जंग जारी कोरोना से
कोविड-19 ने दुनिया की तस्वीर बदल के रख दी है। मौत का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा हैं। दुनिया भर के लोग इस महामारी से त्रस्त हो रहे हैं। वायरस के चलते देशभर में कई बार लॉकड़ाउन को बढ़ाया जा चुका है। हालांकि अभी भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या मे लगातार इजाफा हो रहा हैं।
ऐसे में इस संक्रमण को रोकने के लिए सरकार तमाम एहतियातन कदम उठा रही है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या से काफी दिक्कतें सामने आ रही है, क्योंकि देश में संसाधन सीमित है और आबादी बेहद तेजी से बढ़ रही हैं व हमारा देश विकसित देशो की तुलना में ओर पिछड़ता जा रहा हैं। लॉकडाउन में ठप्प पड़ी अर्थव्यवस्था की वजह से करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए है एंव रोजगार उनसे छिन गया हैं।बहरहाल इन सब पर रोक तभी लगेगी जब लोग सावधानी बरतेगें और सख़्त नियमों का पालन करेंगे तथा जब कोरोना की काट मिल जाएगी यानी कोविड़-19 की वैक्सीन उत्पन्न हो जाएगी। देश के वैज्ञानिक और डॉक्टर लगातार तपस्या कर रहे हैं कि कोरोना की वैक्सीन बन जाए, व कोरोना की तीन वैक्सीन्स का ट्रायल देश में चल भी रहा है। खुशखबरी तो यह है कि कोरोना वायरस के खिलाफ मेड इन इंडिया वैक्सीन का इंतजार बहुत जल्द खत्म होने वाला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन का कहना है कि वर्ष 2021 के शुरुआती महीनों में स्वदेशी कोरोना वैक्सीन तैयार हो जाएगी यानी 70 दिनों बाद कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन भारत के बाजार में आ सकती है। जुलाई और अगस्त के महीने तक 25 से 30 करोड़ लोगों के लिए वैक्सीन की डोज की व्यवस्था भी हो जाएगी यानी करीब 30 करोड़ लोगों को यह वैक्सीन लग भी जाएगी।
जिसका मतलब है कि देश की एक चौथाई से अधिक आबादी को 220 दिनों बाद स्वदेशी वैक्सीन की डोज मिलना शुरू हो जाएगी व दो स्वदेशी वैक्सीन का ट्रायल अपने तीसरे और आखिरी चरण में चल ही रहा हैं।इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने इस बारे में कहा है कि यह सारी बातें ऐसे वक्त में सामने आई है, जब देश में मेड इन इंडिया वैक्सीन को लेकर कुछ लोग एक निगेटिव यानी नकारात्मक माहौल बना रहे हैं लेकिन उनके बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वैक्सीन के बारे में लोग झूठी अफवाह फैला रहें हैं। गौरतलब है कि भारत स्वदेशी वैक्सीन बनाने की दिशा में दुनिया के अन्य देशों से पीछे नहीं है।
Sputnik, Pfizer और Moderna ने वैक्सीन तैयार कर लेने के दावे जरूर किए हैं परन्तु देशवासियों को असली राहत स्वदेशी वैक्सीन से ही मिलेगी और जब तक वैक्सीन का डोज आम जनता तक नहीं पहुंच जाता तब तक कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय सोशल वैक्सीन ही है। सोशल वैक्सीन का मतलब है कि मास्क लगाना और दो गज की दूरी के नियम का पालन हर कीमत पर करना। मास्क लोगों के लिए संजीवनी बूटी के समान है, लेकिन फिर भी बाजारों में लोग बिना मास्क दिखाई देते हैं। दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक जगहों पर मास्क न लगाने पर दो हजार रुपए तक का जुर्माना लगाने का फैसला किया है, हालांकि अभी तक मास्क न लगाने पर जुर्माना 500 रुपए था। 2000 रूपये के डर से अब शायद लोग घर से बाहर निकलने से पहले मास्क जरूर लगाएगे।अगर लोग लापरवाही बरतेगे तो वह सरकार के जुर्माने से तो बच जाएंगे लेकिन कोरोना के संक्रमण से नहीं बच पाएंगे और मास्क के साथ मजाक करने का ही नतीजा है कि इस समय देश में कोरोना से हर घंटे 24 लोगों की मौत हो रही है।
हर दो सेकंड में एक आदमी कोरोना वायरस से संक्रमित हो रहा है, व हर एक मिनट में कोरोना वायरस 30 लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, जो बेशक़ भयावह हैं। दुनिया भर में कोरोना से लड़ने के नियम कायदे विफल होते नजर आ रहे हैं। यूरोप में कोरोना का संक्रमण एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है और यही वजह है कि यूरोप के कई देशों को दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा है। फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी और पुर्तगाल में लॉकडाउन का ऐलान हो चुका है। इन देशों में कोरोना की पहली वेव खत्म होने के बाद काफी छूट दे दी गई थी, व उसी का नतीजा है कि यहां संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ा है और एक बार फिर लॉकडाउन लगाना पड़ा है। साउथ ऑस्ट्रेलिया में तो दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगा दिया गया है। 6 दिन के इस लॉकडाउन के दौरान घर के सिर्फ एक व्यक्ति को बाहर निकलने की ही इजाजत होगी व घर के बाहर लोगों को एक्सरसाइज तक नहीं करने की इजाजत हैं।
18 लाख की आबादी वाले ऑस्ट्रेलिया के इस प्रांत में इतनी सख्ती तब बरती गई है जब वहां एक क्लस्टर में 23 लोग एक साथ कोरोना संक्रमित हो गए और इन 23 लोगों के संपर्क में आने की वजह से 3200 लोगों को क्वारंटीन होना पढ़ा। हालांकि कोरोना को लेकर लोगों के बीच कई तरह की गलतफहमियां बन गई हैं। कुछ लोग कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट को सुरक्षा की गारंटी मान लेते हैं लेकिन वैज्ञानिक इससे बिल्कुल सहमत नहीं है, उनका कहना है कि कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट को आधार बनाकर किसी को भी असावधानी नहीं बरतनी चाहिए क्योंकि कोरोना कभी भी किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता हैं।
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के रिसचर्स का भी यही दावा है कि किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद कोरोना के लक्षण विकसित होने में 2 से 4 दिन का समय लगता है और अगर कोई किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 24 घंटे के अंदर टेस्ट कराते हैं तो इस बात की संभावना 100 प्रतिशत रहती है कि उनकी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव ही आएगी। कुल मिलाकर एक यह बात है कि कोई भी कभी भी कोरोना की चपेट में आ सकता हैं चाहें एक दिन पहले ही उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई हो इसलिए सावधानी बरतनी बेशक़ आवश्यक हैं।
-निधि जैन