धागे का मोहताज नहीं है रिश्ता

भारत में रक्षाबंधन के मौके पर भाइ की कलाई पर बहनों द्वारा रेशम के धागे बांधने का प्रचलन सदियों से है, लेकिन क्या महज सिर्फ एक धागा ही होता है, रक्षासूत्र जो भाई-बहन के अटूट रिश्ते को आपसी जुड़ाव में बांध के रखता है।

परन्तु अगर समक्षे तो वह सिर्फ एक धागा ही नहीं होता बल्कि एक अटूट विश्वास व समपर्ण का बंधन होता है जिसमें समन्वय की गांठे होतीं हैं जो शायद कभी खुलना हीं नहीं चाहती, एंव रहना चाहती है प्यार के उस बंधन में जो हर एक आदमी के भीतर हो। एक बहन सबसे ज्यादा स्नेह अपने भाई से ही करती है, ठीक उसी तरह एक भाई भी सबसे ज्यादा लाड़ अपनी बहन से ही करता है।
हालांकि बदलते वक्त के साथ-साथ भाई बहन का यह रिश्ता रक्षक यानी रक्षा करनें वाला और रक्षित यानी रक्षा करानेवाला तक की ही भावनाओं से ऊपर उठकर समानता और स्वतंत्रता की दिशा में आगे बढ़ने लगा है।
-निधि जैन

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वर्ष 2020 की यादें

कौन भरेगा 814 करोड़ का नुकसान?

अब कावासाकी से भी लड़ना है