सब कुछ नहीं होता पैसा
कहते हैं सब कुछ नहीं होता पैसा, जो बात तो एकदम सही है परंतु कुछ चंद रुपयों के लिए इंसान को फ़रोख़्त होते देखा है। पैसा सर्वश्रेष्ठ सेवक भी होता है और निराशाजनक मालिक भी होता है
लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम उसे क्या मानते हैं। हम पैसों से इज्जत नहीं खरीद सकते। एंव एक मनुष्य की महानता उसके धन की मात्रा में नहीं होती, बल्कि उसके आसपास के लोगों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की उसकी निष्ठा और क़ाबलियत में होती है। परंतु उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षिका अनामिका शुक्ला नाम युविका ने 25 स्कूलों में एक साथ फर्जीवाड़ा कर टीचर की भूमिका पर लांछन लगा दिया। 13 महीने में करीब एक करोड़ रुपये की आय युविका ने की है। गौरतलब है कि जब एक अध्यापक भी तो शिष्यों के जीवन में रोशनी करता है, गुमनामी के अंधेरे में पहचान बनाना सिखाता है, व किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि जीवन सीख भी देता है।तो ऐसे में अगर शिक्षक ही ऐसे काम करेंगे तो शिष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा। फिलहाल, बेसिक शिक्षा अधिकारी कासगंज की तहरीर पर केस दर्ज करके शिक्षिका अनामिका शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया गया है। व उनसे पुलिस पूछताछ कर रही है। गिरफ़्तार की गईं अनामिका शुक्ला कासगंज ज़िले के कस्तूरबा विद्यालय फ़रीदपुर में विज्ञान की शिक्षिका के तौर पर क़रीब डेढ़ साल से नियुक्त थी। यह मामला तब सामने आया जब बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों का डेटाबेस तैयार करना शुरू किया। इस दौरान ही विभाग को अनामिका शुक्ला का नाम 25 स्कूलों की लिस्ट में मिला। जिसके बाद विभाग में हड़कंप मच गया और तुरंत इस पूरे मामले की जांच हुई। तब पता चला कि अनामिका शुक्ला के नाम पर मौजूदा दस्तावेज़ों पर अमेठी, आंबेडकरनगर, रायबरेली, प्रयागराज, अलीगढ़ समेत अन्य कई 25 स्कूलों में टीचर की नौकरी करती पाई गईं है। गिरफ़्तारी के बाद अनामिका शुक्ला ने बताया कि उन्हें नौकरी दिलाने में एक व्यक्ति ने सहायता की थी व जिसे उन्होंने रिश्वत के तौर पर एक लाख रुपये भी दिए थे। क़यास यह भी लगाए जा रहे हैं कि, इसमें कुछ ओर लोगों की भी मिलीभगत हो सकती है क्योंकि कोई एक टीचर अकेले इतना बड़ा फ़र्जीवाड़ा नहीं कर सकती।
बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने केस के संज्ञान में आने के बाद मुक़दमा दर्ज करने और दोषी पाए जाने पर सख़्त कार्रवाई के निर्देश दिए है। चिंतापूर्ण विषय यह है कि अगर गुरु जो जीवन में राह दिखाते हैं वह ही ऐसी राह पर चलेंगे तो। विद्यार्थी क्या सीखेंगे।
-निधि जैन