इस देश की संसद में बनने वाले तमाम कानून भी देश की एक बेटी को बचाने के लिए काफी बिल्कुल भी नहीं हैं।
निकिता की मौत के बाद निकिता के परिवार और रिश्तेदारों ने उसके घर के पास ही सड़क जाम कर दिया था और प्रशासन से न्याय दिलाने की मांग की परन्तु जब यह सब हो रहा था तो इसी बीच तौसीफ और उसके दोस्त रेहान ने हरियाणा के मेवात के एक गांव में जाकर छिप गये लेकिन पुलिस ने इन दोनों की पहचान कर इन्हें गिरफ्तार कर लिया हैं। वैसे भी हरियाणा का मेवात इलाका इस पूरी कहानी के केंद्र में ही आता है।
बहरहाल इस हत्याकांड को लेकर दायर की गई एफआईआर की एक कॉपी में साफ साफ लिखा हुआ है कि तौसीफ पहले भी निकिता को परेशान किया करता था लेकिन यह इस मामले की पहली एफआईआर है ही नहीं क्योंकि वर्ष 2018 में निकिता के परिवार ने तौसीफ के खिलाफ एकएफआईआर ओर दर्ज कराई थी। 2 अगस्त 2018 को दर्ज की गई उस एफआईआर में निकिता के परिवार ने तौसीफ पर निकिता के अपहरण का आरोप लगाया था परन्तु उसके बाद एक स्थानीय पंचायत में तौसीफ और निकिता के परिवार के बीच समझौता हो गया था और यह शिकायत वापस ले ली गई थी लेकिन इसके बाद भी तौसीफ ने निकिता को परेशान करना नहीं छोड़ा और आखिरी में यह पूरा मामला निकिता की हत्या तक पहुंच गया।
एकतरफ़ा लव के कारण उस लड़की और उसके परिवार के सारे सपनें टूट गयें। फिलहाल हरियाणा पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का गठन भी कर दिया है जो इस हत्याकांड के पीछे की असली वजह पता लगाने की कोशिश कर रही है ताकि निकिता को इन्साफ मिल सकें। हालांकि निकिता का अंतिम संस्कार तो हो गया है लेकिन इस मामले ने एक बार फिर एकतरफा एजेंडे की पोल खोल दी है क्योंकि अभी हालही में कुछ दिन पूर्व ही उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक बीस साल की लड़की के साथ गैंगरेप हुआ था, जिसके कुछ दिनों बाद लड़की की मौत भी हो गई थी व जिस मामले में नेताओं ने पीड़ित और आरोपियों की जाति ढूंढ ली थी और क्योंकि पीड़िता दलित थी और आरोपी ऊंची जाति के थे।
इसलिए तमाम नेताओं ने हाथरस में अपनी राजनीति की दुकाने सजानी आरम्भ भी कर दी थीं व कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा तो राजनैतिक पर्यटन करने के लिए हाथरस भी पहुंच गए थे लेकिन आज तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा निकिता की हत्या पर पूरी तरह से शांत हैं व उनकी इस चुप्पी का राज तो तौसीफ के नाम और उसके राजनैतिक कनेक्शन में साफ साफ छिपा हुआ हैं क्योंकि खोज में पता चला है कि तौसीफ के चचेरे भाई हरियाणा के नूंह से कांग्रेस के विधायक हैं। जिनका नाम आफताब अहमद है। जो कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार में परिवहन मंत्री भी रह चुके हैं व आफताब के पिता खुर्शीद अहमद भी कांग्रेस से पाँच बार विधायक और एक बार सांसद भी रह चुके हैं एंव खुर्शीद अहमद खुद तीन बार हरियाणा सरकार में मंत्री रहे हैं। आफताब के दादा चौधरी कबीर अहमद भी दो बार विधायक रहे हैं, जबकि तौसीफ के एक चाचा जावेद अहमद ने तो हरियाणा के पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी की टिकट पर सोहना विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। जिसका स्पष्ट मतलब है कि तौसीफ एक राजनैतिक खानदान से आता है और नेताओं की चुप्पी का राज उसके इसी राजनैतिक कनेक्शन और उसके नाम में छिपा है। गौरतलब है कि हाथरस की बेटी को न्याय किसी भी कीमत पर मिलना चाहिए परन्तु उसी न्याय की हकदार निकिता और उसके जैसी करोड़ों बेटियां और महिलाएं नहीं हैं क्या? निकिता लव जेहाद की शिकार हुई थी या फिर तौसीफ ने उसे एकतरफा प्यार में असफल होने की वजह से मार ड़ाला। इसका पता तो पुलिस लगा ही लेगी परन्तु जिस देश में बेटियों को देवी मानकर पूजा की जाती है उसी देश में धर्म बदलने से मना करने पर एक होनहार बेटी की हत्या कर दी गई। यह कहां का इन्साफ हुआ इस देश में। क्या निकिता की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने तौसीफ से शादी करने और अपना धर्म बदलने से मना कर दिया था। क्या इस देश में किसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं हैं। निकिता के परिवार वालों का कहना है कि उनकी बेटी की हत्या लव जेहाद की मजहबी साजिश के लिए हुई है यानी यह सिर्फ एकतरफा प्यार का मामला नहीं है, बल्कि एक हिंदू बेटी की हत्या धर्म परिवर्तन के लिए की गई है।उल्लेखनीय है कि अब इस मामले पर राजनीति शुरु हो गई है और एक बेटी की हत्या पर हो रही यह सियासत अवश्य ही देश पर कलंक हैं।
हालांकि देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो तर्क देंगे कि भारत में लव जेहाद जैसा कुछ नहीं है लेकिन सवाल तो यहां उस मजहबी कट्टरता का है, जिसमें कभी बल्लभगढ़ में निकिता तोमर तो कभी दिल्ली में राहुल की हत्या कर दी जाती है। बीच सड़क पर जान ले ली जाती है और देश का टुकड़े-टुकड़े गैंग, मोमबत्ती गैंग और बुद्धिजीवी पत्रकार सिर्फ उन्हीं मुद्दों की बात करते हैं जो उनके एजेंडे को पूरा करते हैं। कुल मिलाकर एक बात यह है कि ऐसे मामले अब देश में लगातार बड़ रहें जिन पर रोक लगानी आवश्यक है। इन मामलों के लिए हमारी संसद को सख़्त कानून बनाने होंगे।
-निधि जैन