कृषक आंदोलन में अब आगे क्या?
1974 में जेपी आंदोलन भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हुआ था जिसका सबसे ज्यादा समर्थन लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, वीपी सिंह और नितीश कुमार ने किया था तथा जब 2011 में लोकपाल आंदोलन किया गया था, जो भ्रष्टाचार के लिए हुआ था उसमें सबसे ज्यादा सहयोग अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान और अमान अब्दुल्ला खान का था। बहरहाल अब जो किसान आंदोलन हो रहा है उसमें किस-किसका सहयोग हैं यह तो बताने की जरूरत ही नहीं है।
आज बॉर्डर पर जो दिल्ली को बंधक बनाए बैठे हैं वह किसान के अलावा सब कुछ है।हालांकि जब भी कोई आंदोलन होता है तो उसमें जो नारे लगाए जाते हैं वह आंदोलन की मांग के अनुसार होते हैं लेकिन इस बार जो आंदोलन दिल्ली हरियाणा यूपी नोएडा बॉर्डर पर हो रहा है उससे तो यह बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं हो रहा कि यह किसान आखिरकार चाहते क्या हैं? इसमें ज्यादातर हर क्षेत्र के लोग शामिल हो रहे है, जिनको हकीकत में पता ही नहीं है कि वह आंदोलन किस मांग को लेकर हो रहा हैं। हालांकि यूपी का हाथरस कांड तो सबको पता ही होगा जहां एक महिला अपने आप को पीड़िता की भाभी बनाकार प्रियंका वाड्रा से गले मिल कर रो रही थी जो असल में पीड़िता की भाभी तो थी ही नहीं, वो तो मध्यप्रदेश के जबलपुर की रहने वाली एक महिला थी जो किसान आंदोलन में भी अब बढ़-चढ़कर अपना योगदान दे रही हैं। शाहीन बाग वाले तो पहले ही किसान आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं, वहीं दिल्ली की 50 मस्जिदों से भी खाना आ रहा है। गौरतलब है कि लगभग 1 महीने से कृषि कानूनों के खिलाफ जो आंदोलन हो रहा है उसमें सबसे ज्यादा पंजाब हरियाणा के किसान तीनों कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उन्हें शायद यह नहीं पता कि जिस कानून के खिलाफ वह आवाज उठा रहे हैं वह कृषि कानून पंजाब में तो लागू ही नहीं होता क्योंकि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब की कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में एक आदेश पारित कर के इस कानून को न लागू करने का प्रावधान पहले ही लागू कर दिया था और उल्लंघन करने पर 3 साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान भी बनाया गया है जिसका स्पष्ट मतलब है कि जिन लोगों पर यह बिल लागू ही नहीं हो रहा है वह इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे है और देश के जिन किसानों पर यह बिल लागू हो रहा है वो अपने खेत में काम कर रहे है व इस बिल का विरोध कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और सभी विपक्षी दल कर रहे हैं लेकिन शायद कांग्रेस सरकार यह भूल गए कि पंजाब मे जब क्रांगेस सरकार ने इस बिल को रोकने के लिए आदेश पारित किया था तो केजरीवाल जी की पार्टी ने ही इसका यह कहकर विरोध किया था कि पंजाब के किसानों को क्यों इस बिल से वंचित रखा जा रहा है। एंव अकाली दल ने भी पहले इन तीनों कानूनों के समर्थन में अपना वोट दिया था तो अब वह इसका विरोध क्यों कर रहे हैं। और क्रांगेस सरकार ने वर्ष 2019 में अपने चुनाव के घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि हम यहीं किसान बिल लेकर आएगे तो अब जब मोदी सरकार ने इन बिलों को कानून बनाने का फैसला किया है तो क्यों विपक्षी दल इनका विरोध कर रहे हैं।
बार-बार बीजेपी के तमाम नेता व खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी किसानों को आश्वासन दे रहे हैं की एमएसपी खत्म नहीं होगी, सरकारी मंडिया गायब नहीं होगी लेकिन किसान अपनी मांगों पर जस के तस डटे हुए हैं एंव सच तो यह है जो किसान मांग रहे हैं वह सरकारों ने तो खत्म किया ही नहीं है।
-निधि जैन