वर्ष 2020 की यादें
-By Nidhi Jain
साल 2020 तमाम संकटों से भरा रहा। लाखों लोगों ने कोरोना महामारी के चलते अपने करीबियों को खोया है। देश की अर्थव्यवस्था ओर नीचे स्तर पर चली गई। वहीं प्रवासी मजदूर पलायन करने को मजबूर थे हालांकि जैसा कि हर वर्ग और क्षेत्र के लिए साल 2020 काफी चुनौतीपूर्ण रहा तो वहीं पिछले 12 महीनों में पर्यावरण, समाज और संस्कृति, मानवाधिकारों और यहां तक कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई बड़ी उपलब्धियां देश ने हासिल की है। हर समय के अच्छे और बुरे दोनों पहलू होते हैं। ठीक ऐसे ही वर्ष 2020 में लोगों ने अच्छा और बुरा दोनों वक्त गुजारा है। लॉकड़ाउन के कारण आम जनता को परेशानी जरूर हुई परन्तु उसी समय उन्हें अपने परिवार के साथ समय बीताने का भी मौका मिला, अपने आपसी रिश्तों को और मजबूत करने का अवसर मिला, रोजाना के व्यस्त जीवन से थोड़ा समय अपने आप को देने का समय मिला, काम से फुरसत मिली। लॉकडाउन के कारण लाखों करोड़ों लोगों की जिंदगियां प्रभावित हुईं लेकिन लॉकडाउन में हवा की गुणवत्ता बेहतर हुई। वहीं, अधिकांश मानवता ने 2020 में बेहतर हवा में सांस ली जबकि अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में मंदी और ठहराव के चलते दुनिया के कई देशों में वायु प्रदूषण में कमी आई। कोरोना के प्रकोप के कारण जब लोग घरों में थे तो धीरे-धीरे मौसम काफी साफ होता गया। जिसका नतीजा निकला कि पंजाब के जालंधर वासियों को घर बैठे हिमालय की वादियां दिखने लगीं। यहां तक कि मुजफ्फरनगर शहर की ऊंची इमारतों से भी शिवालिक पर्वत श्रृंखला के दर्शन होने लगे थे और जालंधर से धौलाधर रेंज व असम से कंचनजंघा और सहारनपुर से हिमालय की चोटियां दिखाई दीं तथा संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम को वर्ष 2020 का नोबेल शान्ति पुरस्कार मिला। जो भूख के खिलाफ लड़ाई लड़ रहें थे। यह संगठन दुनिया भर में करोड़ों लोगों को जीवनदायी खाद्य सहायता मुहैया कराता है। विश्व खाद्य कार्यक्रम दुनिया भर में सबसे विशाल मानवीय सहायता संगठन है। वहीं इस संगठन ने साल 2019 में 88 देशों में लगभग 9 करोड़ 70 लाख लोगों की मदद की थी। यह संगठन दो तरह से भोजन सहायता लोगों तक पहुंचाता है पहला, यह खाद्यान्नों को लोगों तक पहुंचा कर उनके भोजन की व्यवस्था करता है और दूसरा, नकदी हस्तांतरण के जरिये यह लोगों की मदद करता है जिससे उनकी खाद्य-जरूरतें पूरी होती हैं। बहरहाल ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स ने बताया कि इस साल यानी 2020 में आतंकवाद से होने वाली मौतों में लगातार पांचवीं वर्ष गिरावट देखी गई हैं।आतंकवाद के कारण होने वाली मौतों की संख्या अब 2014 के बाद से 59 प्रतिशत घटकर 13 हजार 826 हो गई है हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि 103 देशों में आतंकवाद की स्थिति में सुधार हुआ हैं वहीं कई देशों में आतंकवाद एक महत्वपूर्ण और गंभीर खतरा बना हुआ है परन्तु इन आंकड़ों को सकारात्मक तौर पर देखा जा सकता है व मौतों में सबसे बड़ी कमी अफगानिस्तान और नाइजीरिया में आई है। एक ओर जहां दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रही है तो वहीं अफ्रीका अब पोलियो वायरस से मुक्त हो चुका है अफ्रीकी देश नाइजीरिया में ही सिर्फ लोग पोलियो वायरस से सक्रंमित हो रहे थे लेकिन पिछले चार सालों से यहां पोलियो का एक भी मामला सामने नहीं आया है। 25 अगस्त 2020 को पूरा अफ्रीका महाद्वीप वाइल्ड पोलियो से मुक्त हो गया है। डब्ल्यूएचओ के अफ्रीका रीजन के कार्यालय ने अफ्रीका महाद्वीप को पोलियो मुक्त घोषित किया है। डब्ल्यूएचओ ने साल 1988 में वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल यानी जीपीईआई शुरू की थी। हालांकि तब से लेकर अब तक लगभग पूरी दुनिया से पोलियो को खत्म किया जा चुका है व अफ्रीका में आखिरी बार पोलियो का मामला साल 2016 में नाइजीरिया में सामने आया था एंव तमाम परेशानियों के बीच इस साल अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक अहम खोज की है। नासा ने घोषणा की है कि उसे चंद्रमा पर पानी होने के सुबूत मिले हैं। चंद्रमा पर मिले पानी का उपयोग पीने और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा व इस पानी की खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी सोफिया ने की हैं। यह खोज भविष्य के लिए अहम साबित होगी तथा सऊदी अरब ने साल 2020 में बाल विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिससे अब वहां शादी की कम से कम उम्र 18 वर्ष कर दी गई है। हालांकि वर्ष 2019 में, सरकार ने 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया था और इससे पहले सऊदी अरब में लड़कों या लड़कियों के लिए विवाह की कोई आयु सीमा तय ही नहीं थी लेकिन नए कानून में अब भी एक खामी है कि 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों की शादी अभी भी हो सकती है यदि उन्हें विशेष अदालत द्वारा मंजूरी दी जाती है तो परन्तु यह प्रतिबंध अभी भी इस तरह के रूढ़िवादी देशों में सकारात्मक समाचार के रूप में देखा जाता है। वहीं फिलिस्तीन ने भी 2020 में बाल विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया था जबकि बांग्लादेश ने बाल विवाह पर प्रगति की सूचना दी है। वहीं यूनिसेफ के शोध के अनुसार, 18 वर्ष की आयु से पहले लड़कियों का अनुपात 2010 में 64 प्रतिशत से घटकर मात्र 50 प्रतिशत रह गया है। जिसका साफ मतलब है कि बांग्लादेश में पिछले एक दशक में दस मिलियन लड़कियों को बाल विवाह से बचाया गया है। चीन के वुहान शहर से जन्मे कोरोना वायरस ने 30 जनवरी 2020 को भारत में दस्तक दें दी थी। जिससे बाद से ही लोगों की परेशानियां बढ़ती गई थी लेकिन इस वैश्विक संकट में हमारे वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वह मानवता के सबसे बड़े सारथी हैं। एक वर्ष के भीतर, कई टीके न केवल विकसित किए गए बल्कि उपयोग के लिए अधिकृत भी हैं, लोगों को लगने भी शुरू हो गए हैं। जिसके बाद यह कहा जा सकता है कि पिछले 11 महीनों में, हमारे देश के डाक्टरों ने 10 साल का काम इन कठिन परिस्थितियों में किया है। गौरतलब है कि साल 2020 में लोग बेशक़ त्रस्त रहें लेकिन तमाम परेशानियों का हल भी निकला है।