2021 अब क्या दिखाएगा?

यकीनन आंसुओ से लिखी जाएगी वर्ष 2020 की तहरीर क्योंकि कई घरों में इस साल हुआ है अंधेरा, कई चिराग भुजाएं है इसने। बेशक यह साल एक सुनामी की तरह रहा समूचे विश्व के लिए। जहां पर अधिकतम वक्त दुनिया में लॉकड़ाउन ही देखने को मिला।
लोग घरों से बाहर निकलने के लिए बेबस हो रहे हैं, लोगों के काम-धंधे बंद पढ़े हैं, भय का माहौल ही बना रहा पूर्ण वर्ष, हर तरफ सिर्फ नकारात्मक ही नकारात्मक खबरें सुनने को मिल रही हैं, हर जगह स्ट्रेस, बेचैनी और तनाव का ही माहौल देखने को मिला। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से तो लोग ज्यादातर मेंटली डिस्टर्ब हीं नजर आए, वर्क फ्रॉम होम से तो लोग भयावह ही हो चुके हैं, जिससे आगे की जिंदगी पर तो एक प्रश्न चिन्ह लग चुका हैं। अपनों की फिक्र अब पहले से भी ज्यादा होने लगी है, डर बढ़ता जा रहा है, अब आगे आने वाले साल में क्या होगा? अब आगे का वक्त कैसे-कैसे दिन दिखाएगा? बस यही सवाल बाकी है। अभी तक कोरोना वायरस महामारी के कारण विश्व में हाहकार मचा हुआ है। जिसमें हर व्यक्ति यही चाहता है कि जल्द से जल्द यह साल बीत जाए ताकि नया साल आए तो लोग कुछ सूकून की सांस ले सके लेकिन चिंता पूर्ण विषय यह है कि हालही में अब संयुक्‍त राष्‍ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बेस्‍ली ने चेताया है कि साल 2020 से भी ज्यादा खराब साल 2021 होने वाला है। उनका अनुमान है कि अगले साल लाखों लोग भुखमरी की तरफ जा सकते हैं क्योंकि दुनिया भर के देशों से मिलने वाली अरबों डॉलर की आर्थिक मदद का अगले वर्ष मिलना मुश्किल हैं। और वैसे भी अभी तक इस समय दुनिया कोरोना वायरस के कारण उपजी आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है।डेविड बेस्ली ने एसोसिएटेड प्रेस को दिए एक इंटरव्‍यू में कहा कि नॉर्वेजियन नोबेल समिति उस काम को देख रही थी, जो एजेंसी हर दिन संघर्षों, आपदाओं और शरणार्थी शिविरों में करती है।
जिसमें अक्सर कर्मचारियों को लाखों भूखे लोगों को खाना खिलाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है व अभी हमारा मुश्किल वक्त आना बाकी है क्योंकि आगे आने वाले दिनों में कठिनाईयां बढ़ने वाली हैं। बेस्ले ने अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को दी चेतावनी को याद करते हुए कहा कि चूंकि जब दुनिया कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही थी, तो इसी दौरान दुनिया भूखमरी की कगार पर भी था, एंव उस समय तत्काल एक्शन नहीं होने पर कुछ महीनों के भीतर ही कई बड़े अनुपात अकालों को जन्म दे सकती थी। डेविड बेस्ली ने कहा कि साल 2020 में वह हालात को बदलने में सफल तो रहे, क्योंकि कई देशों ने पैसे, प्रोत्साहन पैकेज, ऋण की अस्वीकृति का ऐलान किया लेकिन अब कोरोना एक बार फिर अपने पैस पसार रहा है, गरीब और मध्यम आय वाले देशों की अर्थव्यवस्था लगातार गर्त में जा रही है और कोरोना की एक और वेव आने वाली है जिसके कारण लॉक डाउन और शटडॉउन होने की उम्मीद है तो ऐसे में जितना पैसा साल 2020 में उपलब्ध था उतना अगले साल उपलब्ध नहीं होने वाला है जिससे अवश्य ही स्थिति बदल सकती है।
हालांकि, वर्ल्‍ड फूड प्रोग्राम को भूखमरी और अकाल जैसी स्थिति से निपटने के लिए हर साल पांच अरब डॉलर की जरूरत होती है व इसके साथ ही पूरे विश्‍व में दस अरब डॉलर की जरूरत और पड़ती है, जिससे कुपोषित बच्चों और स्कूल लंच के लिए एजेंसी के वैश्विक कार्यक्रमों को ठीक तरीके से चलाया जाता है। वहीं दुनिया भर के 13.5 करोड़ लोगों ने कोरोना के दौरान भुखमरी का सामना किया। वर्ल्‍ड फूड प्रोग्राम के एक विश्‍लेषण से यह पता भी चला था कि 2020 के अंत तक 30 करोड़ और लोग भुखमरी के शिकार हो सकते हैं। जिसका स्पष्ट मतलब है कि विशेषज्ञ अब 2020 को एक बुरे साल के तौर पर देख रहे हैं। साल 2021 को इससे भी बुरे साल के तौर पर बताया जा रहा है जिससे कई लोगों की जिंदगी पर खतरा बना हुआ है।2021 में दुनिया अब ओर बड़ी भूखमरी झेलने पर मजबूर होगी। हालात बुरे होगे व मुश्किल वक्त अभी आना बाकी है। जिसका संपूर्ण विश्व को ड़ट कर सामना करना पड़ेगा एक तरफ दुनिया कोरोना महामारी से जूझ ने को मजबूर है तो दूसरी तरफ भूख की महामारी की चपेट से भी विश्व को जूझना पड़ेगा।
अभी तक तो 2020 को टाल देने में सक्षम हैं हम लोग लेकिन, इसपर तत्काल काम नहीं हुआ तो यह कुछ महीनो में बाइबिल में बताए गए अकाल के जैसे कई अकालों को जन्म दे सकती है। जो ओर भी भयंकर होगा। आने वाले समय में दुनिया में एक बार फिर कोरोना वायरस का खतरा बढ़ रहा है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों की अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है। साल 2020 में जो धन था, वह 2021 में नहीं मिलने वाला हैं, ऐसे में स्थिति ओर विकट हो सकती है। गौरतलब है कि भूखमरी जैसे अकाल रोकने के लिए अगले 5 साल में 5 अरब डॉलर की जरूरत होगी। वहीं, पूरे विश्व में 10 अरब डॉलर की जरूरत पड़ेगी।
जिसका इंतजाम करना बहुत कठिन है। कुल मिलाकर एक बात हर साल यूं ही बीत जाते हैं, पता भी नहीं चलता कि साल आया कब और खत्म कब हुआ लेकिन शायद ही कोई होगा जो यह साल भूल जाएगा, इस साल में जितना भूचाल मचा है देश में शायद ही इतना किसी साल में मचा होगा।
-निधि जैन

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