क्यां सांप्रदायिक भेद का आगाज़ हो रहा हैं?
दरअसल बीते महीने नूपुर शर्मा ने टाइम्स नाउ के एक पैनल में हिस्सा लिया था। जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हो रहे विवाद पर अपनी बात रखी थी जिसमें उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया था, जिससे ये पूरा विवाद शुरू हो गया।
पेशे से पत्रकार और फ़ैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्जूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने अपने ट्विटर अकाउंट से नूपुर के बयान का वीडियो शेयर किया और उन पर पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगाया। जिसके बाद से ही इस मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया और कुछ ही समय में इसका विरोध भारत, पाकिस्तान होते हुए अब सऊदी अरब तक पहुंच गया। दोनों नेताओं के खिलाफ लगातार कार्रवाई की मांग की जा रहीं हैं।
भारत-पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर इसका बहुत विरोध हो रहा है। सऊदी अरब में तो मुस्लिम वर्ग के एक बड़े तबके ने इसे पैगंबर मोहम्मद पर हमले के तौर पर देखा है, जिसके बाद वहां के निवासी, सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा व्यक्त कर रहे हैं। साथ ही, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ गुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं तथा हिंदुस्तानी समानों के बहिष्कार का अभियान भी चला रहे हैं।
इस मामले ने जब तूल पकड़ लिया तो बीजेपी ने अपने दोनों प्रवक्ताओं पर कार्रवाई की। हालांकि निलंबन के बाद नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल ने आधिकारिक तौर पर माफी भी मांग ली है। नूपुर ने कहा, "मैं कई दिनों से टीवी डिबेट में महादेव का अपमान और अनादर करते सुन रहीं थी। लगातार कहा जा रहा था कि ये शिवलिंग नहीं फव्वारा है, सड़क के किनारे के चिह्नों और खंबों से तुलना कर शिवलिंग का उपहास भी किया जा रहा था। मैं महादेव के लगातार हो रहे अपमान को बर्दाश्त नहीं कर सकी और मैंने उसके जवाब में कुछ कहा परन्तु अगर मेरे शब्दों ने किसी को तक़लीफ़ पहुंचाई हो या किसी के धार्मिक भावनाओं को आहत किया हो, तो मैं अपने बयान को बिना शर्त वापस लेती हूं। मेरा उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कभी नहीं था।" साथ ही बीजेपी दिल्ली के प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल ने भी अपने विवादस्पद बयान, जो उन्होंने एक ट्वीट कर के खड़ा किया था, उसके लिए माफी मांगी।
हालांकि दोनों ही बीजेपी नेता के खिलाफ, पार्टी की तरफ से की गई कार्रवाई के बाद पार्टी ने अपना बजाव करते हुए कहां कि, हमारी सांस्कृतिक विरासत और अनेकता में एकता की मजबूत परंपराओं के अनुरूप भारत सरकार सभी धर्मों को अपना सर्वोच्च सम्मान देती है और हम अपमानजनक टिप्पणी करने वालों के ख़िलाफ़ पहले ही कड़ी कार्रवाई कर चुके है और सच के सामने न आने तक कार्रवाई जारी रहेंगी।
लेकिन पैगंबर मोहम्मद पर नेता नूपुर शर्मा के विवादास्पद बयान का मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्वरूप लेता हुआ दिख रहा है। क़तर का कहना है कि नुपूर शर्मा के बयान से दुनिया भर के मुसलमानों में नाराज़गी का माहौल है। उनकी कथित विवादित टिप्पणी पर मुस्लिम सामाजिक संस्था रज़ा एकेडमी ने 28 मई, 2022 को ट्वीट करके उन्हें गिरफ़्तार करने की मुहिम चलाई थी व मुंबई में आईपीसी की धारा 153ए, 295ए और 505(2) के तहत मामला भी दर्ज कराया था, जिसके बाद पुलिस कमिश्नर ने तुरंत ही नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश दे दिया थे और अब इस मामले में एफ़आईआर दर्ज हो गई है।
हालांकि नूपुर ने दावा किया है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और उस बयान के बाद से ही उनके परिवार को इस्लामी कट्टरपंथियों से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। वहीं नुपुर शर्मा को लेकर भारतीय जनता पार्टी की ओर से जारी पत्र में लिखा गया है कि आपने पार्टी की सोच के विपरीत विचार व्यक्त किए हैं। जो कि पार्टी के संविधान के नियम 10(अ) के विरूद्ध है तथा पूरे मामले की जब तक जांच हो रही तब तक उन्हें पार्टी से निलंबित किया गया है और नवीन जिंदल को तो पार्टी से बाहर का ही रास्ता दिखा दिया गया है।
गौरतलब है कि भारत सरकार को इस मामलें में हस्ताक्षेप करना चाहिए, जिससे पहलें ये मामला देश का माहौल खराब कर दें और वैसे भी अब एक के बाद एक विवाद के कारण भारतीय मुसलमानों और हिन्दुओं के आपस के बैर बड़ते ही जा रहें है, जिसको समय रहते रोकना जरूरी है और अगर इसे समय रहते रोका नहीं गया तो यकीनन ही देश में सांप्रदायिक भेद होने से कोई नहीं रोक पाएगा।
-निधि जैन