विश्व बाजार में अपनी जगह मजबूत करनी होगी
अब तक कोई भी देश चीन को किसी भी मामले में टक्कर देने के लिए सक्षम नहीं है। बेशक कई देश चीन के सामने डट कर खड़े हैं लेकिन चीन ने सभी देशों में अपनी पकड़ एकदम मजबूत करके रखी है।
चाहें वो किसी भी उद्योग क्षेत्र में क्यों ना हो। पर अगर कोई भी देश चीन का मुकाबला करना चाहता है तो उसे सबसे पहले अपनी आर्थिक नीतियों में परिवर्तन करना होगा। चीन के सामानों का बहिष्कार करने से कोई भी हल नहीं निकलेगा। इन छुटपुट कदमों से चीन की अर्थव्यवस्था पर कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। हमें विश्व बाजार में सबसे पहले अपनी जगह मजबूत करनी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जो आत्मनिर्भर भारत बनाने की मुहिम घोषित हुई है उस पर हमें सबसे पहले बारीकी से काम करना होगा, वरना जो थोड़ी-बहुत देश में आत्मनिर्भरता बची है वह भी खत्म हो जाएगी।15 जून को जो गलवान घाटी पर हुआ बहुत बुरा हुआ। 1993, 1996, 2005, 2013 व 2015 में एलएसी को लेकर अब तक भारत और चीन के बीच कई समझौते हो चुके हैं। लेकिन जो 15 जून को हुआ वह 45 साल में पहली बार में हुआ। जिसमें दोनों तरफ के जवान शहीद हुए। जिसके बाद हमें चीन से तमाम मसलों को दूर करने के लिए केवल सामरिक स्तर पर ही नहीं बल्कि राजनैतिक और राजनयिक स्तर पर भी वार्ता शुरू करनी चाहिए। व अमेरिका तो पहले से ही चीन के विरुद्ध खड़ा है क्योंकि उसके अनुसार कोविड़-19 वायरस चीन के वुहान शहर की एक लैब में ही बनाया गया है। ताकि चीन अमेरिका पर जैविक हमला कर सके। एंव जब वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन यानी ड़ब्लूएचओ ने इसका विरोध किया तो अमेरिका ने उस पर ही पलट वार करके ड़ब्लूएचओ को देने वाली फंड़िंग ही खत्म कर दी। व इसके अलावा अमेरिका सहित ब्रिटेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान, कनाडा, नॉर्वे और अन्य कई यूरोपियन संसद के कुछ सदस्यों ने मिलकर अंतरसंसदीय गठबंधन बनाया है ताकि वह चीन के वैश्विक प्रभाव का मुकाबला ड़ट कर सके।
एंव अमेरिका ने 33 चीनी फॉर्मों व संस्थाओं पर भी आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया हैं। व भारत में भी लोगों ने चीनी समान का बहिष्कार करने के लिए सख्त कदम उठाएं हैं कि देश में भी चीनी समान की बिक्री बाधित हो सके लेकिन अगर हमें चीन का सामना करना है तो भारत में सरकारों को सख्त से सख्त कदम जल्द ही उठाने होंगे।
-निधि जैन