जंजाल कोरोना काल का

वैसे तो गरुड़ पुराण में कहा गया है कि, किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसका अंतिम संस्कार रात में नहीं किया जाना चाहिए और ऐसी मान्यता भी है लेकिन कोरोना वायरस के कारण यह मान्यता बदल रहीं हैं। देश की राजधानी दिल्ली में अब रात में भी चिता जलाई जा रहीं हैं व मोक्ष प्राप्ति के लिए भी अब एक लंबी वेटिंग लिस्ट चल रही है।
दिल्ली में अंतिम संस्कार के लिए लोगों को कई घंटों का लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है जिसका नतीजा यह है कि अब शमशान घाटों पर रात में भी चिताएं जलाई जा रही हैं। कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिसके बाद यह स्थिति उत्पन्न हो रही है। लोगों की लापरवाही के कारण भारत के हालत भी यूरोप के उन देशों की तरह होने की आशंका है, जहां कोरोना वायरस की वजह से अस्पतालों में शव रखने तक की जगह नहीं बची थी। यह स्थिति इसलिए होने की सम्भावना है क्योंकि हमारे देश की सरकारें, सिस्टम और आम लोग अपने कर्तव्यों और कोरोना के खतरों के प्रति ईमानदार नहीं है। ईमानदारी न बरतने का नतीजा यह हो रहा है कि देश में एक बार फिर से लॉकडाउन के लौट आने की आशंका जताई जा रही है। तमाम दावों के बावजूद भी कोरोना वायरस की वैक्सीन अब भी महीनों दूर है एंव इससे बचने का फिलहाल एक ही उपाय है और वो है सावधानी, लेकिन जब समाज में एक व्यक्ति भी सावधानी बरतना भूल जाता है तो इसका खामियाजा पूरे देश को उठाना पड़ता है।
भारत के 135 करोड़ लोगों के लिए तो यह और भी ज्यादा जरूरी है कि वह कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करें क्योंकि, भारत में संक्रमण के नए मामलों में प्रतिदिन उछाल आ रहा हैं। भारत में बढ़ते कोरोना संक्रमित के आंकड़ों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत में कोरोना का टाइम बम एक बार फिर से फट सकता है। कुल मिलाकर भारत में हालत यह है कि जब देश में संक्रमण के मामले बहुत कम थे तो लोगों में डर बहुत ज्यादा था लेकिन अब जब संक्रमण के मामले बहुत ज्यादा हो गए हैं तो डर बिल्कुल कम हो गया है और वैसे भी कहते हैं ना कि दुनिया में डर से बड़ा कोई कारोबार नहीं है तो शायद इसी डर का फायदा दुनिया की उन तीन कंपनियों को पहुंच रहा है जिन कंपनियों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना लेने का दावा किया है।इस समय दुनिया में जिन तीन वैक्सीन के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है। उसमें से पहली वैक्सीन है, अमेरिका की Pfizer कंपनी द्वारा बनाई जा रही है वैक्सीन, दूसरे नंबर पर अमेरिका की Moderna कंपनी की वैक्सीन है और तीसरे नंबर पर रूस की बनाई जा रही Sputnik वैक्सीन है लेकिन सोचने वाली बात तो यह है कि इन तीनों वैक्सीन में से कौन सी वैक्सीन कितनी प्रतिशत कारगर रहेगी?
गौरतलब है कि रात में जलती चिताओं की तस्वीरों को देखकर लोगों को डरना चाहिए व शमशान घाट में जिस वेटिंग लिस्ट को देखकर लोगों को डरना चाहिए और सावधानी बरती जानी चाहिए उसके प्रति तो सब लापरवाह बने हुए है। कोरोना काल पहले तो देश के लिए जी का जंजाल बना था लेकिन अब यह बदहाली, बदहवासी, मौत और कर्ज़ के जाल में लोगों को जकड़ने लगा है और जो जिंदा बच गया उसे कर्ज का बोझ मार रहा है व जो जिंदा बचने की कोशिश में अस्पताल पहुंच गया उसे सिस्टम एक गुमशुदा लाश में बदल रहा है। अस्पतालों के पास न लाज है न लिहाज है और न ही इस बीमारी का कोई पुख्ता इलाज है। अस्पतालों में मरीज गुमशुदा लाशों में बदल रहे हैं तो जिन श्मशान घाटों पर जीवन की अंतिम यात्रा का अंत होता है। वह शमशान घाट अब अपनी क्षमता खोने लगे हैं। दिल्ली में कोरोना से एक दिन में होने वाली मौतों का आंकड़ा पिछले दिनों 100 से ज्यादा हो गया है।
कोरोना से पहले दिल्ली में हर रोज औसतन ढाई से 300 लोगों की मृत्यु होती थी। जिसके लिए तो शमशान घाट पर्याप्त थे लेकिन अब एक बार फिर दबाव बढ़ता जा रहा है। पहले मरीज अस्पताल में इलाज के लिए घंटों और दिनों तक इंतजार करते हैं और अगर कोरोना से जंग ना जीत पाए तो फिर मोक्ष के लिए भी इंतजार खत्म नहीं होता और अगर कोई मरीज खुशकिस्मत निकला व उसे प्राइवेट अस्पताल में बेड भी मिल गया, इलाज भी मिल गया और जान भी बच गई लेकिन यह इलाज जिस कीमत पर होता है। वह अच्छे खासे व्यक्ति की भी कमर तोड़ कर रख देता है।
बहरहाल दिल्ली सरकार ने 20 जून को कोरोना का इलाज करने वाले प्राइवेट अस्पतालों के बिलों को काबू करने के लिए, प्राइवेट अस्पतालों में 60 प्रतिशत बेड के कोरोना पैकेज पर कैप लगाने का आदेश दिया था। जिसके मुताबिक दिल्ली के प्राइवेट अस्पताल कोरोना के सामान्य रोगी जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत हो उनका एक दिन का अधिकतम पैकेज 10 हजार होगा व, गंभीर रोगी जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत नहीं है उनका अधिकतम पैकेज 15 हजार और गंभीर रोगी जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत हो उनका अधिकतम पैकेज 18 हजार रुपए तक ही हो सकता है लेकिन हकीकत कुछ और ही हैं। दिल्ली सरकार के आदेश में कहा गया था कि मरीज से पीपीई किट, ग्लव्स, सिरिंज का मरीज़ से अलग से कोई पैसा नहीं लिया जाएगा लेकिन पीडित परिवारों का कहना है कि अस्पतालों में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।दिल्ली में चिताएं रात में जल रही हैं और मोक्ष पाने के लिए वेटिंग लिस्ट है और जिनको किसी तरह से इलाज मिल रहा है, उन्हें इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कोराने से बचने पर उन्हें अस्पताल का बिल मार तो नहीं देगा।
बेशक कोरोना वायरस की वैक्सीन आने वाली है लेकिन तब तक सबको अनुशासन में रहना होगा। यकीनन इस वायरस ने दुनिया के तमाम लोगों को थका दिया है लेकिन अभी इस थकावट से हारने का समय नहीं है बल्कि कुछ और महीने अपने आपको सुरक्षित रखना होगा और ईमानदारी से वैक्सीन का इंतजार करना होगा।
-निधि जैन

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