किसानों ने उड़ाई सरकार की नींद
तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद कराने की मांग लेकर 2 महीने से भी अधिक दिन से चल रहा धरना प्रदर्शन बीते दिनों 66वें दिन में प्रवेश कर गया है। गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में किसानों के समर्थन में सभी विपक्षी दल बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन किसानों की भावनाओं का आंदोलन है और इस आंदोलन को टूटने नहीं दिया जाएगा। आंदोलन की इस ऊर्जा को बरकरार रखने के लिए अलग अलग जिला व गांव से किसान भी बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। देश के अन्नदाता केंद्र सरकार से अपने अधिकारों की मंग कर रहे हैं। हमारा देश इन्हीं अनदाताओं की वजह मजबूत है। आज ये किसान की नहीं हर मजदूर व हर वर्ग की लड़ाई है और इस आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से चलाकर केंद्र सरकार किसानों की मांग को पूरा करने के लिए मजबूर करंगे। इधर, दिल्ली पुलिस के घरवाले शहीदी पार्क में धरना दे रहे हैं। वह बीते 26 जनवरी को हुई हिंसा का विरोध जता रहे हैं। इस हिंसा में कई पुलिसवाले जख्मी हुए थे। हालांकि केंद्रीय गृहमंत्रालय ने अहम निर्णय लेते हुए सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर शनिवार रात 11 बजे से रविवार रात 11 बजे तक इंटरनेट सेवा बंद करने की घोषणा की है। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि बिना इजाजत के कोई लाल किले में नहीं पहुंच सकता। वे लोग सीधा लाल किला चले गए और वो लोग खुद कह रहे हैं कि हमें किसी ने नहीं रोका। आंदोलन को तोड़ने के लिए कई षड्यंत्र रचे जा रहे हैं।इस बीच जानकारी मिली है कि किसानों के आंदोलन के चलते यूपी गेट से लेकर सिंधु बॉर्डर के बीच कई पेट्रोल पंप बंद हैं। इससे इनका कारोबार प्रभावित हो रहा है। अब तक इन पेट्रोल पंप मालिकों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है। गणतंत्र दिवस पर राजधानी में मचे उपद्रव और शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर हुए बवाल के बाद प्रदर्शनकारियों में अब डर का माहौल है। पुलिस की ओर से तीन तरफ से घेर लिए जाने के बाद अब हालात ऐसे बन गए हैं कि प्रदर्शनकारी यहां से भागने लगे हैं। शुक्रवार शाम को काफी लोग नरेला के रास्ते जाते हुए दिखे। दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस ने अब तक 38 एफआइआर दर्ज किए जा चुके हैं। 84 लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। इनसे दिल्ली पुलिस पूछताछ कर रही है। वहीं दिल्ली पुलिस के घरवाले शहीदी पार्क में धरना दे रहे हैं। वह बीते 26 जनवरी को हुई हिंसा का विरोध जता रहे हैं। इस हिंसा में कई पुलिसवाले जख्मी हुए थे।
इस बीच पंजाब और हरियाणा से सिंधु बॉर्डर पर आ रहे किसानों को रोकने के लिए प्रशासन ने बड़ा निर्णय लिया है। इसके तहत दिल्ली की सीमा में प्रदर्शनकारियों के प्रवेश को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग एक पर भी सड़क खोदी जा रही है। इसके लिए जेसीबी की मदद ली गई है।आलम तो यह है कि अगले कुछ घंटों के दौरान सड़क पर गड्ढा कर दिया जाएगा, जिसके बाद प्रदर्शनकारी अपने वाहनों के जरिये यहां पर नहीं आ सकेंगे। वहीं, गांव वालों को प्रदर्शन स्थल की ओर जाने से रोकने के लिए सिंघु बॉर्डर से 2 किलोमीटर पहले भारी संख्या में सुरक्षा बलों के जवान मौजूद हैं। हालांकि हालात के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने गाजियाबाद और गाजीपुर के बीच नेशनल हाई-वे के दोनों ओर का रास्ता बंद कर दिया है। यह जानकारी दिल्ली यातायात विभाग ने दी है। वहीं, सोनीपत, पलवल, गुरुग्राम, टीकरी बॉर्डर पर इंटरनेट सेवा बंद करने को लेकर किसान क्रांतिकारी यूनियन ने हरियाणा सरकार से मांग की है कि इन जगहों पर इंटरनेट सेवाल बहाल की जाए। विरोध की कड़ी में आंदोलनकारी किसान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर भूख हड़ताल पर बैठें थे।किसान नेताओं का कहना है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के लाल किला में जो कुछ भी हुआ वह सरकार की विफलता को दर्शाता है। दिल्ली में हुए हर मामले को लेकर उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच जरूरी है। किसानों से एकजुटता का परिचय देते हुए आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखने का आह्वान किया हैं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि दिल्ली सरकार की ओर से पानी की मदद देने के लिए हम धन्यवाद करते हैं, लेकिन हम दिल्ली का पानी नहीं लेंगे। प्रदेश सरकार पानी की व्यवस्था नहीं करेगी तो हम सड़क में बोरिंग कर पानी निकालेंगे। उन्होंने दिल्ली में उपद्रव की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उधर, राकेश टिकैत की चेतावनी के बाद प्रशासन के टैंकरों से आंदोलन स्थल पर पानी पहुंच गया हैं। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत से लेकर पुलिस-प्रशासन ने एक दूसरे को पछाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अंतत: पुलिस-प्रशासन को ही बैकफुट पर आना पड़ा और फोर्स को आंदोलन स्थल से हटा दिया गया। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार के लोगों ने पंजाब व हरियाणा के बीच दरार डालने की कोशिश की, लेकिन लोग इसे समझ गए हैं और भारी संख्या में हरियाणा के किसान भी आंदोलन में शरीक होने के लिए बार्डर पर पहुंच गए हैं। इसके लिए उन्होंने हरियाणा के किसानों का विशेष रूप से धन्यवाद भी किया।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बीजेपी के लिए गले की फांस बनता जा रहा है लेकिन सवाल तो यह उठता है कि आखिरकार कब यह आंदोलन खत्म होगा।
-निधि जैन