ड्रैगन को करारा जवाब

 समूचे विश्व में रक्षाबंधन का त्योहार बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। सभी बहने इस पवित्र दिन अपने भाईयों की कलाईओं पर बड़े ही प्रेम से राखी बांधती है। बहरहाल, इस साल का यह त्योहार भारत में कुछ बदलाव के साथ मनाया जाएगा। इस वर्ष राखियों का त्योहार देश में मेड इन इंडिया राखियों के साथ मनाया जाएगा।

भारत और चीन के बीच गहराते तनाव को देखते हुए इस वर्ष भारत में ही राखीयां बनाई जाएंगी। वैसे तो अब तक कोई भी देश चीन को किसी भी मामले में टक्कर देने के लिए सक्षम नहीं हुआ है। परन्तु, फिर भी कई देश चीन के सामने डट कर खड़े हैं, लेकिन चीन ने सभी देशों में अपनी पकड़ एकदम मजबूत करके रखी है। चाहें वो किसी भी उद्योग क्षेत्र में क्यों ना हो। पर अगर कोई भी देश चीन का मुकाबला करना चाहता है, तो उसे सबसे पहले अपनी आर्थिक नीतियों में परिवर्तन करना होगा। चीन के सामानों का बहिष्कार करने से कोई भी हल नहीं निकलेगा। इन छुटपुट कदमों से चीन की अर्थव्यवस्था पर कुछ ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है।
अगर हमें वास्तविक में चीन को टक्कर देनी है तो सबसे पहले हमें विश्व बाजार में अपनी जगह मजबूत करनी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जो आत्मनिर्भर भारत बनाने की मुहिम घोषित हुई है, उस पर हमें सबसे पहले बारीकी से काम करना होगा, वरना जो थोड़ी-बहुत देश में आत्मनिर्भरता बची है वह भी खत्म हो जाएगी।
तथा 15 जून को जो गलवान घाटी पर हुआ वह 45 साल में पहली बार हुआ। जिसमें दोनों तरफ के जवान शहीद हुए। जिसके बाद हमें यह समझ जाना चाहिए कि अब चीन भारत का कट्टर दुश्मन बनता जा रहा है। व भारत को चीन से तमाम मसलों को दूर करने के लिए केवल सामरिक स्तर पर ही नहीं बल्कि राजनैतिक और राजनयिक स्तर पर भी वार्ता शुरू करनी चाहिए। एंव अमेरिका तो पहले से ही चीन के विरुद्ध खड़ा है क्योंकि उसके अनुसार कोविड़-19 वायरस चीन के वुहान शहर की एक लैब में ही बनाया गया है। और कई अन्य देश भी मौजूदा वक्त में चीन के दुश्मन है। और वैसे भी भारत ने बीते दिनों चीन को एक बहुत बड़ा झटका दिया है।
यकीनन जिसे सुनकर चीन के होश ही उड़ गए होंगे। भारत ने चीन से संबंध रखने वाले कुल 59 मोबाइल एप पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। जिससे बेशक चीन को करोड़ों का नुकसान हुआ है। तथा अब भारत को चीन के इरादे साफ-साफ समझ आ रहे हैं। जिसके बाद अब भारत भी चुप बैठने वाला नहीं है। भारत अब एक-एक करके चीन को बड़े झटके दे रहा है। जिससे बेशक चीन को आर्थिक नुकसान होगा। इस वर्ष रक्षा बंधन के त्योहार पर भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूरी तैयारी हो रही है।
बड़े पैमाने पर इस वक्त पूरी तरह से मेड इन इंडिया राखियां बनाई जा रही है। देश में इस साल चाइनीज राखियां ना ही खरीदी जाएंगी और ना ही बेची जाएंगी। जिसके लिए खास तौर पर देश के अलग-अलग शहरों में उन लोगों को राखियां बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिनका रोजगार लॉकडाउन में उनसे छूट गया है, जिसमें दिहाड़ी मजदूर से लेकर ग्रामीण महिलाएं भी शामिल हैं। व इससे न केवल चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचेगा बल्कि लॉकडाउन में नौकरी खो चुके लोगों को रोजगार भी मिलगे। चीनी राखियों के बहिष्कार के लिए कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स ने देश भर के व्यापारियों के साथ मिलकर यह तय किया है, कि इस साल भारत में ना तो चीन की राखियां आएंगी और ना ही राखियां बनाने का सामान आएगा।
गौरतलब है कि, भारत में हर साल रक्षा बंधन के त्यौहार पर चीन को करीब चार हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार मिलता है, जो कि इस बार पूरी तरह से भारत के लोगों को ही मिलेगा। जिससे यकीनन चीन की आर्थिक स्थिति पर एक बहुत बड़ा झटका लगेगा। एंव कैट के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि देश मे कोई भी व्यापारी चीन की राखी या राखी बनाने वाला समान नहीं खरीदेगा व जो व्यापारी राखी का काम करते हैं वो अपने ही इलाके में लोगों को रोजगार देकर भारत में ही राखियाँ बनवाएंगे। जिसके कारण इस बार छोटे से लेकर बड़े हर शहर में सिर्फ हिंदुस्तानी राखियां ही मिलेंगी और या यूं कहें इस बार विश्व की हर बहन अपने भाइयों की कलाइयों पर मेड इन इंडिया राखी ही बांधेगी।
तथा चीनी आयात के खिलाफ भारत में अब बड़े पैमाने पर राखियां बनाने का काम शुरू भी हो गया हैं।
जिसमें दिल्ली के अलावा नागपुर, भोपाल, ग्वालियर, सूरत, कानपुर, तिनसुकिया, गुवाहाटी, रायपुर, भुवनेश्वर, कोल्हापुर, जम्मू , बंगलौर, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, वाराणसी, झांसी, इलाहबाद आदि शहरों में राखियां बनवा कर व्यापारियों तक पहुंचाने का काम आरम्भ भी हो रहा है। मेड इन इंडिया राखियों से यकीनन चीन को उसकी करनी का करारा जवाब मिलेगा व आत्मनिर्भर भारत को एक ओर नई दिशा मिलेगी।
-निधि जैन

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