कुछ तो जुर्म किए ही होंगे
मौजूदा समय में हर किसी के ज़हन में यह ही एक सवाल है कि यह कैसा वक्त दिखा रहा है तू खुदा जिसमें एक वक्त है जो गुजर ही नहीं रहा बस लोग ही गुजरते जा रहे हैं। यकीनन कुछ गुनाह तो किए ही होगे हम लोगों ने कुदरत के साथ तभी तो अब हमें गंगाजल की बजाय शराब से हाथ धोने पड़ रहें हैं, कोई तो जुर्म किया ही होगा जिस में हम सब शामिल थे तभी तो हर शख्स यूं मुंह छुपाए घूम रहा है।
बहरहाल, इस मुश्किल घड़ी में आप अगर किसी से भी पूछोगे कि इस 2020 वर्ष ने आपको क्या दिया तो यकीनन लोग यहीं बोलेगे दंगे, आगजनी, कोरोना, बाढ़, चक्रवात, व्यवसाय- नौकरी में नुकसान, मानसिक तनाव, आत्महत्या व चीन, पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसी स्थिति आदि ही साल ने दी है। एंव लोगों का मानना है कि, महामारी के कारण लागू लॉकडाउन में आम जनता को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था जो अभी शायद आगे भी जारी रहेगा लेकिन असलियत में इंसान तो वो ही होते है ना जो मुश्किलों में भी या आपदा में भी अवसर खोज निकालें ओर कुछ कर गुजर जाने की ठाने। हकीकत में तो इस 2020 ने हमें कई ऐसी चीजों का महत्व याद दिलाया है, जिन्हे हम शायद अपनी जिंदगी से निकाल ही चुके थे।इस वर्ष ने हमें संघर्ष करना सिखाया है, देश में स्वच्छता कितनी जरूरी है यह सिखाया, सावधानी बरतना, एकदूसरे की मदद करना, प्रकृति को सहेजना कर रखना, अन्न की कीमत, मानसिक संतुलन, अनेकों नये मेनू, विविध तर्कपूर्ण लेख और पोस्ट, मन को गुदगुदा देनेवाली अनेकों हास्य और व्यंगात्मक पोस्ट और इस साल ने हमें बताया कि कम खर्च में भी हभ शादी और कम लोगों में भी अंतिम संस्कार हो सकता है, इसी वर्ष ने हमें बिना मेकअप के ओरिजिनल चेहरे दिखाये, घर में रहने के लिए आवश्यक संयम दिलाया, घर के लोगों के साथ बातचीत करने का बहुमूल्य अवसर दिया, समय आने पर पास-पड़ोसी, अपने रिश्तेदारों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं, यह बताया, प्रदूषण में कमी व भविष्य में आनेवाली किसी भी बड़ी विपदा से निपटने की मानसिक तैयारी करायी कुल मिलाकर यही सब तो सिखाया है इस 2020 साल ने।वैसे भले ही इस अवधि में हमने कई महत्वपूर्ण लोगों को अवश्य खोया लेकिन अमीरी-गरीबी का भेद मिटा दिया इस साल ने अबतक हम जिन्हें अपने पूजास्थलों पर देखते थे, उस परमशक्ति ईश्वर का दर्शन कराया है इस साल ने, जीवन का सही मूल्य समझा है हमें व हमने जाना सही अर्थों में जीना कितना आसान है, हमारी सही क्षमता पहचानने का और सकारात्मक विचारों को अपनाने का सुनहरा मौका मिला हमें सिर्फ इसी साल में यह क्या कम दिया 2020 ने।
बहरहाल, ओर जो लोग कहते थे कि गांव में क्या रखा है इस महामारी ने उन्हें गांव की भी अहमियत समझा दी। व वैसे इस लॉकडाउन में जो सबसे ज्यादा परेशान हुए है, वह सिर्फ मध्यवर्गीय ही लोग है क्योकि ना तो वह गरीब की तरह मांग सकते हैं और ना ही अमीरों की तरह उनके पास इतने पैसे हैं कि अराम से उनका घर परिवार चल जाएं। वैसे कड़वा सत्य है पर सच है कि, जब तक घर में राशन है और अकाउंट में पैसे हैं तब तक ही लोगों को कोरोना का का डर है व जिस दिन पैसे खत्म, अनाज खत्म उस दिन वायरस का डर भी खत्म हो जाएगा।गोरतलब है कि, जो लोग कहतें हैं कि वह इस लॉकड़ाउन को कुछ महीने भी नहीं झेल पा रहे हैं तो जरा उन बेटियों के जीवन के बारे में भी जिनका पूरा जीवन ही बस लॉकडाउन है। तथा जिनको यह घमंड था कि यह देश बिजनेसमैन के भरोसे चलता है उन्हें भी इस लॉकडाउन ने बता दिया कि, यह देश किसानों के द्वारा पैदा किए गए अनाज के भरोसे ही चलता है ना कि उनके। तन पर कपड़ों के चिथड़े बन जातें हैं तब जाकर फसल लहराती है और लोग कहते हैं कि किसानों के जिस्म से पसीने की बस बदबू आती है। किसानों का हमेशा सम्मान करना चाहिए क्योकि उनके ही बदौलत आपका पेट भरता है एंव जब अधिकारी अच्छा काम करते हैं तो उन्हें प्रमोशन मिलते है, जब कर्मचारी अच्छा काम करते हैं तो उन्हें बोनस मिलता है, व जब हीरो अच्छी एक्टिंग करे तो उसे अवार्ड लेकिन जब किसान मुश्किल हालातों में दिन-रात, धूप-बारिश में काम करता है और दोगुना ज्यादा अनाज पैदा करता है तो तब लोग फसलों के दाम आधे करनें की बात करते है। इस वैश्विक महामारी कोरोना में भी अन्नदेवता खेत में काम कर रहे थी ताकि हमारा पेट भर सके परंतु लोग कहते हैं अन्न के दाम ज्यादा है और अपनी फसल ना बिकने से ना जाने कितने किसान रोजाना अपनी जान दे देते हैं एंव यह जरूरी है क्या कि हम स्वदेशी कंपनियों का आटा ₹40 महंगा खरीदें सकते है पर ₹19 का गेहूं सीधे किसान से नहीं खरीद सकते क्या हकीकत में ऐसे ही भारत असली आत्मनिर्भर बनेगा। और लोग कहते हैं कि किसान का अनाज इतना सस्ता होना चाहिए कि लोगों के पेट भर सके तो यह जरूरी नहीं है कि शिक्षा भी तो इतनी सस्ती होनी चाहिए कि हर किसान का बेटा पढ़ सके।
यह किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि ऐसा भी वक्त देखने को मिलेगा जब सब फुर्सत में तो होगे पर मिल नहीं पाएंगे व अब यह पता चल गया कि कोई भी चीज पूरी तरह से बुरी नहीं होती क्योंकि कुदरत अब हमें ऐसा दौर दिखा रहा है जिससे हमें सब चीजों का मौल पता चल रहा है, व यह कैसा समय चल रहा है जब मनुष्य शराब से हाथ धो रहे हैं व मोबाइल से स्कूल चला रहे हैं ना जाने कैसा दौर चल रहा है परन्तु विशवास है, लौट आएंगी खुशियां एक दिन बेशक़ अभी कुछ गमों का शोर चल रहा है पर जरा संभल कर चलना है क्योकि यह भी एक इम्तिहान का दौर ही है और वैसे भी जिंदगी जीने के लिए सबक और सीख दोनों ही बहुत जरूरी होते है तो इस कठिन समय से भी हमें सबक और सीख जरूर लेनी चाहिए।
-निधि जैन