तस्करी के लिए मजबूर

 समूचे संसार समुदाय को प्रभावित करने वाला कोरोना वायरस देश में हाहाकार मचा रहा है। शोधकर्ता रोजाना इस वायरस की काट ढूंढने में शोध कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई भी दवा इसको मात देने में सफल नहीं हुई है। परंतु 22 मार्च से लागू लॉकडाउन के कारण हजारों लोगों के घर जरूर उजड़ गए हैं।

लोगों के पास दिनचर्या व्यतीत करने के लिए कोई विकल्प नहीं था। जिसके चलते लोगों ने सब्जी बेचना व अन्य छोटे-मोटे काम शुरु कर दिये थे व इसके अलावा कुछ ऐसे भी लोग है जिन्होंने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए गलत रास्तों को सही समझा। एंव एक अध्यन में भी खुलासा हुआ है, कि जिन लोगों को पुलिस ने इस लॉकडाउन के दौरान गिरफ्तार किया है उन लोगों का कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं हैं। लॉकडाउन में कामकाज ठप होने के कारण ज्यादातर लोग पैसे कमाने की लालसा में तस्करी करने को मजबूर हो गए है। पैसे कमाने की लप्सया में गांजा, शराब की बोतलें और नशीले पदार्थों की तस्करी में लोग जुड़ते जा रहे हैं।
लॉकडाउन के कारण समय से शराब की दुकानें बंद होने और अनलॉक-1 में पुलिस की नाके बंधी तेज होने से तस्करी के काम में रिस्क ज्यादा होता था इसलिए तस्करों ने इसके दाम भी बड़ा दिए थे। और कमाई के साधन बंद होने के कारण ज्यादातर युवा ही इन काम में रोजाना हजार रुपए कमाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह नशीले पदार्थों की सप्लाई करते रहते थे। पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान करीब 194 शराब व 119 अन्य तस्करी करने वालों को गिरफ्तार किया है। लॉकड़ाउन में तस्करों के लिए काम करने वाले ऐसे लोग अधिक है, जिन्हे अपने परिवार का पेट भरने के लिए रुपयों की ज्यादा जरूरत थी, कुछ घंटे रिस्क का काम करने पर रोजाना की मजदूरी से दोगुना पैसे कमाने की लालसा व परिवार के लिए लोग यह काम करने के लिए मजबूर हो गए है।
तस्कर खुद यह काम नहीं करके उन लोगों को ज्यादा टारगेट कर रहे हैं जिनको काम की आवश्यकता है, ताकि वह उनकी लाचारी का फायदा उठा सके। परन्तु लोगों को भी विचार विमर्श करके कदम उठाने चाहिए क्योंकि हर एक कदम का असर उनके परिवार पर भी पड़ता है।
-निधि जैन

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