इशक भी अब जिहाद हो गया
हर किसी को अपनी मर्ज़ी से प्रेम करने, शादी करने और अपने धर्म को मानने की आज़ादी होनी चाहिए और यह आज़ादी शादी के बाद भी जारी रहे तभी वह सच्चा प्रेम है व अगर धर्म से ऊपर उठ कर प्रेम कर सकते हैं तो एक दूसरे के धर्म को स्वीकार क्यों नहीं कर सकते? जब सब धर्म एक समान हैं तो फिर एक को बदलना क्यों?
बहरहाल यूपी और उत्तराखंड में लव जिहाद कानून के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी व इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाएं स्वीकार करते हुए दोनों राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब मांगा है। यूपी में अभी यह सिर्फ एक अध्यादेश है, जबकि उत्तराखंड में यह 2018 में कानून बन चुका है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लव जिहाद कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी को लालच देकर, भटकाकर या डरा-धमकाकर धर्म बदलने को मजबूर करता है तो उसे पांच साल तक की सजा हो सकती है लेकिन शर्मनामक तो यह है कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।उनका कहना है कि इस कानून के जरिए पुलिस और सरकार प्रेम करने वाले लोगों और अपने मां बाप की मर्ज़ी के बिना शादी करने वालों को परेशान कर रही है, साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि इसके जरिये सिर्फ अल्पसंख्यकों को टारगेट किया जा रहा है। हालांकि सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से लव जिहाद के प्रावधानों पर रोक लगाने की मांग की है एंव इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। यूपी और उत्तराखंड में लाए गए इस कानून को दो याचिकाओं में चुनौती दी गई है।
गौरतलब है कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार गलत तरीके से हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए अध्यादेश लाई है तो इसमें गलत क्या है? लड़का लड़की ने एक दूसरे को जब सब सच बताया है और दोनों मर्जी से शादी कर रहे तो कानून के तहत बताकर धर्म परिवर्तन करने में दिक्कत, डर, चिंता किस बात की?और अगर मन में डर है तो उसका मतलब है कि नीयत में खोट है।
-निधि जैन