क्या किसान ही हैं जिम्मेदार

किसानों ने पराली क्या जलाई इस पर तो बवाल मच गया, राजनीति आरम्भ हो गई लेकिन हाथरस में जब पुलिस वालों ने हिन्दुस्तान की बेटी को आधी रात में जला दिया तो उसे कानून का नाम दे दिया। बहरहाल वायु की बदलती दिशा पंजाब, हरियाणा और पड़ोसी राज्य में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हो रहीं है।
वायु की दिशा पराली जलाने वाले मैदानों से प्रदूषण फैलाने वाले कणों को राष्ट्रीय राजधानी ला पाने में सक्षम नहीं थी। इसलिए पराली जलाने से वायु प्रदूषण में होने वाले योगदान में अंतर पाया गया हैं। वायु में पराली जलाने से प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा हैं। तथा केंद्र सरकार की एजेंसी सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बीते दिन 583 क्राप फायर्स रिकॉर्ड किया गया। जो भयावह हैं। और शोध में यह पता चला है कि वायु प्रदूषण फैलाने वाली हवा की दिशा दिल्ली की तरफ ही है और अब हवा में मौजूदा पीएम 2.5 में पराली का योगदान 26 प्रतिशत है। वहीं अच्छी खबर यह भी है कि राष्ट्रीय राजधानी में सतही हवा की गति में थोड़ा सा सुधार भी महसूस किया गया है, जिससे वेंटिलेशन और एक्यूआई में सुधार हुआ है। बीते दिन दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 235 पर था, जो बेशक़ ही खराब की श्रेणी में आता है। एंव हालही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर और दिल्ली के मुख्यमंत्री के बीच बैठक भी हुई थी जिसमें फैसला लिया गया था कि कितनी फसल जलाई जाए और बनाम प्रदूषण फैलाने वाले स्थानीय मामलों को लेकर बहस भी छिड़ गई थी। स्थानीय मामलों में बायोमास, कूड़ा के डंपिंग, धूल, निर्माण और ध्वस्तीकरण के काम को शामिल किया गया था। गौरतलब है कि दिल्ली के पड़ोसी क्षेत्रों यानी गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी वायु की खराब गुणवत्ता रिकार्ड की गई थी व ग्रेटर नोएडा में हवा की गुणवत्ता इनसब में सबसे खराब बनी हुई है। जो बेशक़ चिंताज नक स्थिति हैं। उल्लेखनीय है कि जहां मुद्दा गरम हो वहां राजनीति शुरू ना हो यह तो असम्भव है, क्योंकि अब दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ सियासी खींचतान भी शुरू हो गई है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने हालही में कहां कि दिल्ली-एनसीआर में इस साल अब तक पराली से महज चार फीसदी ही वायु प्रदूषण हुआ है, बाकी 96 फीसदी के लिए स्थानीय कारक ही जिम्मेदार हैं। हालांकि पंजाब सरकार ने भी अपने यहां पराली जलाने पर अंकुश लगाने की अपील की। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते खतरे को देखकर व वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंचने के कारण केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी की 50 निरीक्षण टीमों को हरी झंडी दिखाकर फील्ड पर रवाना कर दिया हैं। ग्रैप के तहत यह टीमें दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न हॉटस्पाट्स पर वायु प्रदूषण की निगरानी करेंगी और रिपोर्ट तैयार करेंगी एंव कोरोना वॉरियर्स की ही तरह प्रदूषण की लड़ाई लड़ने वाले इन योद्धाओं का भी सम्मान करने का निर्णय लिया जा रहा है ताकि उन लोगों का भी हौसला बड़ सकें। दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण के कारणों में बायोमास जलने, कुड़े का निष्पादन, टूटी सड़कें, धूल, निर्माण कार्य और इमारतें ढहाने की गतिविधियां जैसे स्थानीय कारक मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
अभी तक तो इस वर्ष पराली से महज चार फीसदी ही वायु प्रदूषण हो रहा है लेकिन पिछली साल पंजाब में पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली के लोगों पर सांसों का संकट हुआ था। और इस सकंट से इस बार बचने के लिए पंजाब सरकार को अपने यहां पराली जलाने से रोकने के लिए सख्त व आवश्यक कदम उठाने चाहिए जिससे दिल्ली-एनसीआर के लोगों पर मुसीबत न बढ़े। दिल्ली-एनसीआर में तो वायु गुणवत्ता बहुत खराब स्तर पर जाने से सरकार ने हालही में सख्त नियमों को लागू कर दिया गया है। इनके तहत बिजली के जनरेटरों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। गाजियाबाद के लोनी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 458 दर्ज किया गया, जबकि गाजियाबाद के ही वसुंधरा में सूचकांक 438 रहा। इसके अलावा दिल्ली के आनंद विहार, आईटीओ, वजीरपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 310 के पार चला गया। वैसे तो वायु प्रदूषण रोकने के लिए जिला प्रशासन ने किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है। साथ ही उन्हें पराली नहीं जलाने की हिदायत भी दी जा रही है और नहीं मानने पर एफआईआर और जुर्माने की चेतावनी भी दी गई है। वहीं, वीडियो बनाकर सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक इसे पहुंचाया भी जा रहा है। व सदर तहसील की राजस्व विभाग की टीम गांव-गांव जाकर जागरूक कर रही है। ग्रेटर नोएडा की आबोहवा खराब होने और प्रदूषण नियंत्रण के लिए शासन के आदेशों के पालन के लिए जिलाधिकारी सुहास एलवाई के निर्देश पर उपजिलाधिकारी सदर प्रसून द्विवेदी और तहसीलदार आलोक प्रताप सिंह के नेतृत्व में टीम को फजालपुर गांव पहुंची। टीम ने पराली नहीं जलाने को लेकर किसानों को जागरूक भी किया।
पराली के दूसरे उपयोग के बारे में बताया गया। साथ ही आगाह भी किया कि अगर वह खेत में पराली जलाते पाए गए तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जुर्माना भी लगाया जाएगा। खेतों में धान की पराली जलाने पर रोक से किसानों में भले ही नाराजगी है। किसानों का कहना है कि सरकार सिर्फ निर्देश जारी करने में व्यस्त है, किसानों के समस्याओं के समाधान की तरफ गंभीरता नहीं दिखायी जा रहीं। सरकार को पशुआश्रय केन्द्रों पर पराली की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार को पहल करनी चाहिए कि जो किसान पराली देने के लिए तैयार हैं, उनकी फसल की कटाई सरकार को अपने खर्चे पर करानी चाहिए। जिससे एक तरफ किसानों का लाभ होगा तो दूसरी तरफ किसान खेतों में पराली जलाने से भी बचेंगे। इन दिनों किसानों के अगेती धान की फसल खेतों में तैयार हो चुकी है। किसान धान की कटाई में जुट भी गए हैं। धान की कटाई शुरु होने के साथ ही प्रशासन खेतों में पराली जलाने को सख्त नजर आ रहा है। व आए दिन किसानों को हिदायत दी जा रही है कि खेतों में पराली जलाने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
वैसे प्रशासन की इस नीति से किसानों में आक्रोश का माहौल देखने को मिल रहा है। किसानों का कहना है कि एक तो उपज तैयार करने में किसानों को भारी रकम खर्च करनी पड़ती है, अब ऊपर से मशीन से कटाई के बाद पराली को एकत्रित करने का भी खर्च उठाना पड़ेगा। इससे उन्हें और भी नुकसान होगा। शासन प्रशासन को पशु आश्रय केन्द्रों पर पराली की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार को पहल करनी चाहिए कि जो किसान पराली देने के लिए तैयार हैं, उनके फसलों की कटाई प्रशासन अपने निजी खर्च पर कराए। एंव इससे किसानों का भी लाभ होगा, और प्रशासन को भी। व सरकार को किसानों को प्रताड़ित करने की बजाए उनकी मदद करने के लिए आगे आना चाहिए। यदि सरकार पराली के लिए किसानों के धानों की कटाई कराए तो किसान इसमें पूरा सहयोग करें।
इससे एक तरफ प्रशासन जहां प्रदूषण को रोकने में सफल होगा, वहीं किसानों को आर्थिक चपत लगने से बचाया जा सकता है व प्रशासन से इस तरह के पहल की मांग की है। कहा कि जो किसान पराली देने के लिए तैयार हैं, उनकी फसलों को प्रशासन खुद के खर्च पर कटाए। गौरतलब है कि यह कहना गलत नहीं होगा कि पराली से प्रदूषण जरूर होता है लेकिन हर बार किसान की पराली को मुद्दा बनाना बहुत गलत हैं।
-निधि जैन

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