ईद-उल-अजहा पर विरान रहेगा अल्लाह का दर
संसार में किसी ने सोचा भी नहीं होगा, कि ऐसे भी दिन देखने को मिलेंगे, जब लोग घरों में रहने के लिए मजबूर हो जाएंगे। आसमान की ऊंचाइयों को नापने का सपना ऐसा टूटेगा कि लोग अपनों से भी नहीं मिल पाएंगे। घर लौटने की राह देखते-देखते घर में ही बंद हो जाएंगे।
घर से बाहर निकलना यानी मौत को आमंत्रण देना हो जाएगा। पर्यावरण शुद्ध हो जाएगा, लेकिन चैन की सांस नहीं ले पाएंगे। ईद जैसा त्योहार, जिसकी रौनक हर देश के बाजारों, गली-मोहल्ले में देखने को मिलती है, वहां सन्नाटा छाया रहेगा। ईद-उल-अजहा का त्यौहार इस वर्ष अगस्त के महीने में मनाया जाएगा। कुर्बानी के इस त्यौहार पर इस साल दुनिया में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का प्रकोप मड़रा रहा है। जिसके कारण अब मस्जिदों में ईद उल अजहा की सामूहिक नमाज नहीं हो पाएगी। उलेमा ने लोगों से अनुरोध किया है कि, वह अपने-अपने घरों में ही शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए नमाज अदा करे। रांची में ज़िल्हीज्जा महीने का चांद बीते मंगलवार को नज़र नहीं आया। व बुधवार को चांद की तीस तारीख है। यानी गुरुवार से जिलहिज्जा का महीना शुरू हो जाएगा। एंव जिलहिज्जा की दस तारीख को ईद-उल-अजहा का त्यौहार मनाया जाएगा।जिसके लिए लोगों ने तैयारी भी आरम्भ कर दी हैं। कुर्बानी के लिए बकरों की खरीद-फरोख्त का काम भी शुरू हो गया है। व बाजारों से भी लोग नए वस्त्र खरीद रहे हैं। ईद-उल-अजहा का त्यौहार नबी हजरत इस्माइल की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। हजरत इस्माइल के पिता नबी हजरत इब्राहिम ने एक ख्वाब देखा था कि, वह अपने बेटे को ईश्वर की राह में कुर्बान कर रहे हैं। जिसके बाद वह अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने के लिए उसे मैदान में ले जातें है और अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर अपने बेटे के गले पर छुरी चलाकर उसकी कुर्बानी दे देते है, लेकिन ईश्वर ने हजरत इस्माइल की जगह एक दुंबा यानी एक भेड़ भेज दिया और हजरत इस्माइल की जान बचा ली। तथा जब से ही खुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है। परंतु इस साल कई देशों की मस्जिदे इस बार बंद रहेगी। ईद उल अजहा के नमाज को पढ़ने के लिए जहां मस्जिदों में हर साल अल्लाह के दर पर नमाजियों की भीड़ लगी रहती थी, इस साल वहां सन्नाटा छाया रहागे।
चीन से जन्मा एक वायरस का कहर विश्व में पहली बार ऐसा मन्ज़र दिखा रहा है कि इस बार ईद-उल-अजहा पर अल्लाह का दर खाली रखेगा। कोविड़-19 के कारण इस बार दुनिया के कई हिस्सों में सुनी ईद मनाई गई। लोगों के मन में उमंग है, लेकिन सड़के विरान है। पहले जहां लोग अपनों के घर जाते थे, इस साल कोरोना ने लोगों को वीडियो कॉल तक ही समेट कर रख दिया हैं।
-निधि जैन