किसान की उन्नति, देश की प्रगति
कृषक हर देश की प्रगति में विशेष सहायक होते हैं।जिसके बल पर देश अपने खाद्यान्नों की खुशहाली को समृद्ध बनाता है। देश में एक किसान ही हैं, जो असल मायनों में देश के सरताज हैं लेकिन देश की आज़ादी के बाद ऐसे नेता कम ही देखने में आए जिन्होंने किसानों के विकास के लिए निष्पक्ष रूप में काम किया।
ऐसे नेताओं में सबसे अग्रणी थे देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह। पूर्व प्रधानमंत्री को किसानों के अभूतपूर्व विकास के लिए हमेशा याद किया जाता है। चौधरी चरण सिंह की नीति मुख्य रूप से किसानों व ग़रीबों को ऊपर उठाने की थी। उन्होंने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की कि बगैर किसानों को खुशहाल किए देश व राज्य का विकास नहीं हो सकता। चौधरी ने किसानों की खुशहाली के लिए खेती पर अहम बल दिया था तथा किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिल सके इसके लिए भी वह गंभीर थे। उनका मानना था कि भारत का संपूर्ण विकास तभी होगा जब किसान, मज़दूर व ग़रीब सभी खुशहाल होंगे। और उन्हीं की याद में हर वर्ष 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है। किसानों के बीच लोकप्रिय नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर हर वर्ष कई आयोजन किये जाते हैं। किसानों को प्रोत्साहित करने और देश में उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए राष्ट्रीय किसान दिवस पर देश भर में आयोजन होते हैं। इस दिन किसानों के लिए कई सेमिनार जिला और ब्लॉक स्तर पर आयोजित किए जाते हैं। जिसमें कृषि अधिकारी और कृषि वैज्ञानिक किसानों को खेती करने के नए-नए तरीके और देश में फसलों के नवीनतम आकंड़ो को उनके साथ सांझा करते हैं। इसके अलावा कई सेमिनार भी विभिन्न कृषि विज्ञान स्थानों और कृषि ज्ञान स्थलों पर आयोजित किए जाते हैं। सेमिनारों में किसानों को कृषि बीमा योजनाओं और भारत सरकार की अन्य योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है ताकि वह उनका लाभ उठा सकें।इसके साथ ही सरकार भी इस दिन किसानों के हित के लिए नई नीतियों की घोषणा करती है लेकिन दुर्भाग्यवश कई योजनाओं का किसान लाभ तक नहीं उठा पाते। बहरहाल अन्न का एक निवाला लेते समय भी क्या हम यह सोचते हैं कि अन्न उपजाने वाले हमारे अन्नदाता यानी कि किसानों का देश की प्रगति में कितना बड़ा योगदान है? देश की सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और सुख-समृद्धि केवल सैनिकों और शस्त्रों पर ही आधारित नहीं होती बल्कि किसान और श्रमिकों पर भी आधारित होती है और इसीलिए उनको जय जवान, जय किसान का नारा दिया गया है। हालांकि चौधरी चरण सिंह का किसानों के लिए बहुत बढ़ा योगदान हैं। चरण सिंह का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। इसलिए वह किसानों की समस्याओं को लेकर पूरी तरह से अवगत थे। वह किसानों को समर्थन देने की पूरी कोशिश करते थे, उन्होंने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया एंव जब 1979 का बजट तैयार किया गया था तो उस समय यह बजट किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया था। इस बजट में किसानों के लिए कई नीतियां पेश की गई थी। जो जमींदारों और साहूकारों के खिलाफ सभी किसानों को एक साथ लाने में सक्षम था। विधानसभा में उनके द्वारा कृषि उपज मंडी विधेयक पेश किया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य डीलरों की मार के खिलाफ किसानों के कल्याण की रक्षा करना था। वहीं उन्होंने जमींदारी उन्मूलन अधिनियम को स्पष्ट रूप से लागू किया था। इसके अलावा उन्होंने भारतीय किसानों को बचाने के लिए जवाहरलाल नेहरू की सामूहिक भूमि-उपयोग नीतियों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व भी किया था। उनहोंने देश में किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी। साथ ही उन्होंने किसानों के सुधारों के बिल प्रस्तुत कर देश के कृषि क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाई थी। गौरतलब है कि जितना योगदान सिंह ने किसानों के जीवन में दिया था, शायद उतना अभी तक किसी सरकार ने नहीं किया होगा लेकिन तमाम सरकारों ने अपनी अपनी सोच के अनुसार कार्य तो किया हैं।
-निधि जैन