कोरोना का आकार भी बदलता हैं

 कोविड-19 ने दुनिया की तस्वीर बदल के रख दी है। संक्रमितों के आकड़े प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहा है। दुनिया भर के लोग इस महामारी से अब त्रस्त हो चुके हैं। व वैसे तो कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच रोजाना नए-नए शोध और अध्ययन सामने आ रहे हैं। तथा वायरस की प्रकृति और उसके प्रभाव से लेकर उसकी दवा और वैक्सीन को लेकर भी तमाम शोध हो ही रहे हैं। और वायरस के म्यूटेशन को लेकर भी अब तक कई तरह के शोध हो चुके हैं, जिनमें वायरस के रूप बदलने के बारे में भी कई विशेश तरह की जानकारी सामने आई है। एंव कुछ विशेषज्ञ तो इसे एक चुनौती की तरह भी बता चुके हैं।

हालांकि कुछे के अध्ययनों में वायरस के स्ट्रेन कमजोर होने की बात भी कही गई थी और बताया गया था कि वैक्सीन बनाने में ऐसी स्थिति मुफीद होती है। बहरहाल, अब एक नए शोध अध्ययन में इस वायरस के बारे में बिल्कुल एक नई जानकारी सामने आई है। हेल्थ जर्नल साइंस में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, पता चला है कि कोरोना संक्रमण के बाद वायरस का आकार भी बदलता है। जिसकी वजह स्पाइक प्रोटीन को बताई गई है। शोध में कहा गया है कि, वायरस का स्पाइक प्रोटीन संक्रमित मानव शरीर में पहुंचने के बाद एक लंबे रॉड का आकार ले लेता है। एंव शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि, वायरस पर यह नई जानकारी वैक्सीन विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के लिए मददगार साबित होगी। तथा कोरोना वायरस की बाहरी सतह पर क्राउन यानी मुकुट की तरह दिखने वाला जो हिस्सा होता है वहीं से ही वायरस का भी प्रोटीन निकालता है। जिसे स्पाइक प्रोटीन कहते हैं। और इसी प्रोटीन से संक्रमण की शुरुआत होती है। जो मनुष्य के एंजाइम एसीई2 रिसेप्टर से जुड़कर शरीर तक पहुंचती है और फिर वह वही से अपनी संख्या बढ़ाकर संक्रमण को भी बढ़ाता है।
अमेरिका के बॉस्टन चिल्ड्रेन अस्पताल की ओर से किए गए इस शोध में भी यहीं कहा गया है कि, शरीर में संक्रमण फैलाने के लिए कोरोना वायरस, स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही कोशिकाओं को जकड़ता है। और कोशिकाओं को संक्रमित करने के साथ ही वायरस भी तेजी से अपनी संख्या बढ़ाना शुरू कर देता है जिससे मरीज की हालत ओर गंभीर होती चली जाती है। एंव बॉस्टन चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल के शोधकर्ता डॉ. बिंग चेन और उनकी टीम ने क्रायोजेनिक इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से वायरस का जब अध्ययन किया तो शोधकर्ताओं ने पाया कि स्पाइक प्रोटीन संक्रमण के बाद से ही अपना आकार बदलता है। और देखा कि संक्रमण के पहले वह किसी और आकार का होता है और संक्रमण के बाद यह कुछ और ही आकार का दिखता है। वायरस ट्रायंगल यानी त्रिभुज की तरह दिखने वाला स्पाइक प्रोटीन संक्रमण के बाद किसी सख्त हेयरपिन की तरह नजर आता है। और यह बदलाव मानव शरीर के ऐसीई2 रिसेप्टर के संपर्क में आने के बाद ही शुरू होता है। संक्रमण के बाद स्पाइक प्रोटीन का रॉड आकार एंटीबॉडीज को वायरस को निष्क्रिय करने में भी सहायता करता है।
गौरतलब है कि, वायरस का आकार बदलना यह ही दर्शाता है कि, वायरस किसी भी सतह पर कुछ समय के लिए ही जिंदा रहता है। और इसका बदला हुआ आकार इंसान के इम्यून सिस्टम को गंभीर संक्रमण से बचाने में भी मदद कर सकता है क्योकि संक्रमण के बाद वाला प्रोटीन का रॉड आकार वायरस को न्यूट्रल करने में एंटीबॉडी की सहायता कर सकता है।
-निधि जैन

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