चीन की कथनी करनी में अंतर
टेबल पर तो चीन पीछे हटने की बात करता है परंतु जमीन पर युद्ध करने का दुस्साहस करता है। लेकिन ऐसे ही भुला नहीं पाएंगे हम वीरों की कुर्बानी वतन के लिए और भूल नहीं सकते हम चीन की गद्दारी सीमा समझौते के लिए। जिस तरह चीन ने हमारे भारतीय सैनिकों को कील लगे डंडों से मारा यह कभी हम भूल नहीं पाएंगे और नहीं चीन को कभी भूलने देंगे हर एक गद्दारी का चीन को करारा जवाब तो मिलेगा ही।
हथियार वर्जित वाले प्रोटोकॉल को तो चीन ने हमला करके तोड़ ही दिया है। धोखाधड़ी करके चीन ने भारत को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। लेकिन इस धोखाधड़ी का चीन को करारा जवाब तो जरूर मिलेगा। गौरतलब है कि, अगर खूनी हिंसा में एक दो सैनिकों के शहीद होने की बात होती तो शायद बातचीत करके मामला सुलझाया जा सकता था परंतु जिस बेरहमी से चीन ने हमारे बीस से ज्यादा सैनिकों को मार गिराया है और व ना जानें कितने सैनिक अभी तक घायल है। इससे तो स्पष्ट है कि चीन की यह सोची समझी साजिश थी। अगर यह साजिश थी तो अब भारत सरकार को सज होकर यह निर्णय तो लेना ही होगा कि लोकल लेवल पर, आर्थिक, और सैन्य स्तर पर चीन के साथ आगे कैसे बढ़ना है। क्योंकि इस हमले से एक बात तो स्पष्ट हो गई कि चीन और भारत की दोस्ती अब नहीं हो सकती। तो अब भारत सरकार को सज होकर रणनीति स्तर पर अपना पक्ष बिल्कुल स्पष्ट रखना होगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो कई बार चीन के साथ भारत के रिश्ते बेहतर करने की कोशिश की है लेकिन, चीन ने कभी भी कोई भी प्रथम कदम उठा कर भारत के साथ अपने रिश्ते बेहतर करने की कोशिश कभी नहीं करी। भारत तो हमेशा अन्य देशों के साथ जिम्मेदार पड़ोसी के रूप में पेश आता है चाहे वो पाकिस्तान हो नेपाल हो या चीन। लेकिन अब भारत को अपनी धारणाएं बदलनी होगी। आखिर कब तक हम जान बूझकर धोखे खाते रहेंगे। समय रहते ही अगर हम हकीकत को परखते हुए सख़्त कदम उठा लेंगे तो हमारे लिए ही बेहतर होगा। हमें आर्थिक तौर पर चीन के खिलाफ कुछ ना कुछ सख्त कदम तो उठाने ही होगें। हमें अपनी ताकत और क्षमता को बढ़ाना होगा। व चीन से वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने होगें। शायद हमें दूसरी जगहों से वस्तुओं के आयात पर ज्यादा कीमती देनी पड़े। लेकिन, अगर हम चीन से आयात नहीं रोकेंगे तो फिर किस आधार पर चीन का विरोध करेंगे। अगर चीन अपनी तरफ से जंग की तैयारी कर रहा है तो हमें भी अपनी तैयारी मजबूत करनी चाहिए। पर शायद चीनी हमले के बाद भारत सरकार को झटका लगा है और उन्होंने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। क्योंकि अब सरकार भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने ही देश में साधन, संसाधन को विकसित करेगी व जो लाखों-करोड़ों चिन से आयात में खर्ज होते थे वह भी बचाएगी। एंव भारत नें संचार विभाग बीएसएनल और एमटीएनएल को निर्देश दिए हैं की 4GB के लागू होने में जितने चीनी उपकरणों का प्रयोग होता है उन पर फौरन पाबंदी लगा दे। यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत चीन पर कई विषयों के लिए निर्भर है परंतु अगर भारत ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं है। बीते दिनों भारत को आत्मनिर्भर बनाने का मंत्र प्रधानमंत्री ने दिया था, जिस पर अब अमल करने का वक्त आ गया है।
यह सच है कि, भारत को आत्मनिर्भर बनाने के रास्ते में कई चुनौतियां आएंगी। जैसे कच्चे माल की कमी से दवाईयों के निर्माण में लागत बढ़ेगी, व भारत की कई बिजली परियोजनाएं भी चीन की उपकरणों से चल रही है एवं भारत में मोबाइल फोन बनाने वाली पांच कंपनियों में से चार कंपनी चीन की है इन सब कारणों से भारत को काफी घाटा तो होगा लेकिन अपने पैरों पर खड़े होने के लिए अगर कुछ संकट झेलने भी पड़े तो वह संकट नहीं कहलाते। और वैसे भी भारत अपने सैनिकों की शहादत बेकार नहीं जाने देगा। भारत शांति जरूर चाहता है लेकिन उकसाए जाने पर भारत हर हाल में यथोचित उत्तर देने में सक्षम हैं।
-निधि जैन