परमाणुओं की ताकत
हालही में रूस ने दुनिया के सबसे बड़े परमाणु बम विस्फोट का एक वीडियो संसार के सामने जारी कर दिया है। अब तक के टॉप सीक्रेट रहे इस महाविनाशक वीडियो में सबसे बड़े परमाणु बम विस्फोट का पूरा विवरण दिया गया है। इवान नामक इस परमाणु बम की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, यह जापान के हिरोशिया में गिराए गए परमाणु बम से यह 3333 गुना ज्यादा शक्तिशाली है।
रूस ने कोल्ड वॉर के दौरान अपने जा बांबा डिवाइस का 30 अक्टूबर 1961 को बैरंट सागर में परीक्षण किया था। और इस परमाणु बम की विनाशक क्षमता को देखते हुए इसे धरती के खात्मे का भी हथियार कहा जाने लगा। रूस का यह इवान परमाणु बम विस्फोट दुनिया में अब तक हुए सभी परमाणु विस्फोटों में से सबसे शक्तिशाली था व यह करीब 50 मेगाटन का था एंव यह पांच करोड़ टन परंपरागत विस्फोटकों के बराबर ताकत से फटा भी था। इस परमाणु बम को रूसी विमान ने आर्कटिक समुद्र में नोवाया जेमल्या के ऊपर बर्फ में गिराया गया था। जिसको महाविनाशक परमाणु बम के प्रोग्राम इजाड़ीलीइये 202 के तहत बनाया गया था लेकिन बाद में जब इस परमाणु बम के बारे में पश्चिमी दुनिया को पता चला तो इसका नाम टीसार बोम्बे रख दिया गया था। 20 अगस्त को रूस के रोस्तम स्टेट अटॉमिक एनर्जी कॉर्पोरेशन ने अब अपने यू्ट्यूब चैनल पर 30 मिनट की डॉक्यूमेंट्री जारी की है। जिसमें विशेषज्ञों का कहना है कि, रूस ने अपने परीक्षण के जरिए शानदार तकनीकी उपलब्धि हासिल की है।बहरहाल, इस महाविनाशक परमाणु बम का खौफ इतना ज्यादा था कि कैमरों को भी सैकड़ों मील की दूरी पर लगाया गया था। साथ ही उन्हें लो लाइट पोजिशन में भी रखा गया था ताकि वह परमाणु विस्फोट की चमक में अंधे न हो जाएं। तथा इन शक्तिशाली कैमरों ने करीब 40 सेकंड तक आग के गोले का वीडियो बनाया और उसके बाद यह मशरूम के बादल के रूप में बदल गये। और इस विस्फोट स्थल से सो मील की दूरी पर स्थित एक विमान ने मशरूम के आकार के गुबार का वीडियो बनाया। जो करीब 213,000 फुट की ऊंचाई तक गया था। गौरतलब है कि, इस विस्फोट के फुटेज को रूस ने करीब छह दशक तक टॉप सीक्रेट रखा था लेकिन अब रोस्तम के 75 साल पूरे होने पर उसे जारी किया गया है। वैसे रूस की सेना ने टीसार बोम्बे को आरड़ीएस-220 नाम दिया था। और यह दुनिया में बनाया गया सबसे बड़ा परमाणु बम है। व इसे उस समय बनाया गया था जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच कोल्ड वॉर अपने चरम पर था। सोवियत संघ ने अमेरिका के थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस को टक्कर देने के लिए इस इवान नामक परमाणु बम का निर्माण किया था। वर्ष 1954 में अमेरिका ने अपने सबसे बड़े थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस का मार्शल आईलैंड पर परीक्षण किया था। जो डिवाइस 15 मेगाटन का था। और उसका नाम कास्टल ब्रावो था। एंव उस समय वह सभी के परमाणु बमों में से ज्यादा ताकतवर था। और इसकी सूचना जब सोवियत संघ को लगी तो उसने अमेरिका को टक्कर देने की ठानी।तथा सोवियत संघ ने अमेरिका को जवाब देने के लिए मात्र 7 साल के अंदर ही दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बम बना डाला।
इस परमाणु बम को पहले ट्रेन के जरिए ओलेन्या एयरबेस ले जाया गया जहां से उसे लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम टीयू-95 पर लादा गया। व 30 अक्टूबर को इस बॉम्बर ने उड़ान भरी और करीब 600 मील की यात्रा करके सेवेर्नी द्वीप पहुंचा। जो द्वीप आर्कटिक के काफी अंदर है। और बॉम्बर ने बम को गिरा दिया जिसमें एक पैराशूट लगा हुआ था। इससे बम धीरे-धीरे धरती पर गिरा और विमान को इतना समय मिल गया कि वह विस्फोट की जद में नहीं आ सका। जब यह बम जमीन से करीब 13 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंच गया तब उसमें विस्फोट कर दिया गया। यह विस्फोट इतना भयानक था कि, इसे इंसान की ओर से किया गया सबसे बड़ा धमाका कहा गया। और अगर इस बम को दिल्ली जैसे किसी ओर शहर पर गिराया जाता तो वह पूरा शहर ही राख के ढेर में बदल जाता। उस राज्य में रहने वाले ज्यादातर लोग बुरी तरह से जल जाते। इस विस्फोट से रिक्टर पैमाने पर 5 की तीव्रता का भूकंप आता और इसे दुनियाभर में महसूस किया जाता। इस विस्फोट को पाकिस्तान तक देखा जाता और वहां तक रेडियोधर्मी असर पड़ सकता था। इस विस्फोट के बाद अमेरिका और रूस ने वर्ष 1963 में एक संधि पर हस्ताक्षर किये। और दोनों देशों ने हवा में परमाणु बम के परीक्षणों पर रोक लगा दी। व दोनों देशों ने जमीन के अंदर परमाणु परीक्षण शुरू किया।
अमेरिका ने सोवियत संघ से बड़ा परमाणु बम बनाए जाने की बजाय छोटे परमाणु बम बनाने पर जोर दिए ताकि उन्हें मिसाइलों में फिट किया जा सके। चिंतापूणर्ण विषय यह है कि अगर कभी किसी भी देश में लड़ाई इतनी गहरा गई कि बात युद्ध तक पहुंच गई तो यकीनन सभी देशों ने अपने आप को इतना सक्षम बना रखा है कि दुनिया का नाश होना तो पक्का है।
-निधि जैन