-By Nidhi Jain
समूचे विश्व को अपनी चपेट में ले चुका कोरोना वायरस से संक्रमितों के आकड़े प्रतिदिन बडते जा रहे हैं। किसी भी देश के शोधकर्ता अभी तक इस जानलेवा वायरस की काट ढूंढ नहीं पाए हैं। बेशक, कई देश कोरोना को अपने यहां काबू कर पाएं हैं। लेकिन पूरी तरह से अभी भी इस महामारी का प्रकोप खत्म नहीं हुआ है। तथा भारत की राजधानी नई दिल्ली में तो अब दिल्लीवालों को कोरोना के साथ-साथ एक और घातक बीमारी से लड़ना पड़ रहा है। दिल्ली में अब कोविड़-19 के केस एक लाख बीस हजार से भी अधिक पहुंच गए हैं। एंव दिल्ली में रिकवरी रेट 82. 67 प्रतिशत हो चुका है। परंतु गौरतलब है कि, दिल्ली के कई अस्पतालों में पिछले कुछ महीनों से कोरोना से संक्रमित बच्चों में चकत्ते और सूजन जैसे कावासाकी नामक दुर्लभ बीमारी से जुड़े लक्षण देखे जा रहे हैं। चिंतापूर्ण विषय यह है कि, जहां दिल्ली में रोजाना कोरोना संक्रमण के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं, वही अब संक्रमित बच्चे कावासाकी बीमारी से कैसे लड़ेंगे। कावासाकी रोग एक ऐसा सिंड्रोम है, जिसके होने का कारण अभी तक पता नहीं चला है। परंतु यह बीमारी मुख्य रूप से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ही प्रभावित करती है। जिसमें उन्हें पूरे शरीर की रक्त वाहिकाओ में सूजन, बुखार जैसे लक्षण पाए जाते हैं। आमतौर पर बुखार पांच दिनों से अधिक समय तक रहता है, और सामान्य दवाओं से इस बीमारी पर कोई असर नहीं होता है। कावासाकी रोग वास्कुलिटिस का ही एक रूप है। देश में बच्चों के लिए बने टॉप हॉस्पिटल में से एक दिल्ली के कलावती सरन अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित करीब पांच से छह बच्चों में इस रोग के लक्षण पाए गए हैं। यह सभी बच्चे पहले से ही कोरोना जैसी घातक बीमारी से भी संक्रमित थे। उनमें बुखार, चकत्ते, श्वसन और जठरांत्र संबंधी लक्षण मिले हैं। व कलावती सरन अस्पताल के प्रमुख डॉ. वीरेंद्र कुमार का कहना है कि, इस बीमारी के यह सबसे आम लक्षण हैं, जो दुनिया भर में प्रचलित हैं। एंव उन्होंने कहा कि इस समय हम महामारी के दौर से गुजर रहे हैं, इसलिए संभावना भी हो सकती है कि, यह बिमारी कोविड़-19 से संबंधित हो। व कावासाकी से संक्रमित बच्चों को अनएक्सप्लेन्ड टैचीकार्डिया भी है जिसके कारण कुछ बच्चे सदमे की स्थिति से गुजर रहे हैं। व इसके ही कारण एक बच्चे की मौत भी हो गई है। एंव इसके अलावा दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भी ऐसे छह मामले सामने आए, जिनमें से चार बच्चे पहले से ही कोरोना से संक्रमित थे। बहरहाल, ड़ब्लूएचओ ने पहले ही कह दिया था कि, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बच्चों और किशोरों में कावासाकी और टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के कुछ लक्षण पाए गए हैं, जिस वजह से उनका मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी कंडीशन के साथ आईसीयू में इलाज करने की जरूरत पड़ी। लेकिन यह नहीं पता था कि भारत में भी इसका प्रकोप इतनी जल्दी दिखने लगेगा। एक तरफ दुनिया में जहां कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे है। वहीं अब एक ओर घातक बीमारी से देश कैसे लड़ेगा। इतनी टेक्नोलॉजी होने के बावजूद भी अगर दुनिया कोरोना वायरस का इलाज नहीं ढूंढ पाई है, तो एक ओर महामारी से दुनिया कैसे लड़ेगी?