लॉकडाउन से सीख

 विश्व में तांडव मचा रही वैश्विक महामारी कोविड़-19 के कारण दुनियाभर में सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन का लोगों द्वारा मूल रूप से पालन किया जा रहा है। जिसके चलते लोग अपने घरों में रहने के लिए मजबूर है।

परन्तु गौरतलब यह है कि, जाने-अनजाने ही लॉकडाउन ने हमें कई ऐसी बातें सिखाई जिन्हें हम मूल रूप से भूल चुके थे या यूं कहें की अपने दैनिक जीवन से निकाल चुके थे। अपने व्यस्तपूर्ण जीवन में हमें लोगों से बातचीत करने के लिए शायद ही समय मिलता था। परंतु इस लॉकडाउन ने हमें एक मौका दिया है लोगों से घुल मिलने का। एक दूसरे को समझने का। इतने लंबे समय के लॉकडाउन के दौरान एक बार फिर पड़ोसियों के साथ मेल मिलाप करने का अवसर मिला है। व लॉकडाउन ने हमें एक और चीज की अहमियत सिखा दी।
वह है पर्सनल हाइजीन, चाहे कोरोना के ड़र से ही परंतु अब हम हर दिन दस बार हाथ-पैर धो रहे हैं, खाने पीने के सामान को अच्छी तरह से धोने के बाद ही उपयोग कर रहे है, जूते चप्पल घर के बाहर ही उतार रहे है व सैनिटाइजर, मास्क का प्रयोग कर रहे हैं। यह यकीनन हमें शोरगुल वाली दुनिया से आराम करने का अवसर मिला है। गाड़ी, बाइक, स्कूटर व इत्यादि वाहनों की आवाजाही पर रोक लगने के कारण शहरों में शोर और वायु प्रदूषण में अच्छी खासी कटौती हुई है। जिसके कारण पशु-पक्षियों का जीवन एक बार फिर खिल उठा है। हर जगह स्वच्छता का आलम देखने को मिल रहा है। नीला आसमान नजर आ रहा है। बाग बगीचे सुंदर हो गए हैं। दिल्ली के यमुना बायो डायवर्सिटी पार्क के वैज्ञानिक डॉ फैयाज ने बताया कि लॉकड़ाउन के बाद से पार्क में पक्षियों की गतिविधियां व उनकी आवाजाही बढ़ी है, कुछ प्रवासी पक्षीयों के तो जाने का समय कब का बीत गया लेकिन वह अभी तक यहीं है। समझने वाली बात यह है, कि लॉकडाउन ने हर किसी को कुछ ना कुछ या यूं कहें बहुत कुछ सिखाया और दिखाया है। जिसे हमें भूलना नहीं है, अगर भूल गए तो। विश्व वापस वैसा ही हो जाएगा, जैसा पहले था।
यकीनन यह संकट की घड़ी है, लेकिन हमें इससे सबक भी लेना चाहिए ताकि पर्यावरण भी स्वच्छ रहे और हमारा जीवन भी सुरक्षित रहे।
-निधि जैन

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