कैसा गुजरा 2020?

 विश्व के लिए साल 2020 कुछ खास नहीं रहा। 2020 में लोगों ने एक के बाद एक घटनाओं का सामना किया। वर्ष की शुरुआत जहां ऑस्ट्रेलिया में लगे जंगलों की आग से हुई तो वहीं, उसके बाद वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने दुनिया में हाहाकार ही मचा कर रख दिया, फिर तो एक के बाद एक घटनाओं से भारत को जूझना ही पड़ रहा था।

कभी टिड्डियों का हमला, एम्फन तूफान, निसर्ग तूफान, भूकंप के झटके और 40 साल में पहली बार एलएसी पर भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प, शहीनबाग, दिल्ली चुनाव, दिल्ली दंगा लेकिन साल के अंत में किसान आंदोलन के साथ आखिरकार यह साल निकल गया। वास्तविक में साल 2020 काफी उथल पुथल भरा रहा, जिसमें सबसे ज्यादा चर्चित कोरोना महामारी रही परन्तु अब आगे पता नहीं 2021 में क्या क्या होगा क्योंकि कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन भारत तक पहुंच चुका हैं। बहरहाल 2020 में सरकार द्वारा बनाए गए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दक्षिणी दिल्ली के शाहीनबाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शकारियों ने लगभग 3 महीने तक प्रदर्शन किया। बेहद ठंडे मौसम और बारिश के दौरान भी प्रदर्शनकारी डटे रहे व शाहीन बाग में यह धरना 24 घंटे जारी रहता था। जिसमें भारी संख्या में महिलाओं की भागीदारी थी एंव इस धरना प्रदर्शन में बच्चे और बुजुर्गों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। वहीं इस विरोध प्रदर्शन को भारी संख्या में जामिया के छात्रों का समर्थन मिला था। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रदर्शनकारियों का कहना था कि शाहीन बाग का प्रदर्शन कमजोर न पड़े इसलिए वो रोजाना अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं करीब तीन महीने के बाद कोरोना संक्रमण के कारण इस धरना प्रदर्शन पर विराम लगा था और अगर देश में कोरोना का प्रकोप इतना नहीं बढ़ता तो आज भी शायद शाहीन बाग में प्रदर्शन जारी होता तथा पूरी दुनिया में तहलका मचाने वाले कोरोना वायरस ने 30 जनवरी 2020 को भारत में दस्तक दी थी। कोरोना की शुरूआत चीन के वुहान शहर से हुई थी और धीरे-धीरे करके कोरोना दुनिया हर हिस्से में फैल गया, जिसके बाद इस वायरस को महामारी घोषित कर दिया गया। हालांकि वर्तमान समय में भी कोरोना अभी गया नहीं है।जनवरी के महीने में चीन इस वायरस के प्रकोप से त्रस्त रहा था फिर इसके बाद अमेरिका, फ्रांस, इटली, स्पेन समेत लगभग पूरी दुनिया में यह छाया रहा। संक्रमण के मामले में अमेरिका पहले नंबर पर और वहीं भारत दूसरे नंबर पर है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव फरवरी महीने में हुए थे व इस चुनाव में भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था लेकिन भाजपा को एकबार फिर करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को एकबार फिर जबरदस्त बहुमत मिली और अरविंद केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। भाजपा का प्रदर्शन इस चुनाव में 2015 के प्रदर्शन से कुछ बेहतर रहा था और इस चुनाव में भाजपा को 8 सीटें मिली थी। वहीं सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी को 62 सीटें मिली थी। हालांकि इस बार भी कांग्रेस पार्टी खाता खोलने में नाकाम रही। 2020 में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में लगातार विभिन्न जगहों पर धरना प्रदर्शन चल रहा था। दिल्ली में दंगा कराने के फैसले पर 16 फरवरी की रात ही मुहर लगा दी गई थी। उस रात दंगे के मुख्य आरोपी उमर खालिद ने चांदबाग स्थित कैंप कार्यालय में कई घंटे तक गोपनीय बैठक की थी। जिसमें अथर खान, नदीम और ताहिर हुसैन सहित जामिया कॉआर्डिनेशन कमेटी और पिंजरा तोड़ की छात्राओं सहित स्थानीय नेता शामिल हुए थे। जाकिर नगर में भी उमर खालिद ने गोपनीय बैठक की थी। जिसमें शरजील इमाम, उमर खालिद, ताहिर हुसैन, फैजल फारुख सहित कई लोगों ने हिस्सा लिया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक शाहीनबाग में जब सड़क जाम करने का स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो शरजील ने कहा था कि वह जेएनयू के 200 छात्रों और 20-25 वकीलों को लाकर सड़क जाम करा लेगा। वहीं 23 फरवरी को डीपीएसजी के सदस्यों द्वारा बसों से जहांगीरपुरी से 300 महिलाओं को पहले शाहीनबाग ले जाया गया और इसके बाद उन्हें जाफराबाद मेट्रो स्टेशन धरनास्थल पर छोड़ दिया गया। उन्हें हिंसा भड़काने के लिए कहा गया था। वहीं इस योजना के तहत उन्होंने सड़क जाम करने से रोकने पर पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया था वहीं मौजपुर और चांदबाग आदि क्षेत्रों में हिंसा शुरू हो गई थी। यह हिंसा धीरे-धीरे दंगे का रूप लेन लगी और इस हृदय विदारक देंगे में लगभग 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।बहरहाल वैसे तो कोरोना का भारत में आगमन 30 जनवरी को ही हो गया था लेकिन कोरोना ने अपनी रफ्तार मार्च में पकड़ना शुरू की। मार्च में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को महामारी घोषित किया। कोरोना के कारण भारत में पहली मौत भी मार्च के महीने में हुई थी।
कोरोना की बढ़ती रफ्तार को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था व जनता कॉर्फ्यू के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन का एलान कर दिया था। जिसके बाद भी कोरोना दिन दूगना रात चौगुना बढ़ता गया। 21 दिनों के बाद एकबार फिर देश में दूसरी बार लॉकडाउन लगाया गया। लॉकडाउन के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था व इस भयावह महामारी में प्रवासियों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं अप्रैल में भी कोरोना का कहर जारी था और कोरोना अपनी रफ्तार पकड़ रहा था। चारों तरफ लॉकडाउन के कारण भय का माहौल था लेकिन इस बीच दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात का कार्यक्रम चल रहा था। हालांकि सरकार ने यह चेतावनी जारी की थी की लोगों को इकट्ठा नहीं होना है लेकिन इसके बावजूद लोग मरकज में बच गए थे। मरकज में देश विदेश से लोग आए थे। अचानक मरकज से संक्रमण का पता चला। जिसके बाद मरकज से निकाले गए लोगों में लगभग 2000 लोग संक्रमित पाए गए थे वहीं यह मामला पूरा एक महीना सुर्खियों में रहा। मरकज के मौलाना साद पर कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था तथा मार्च की तरह अप्रैल महीने में भी लॉकडाउन जारी रहा। लॉकडाउन के बाद भी कोरोना का रफ्तार कम नहीं हुई और संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। पूरे देश दुनिया में कोरोना के कारण हाहाकार मचा हुआ था। वही कोरोना काल में ही बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गए। इरफान कैंसर जैसी भयानक बीमारी से जुझ रहे थे एंव इरफान के निधन से पूरा देश भय में था। इरफान के निधन के एक दिन बाद ही ऋषि कपूर ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। ऋषि कपूर भी कैंसर जैसी भयानक बीमारी से जुझ रहे थे। लगातार इन दो दिनों में दो सितारों ने दुनिया को अलविदा कह दिया व मई के महीने में भी लॉकडाउन जारी रहा और कोरोना की स्थिति काफी भयावह हो गई थी, लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे थे। मई के महीने में प्रवासियों को भी काफी परेशानी हुई व इस लॉकडाउन में लोगों को काफी दिक्कते झेलनी पड़ी। सरकार अलग-अलग दावे कर रही थी लेकिन सरकार के सारे दावे खोंखले नजर आए। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लॉकडाउन के कारण लगभग 2 करोड़ लोग बेरोजगार हुए थे। कोरोना से देश के हालात खराब चल रहे थे और इसी बीच एक और दुखद खबर आई जब 14 जून को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली। जिस खबर को सुनकर पूरी फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई थी। वहीं इस मामले में सबसे ज्यादा चर्चित सुशांत सिंह राजपूत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती रही। इस केस में ड्रग्स का मामला भी सामने आया था। जिसमें कई बॉलीवुड अभिनेता अभिनेत्रियों के नाम सामने आए थे। सुशांत सिंह राजपूत हत्या मामले में सीबीआई जांच लगा दी गई है व इस मामले की जांच तीन जांच एजेंसिंया तीन एंगल से कर रही है। सीबीआई मौत के मामले की जांच रही है, एनसीबी ड्रग्स के मामले की जांच कर रही है और इडी अपनी अलग जांच कर रही है। अप्रैल 2020 से ही चीन का भारत के साथ सीमा पर गतिरोध जारी था। मामला धीरे धीरे बढ़ता गया। चीन लगातार लद्दाख सीमा पर अतिक्रमण करता रहा।
लद्दाख के गलवान क्षेत्र में 16 जून की रात को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक हिंसक झड़प हुई थी और इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे। वहीं विदेशी एजेंसियों के हवाले से खबर मिली थी की उस झड़प में चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। बाद में भारत सरकार ने चीन के कई एप्पस पर प्रतिबंध लगा दिया था और चीन के प्रोजेक्ट को रद्द कर दिये थे। वहीं जुलाई में उत्तर प्रदेश के कानपुर से पूरे घटनाक्रम की शुरुआत हुई। 2-3 जुलाई की रात को विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस की एक टीम पर हमला हुआ। विकास दुबे और उनके साथियों को पकड़ने गई पुलिस की टीम पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग की गई और इस गोलीबारी में एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे।यह मुठभेड़ कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गाँव में हुई थी। विकास दुबे पर 60 मुक़दमे दर्ज थे उसी सिलसिले में पुलिस विकास दुबे को पकड़ने के लिए उनके गाँव बिकरू गई थी। यूपी पुलिस ने व्यापाक सर्च ऑपरेशन शुरू किया और विकास से संपर्क रखने वाले 100 से ज़्यादा लोगों के मोबाइल फ़ोन सर्विलांस पर डाले गए थे। इस घटना के बाद विकास दुबे यूपी से भाग गया था परन्तु बाद में विकास दुबे ने ख़ुद बताया था कि वो कानपुर वाला विकास दुबे है और महाकाल मंदिर से दुबे की गिरफ़्तारी हुई। मध्य प्रदेश सरकार ने यूपी सरकार को इसके बारे में सूचित किया था। इसके बाद एसटीएफ़ और पुलिस का एक काफ़िला उज्जैन रवाना हो गया व उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक़ स्पेशल टास्क फ़ोर्स की एक टुकड़ी दुबे को लेकर मध्य प्रदेश से कानपुर लौट रही थी जब उनकी गाड़ी पलट गई जिसके बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और पुलिस की कार्रवाई में अभियुक्त की मौत हो गई। साल 2019 में राम मंदिर पर फैसला आने के बाद कोरोना के कारण रामजन्मभूमि पूजन को स्थगित कर दिया गया था। जिसके बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के लिए भुमिपूजन किया और भूमिपूजन के अवसर पर कई नेता, राजनेता और साधु उपस्थित थे। राममंदिर का यह विवाद पिछले 400 सालों से चला आ रहा था। पहले इलाहाबाद हाइकोर्ट ने इसपर फैसला दिया था।
फैसले में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने विवादित भूमि को 3 हिस्सों में विभाजित किया था और इन तीन हिस्सों में दो हिस्सा हिन्दुओं को और एक हिस्सा मुसलमानों को दिया था। इस फैसले से असंतुष्ट दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे लगभग 9 साल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला राममंदिर के पक्ष में सुनाया और मुसलमानों को अयोध्या में ही जमीन देने के लिए कहा। जिस फैसले को दोनों पक्षों ने स्वीकार किया। वहीं सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती काफी चर्चित रही। सुशांत मौत मामले में रिया चक्रवर्ती और उसके भाई शोविक चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया गया था। सुशांत मौत मामले में ड्रग्स का एंगल भी सामने आया था। इस मामले में शुरूआत में सारा अली खान, रकूलप्रीत सिंह, श्रद्धा कपूर और दीपिका पादुकोण जैसी अभिनेत्रियो के नाम सामने आए थे और अभी कुछ दिन पहले कॉमेडियन भारती सिंह और उनके पति हर्ष का नाम सामने आया था। भारती के घर से NCB की टीम ने गांजा बरामद किया था। सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की चर्चा चारो तरफ चल ही रही थी कि इस मामले में कंगना रनौत बीच में कूद पड़ी और कंगना का आमना सामना सीधे उद्धव सरकार से होने लगा। कंगना ने उद्धव राज में मुंबई को पीओके बता दिया था। जिसके बाद शिवसेना नेता लगातार कंगना पर पलटवार कर रहे थे। दोनों तरफ से ट्वीटर वार जारी था। वहीं इसके बाद बीएमसी ने कंगना के फ्लैट को अवैध बताकर उसपर बुलडोजर चलवा दिया था। उस समय कंगना रनौत मुंबई में नहीं थी, वह हिमाचल में थी। इसके बाद कंगना मुंबई पहुंची और मुंबई पहुचंने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया था। बहरहाल हाथरस गैंगरेप में परिवार से मिली जानकारी के अनुसार, थाना चंदपा क्षेत्र के एक गांव में 19 साल की एक दलित युवती के साथ यह घिनौनी वारदात 14 सितम्बर को तब घटा जब युवती पशुओं का चारा लेने के लिए अपनी मां के साथ खेत पर गयी थी। गांव के ही चार दरिदों ने उसे एक खेत में खींचकर गैंग रेप का शिकार बना डाला और हमला करके उसे जान से मारने की कोशिश की गई। युवती गंभीर रूप से घायल हो गई। आनन-फानन में उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। हालत बिगड़ता देख उसे सफदरजंग रेफर किया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
इस वारदात से आक्रोशित दलित समाज के लोगों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया था। पुलिस ने एक-एक करके वारदात के सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। पहले इस मामले में SIT की टीम जांच के लिए लगाई गई थी लेकिन बाद में इस मामले की जांच को CBI को सौंप दिया गया और अब CBI इस मामले की जांच कर रही है। वहीं 26 अक्टूबर की शाम फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में निकिता तोमर पेपर देकर कॉलेज से निकल रही थी और इसी दौरान, दो युवकों ने बंदूक की नोक पर उसका अपहरण करने की कोशिश की। निकिता के विरोध करने पर एक आरोपी ने उसे गोली मार दी। गोली लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी कार से फरार हो गए। सीसीटीवी में कत्ल की यह वारदात कैद हो गई थी। पुलिस ने दोनों आरोपी तौसीफ और रेहान को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन इसके बाद आरोपी पुलिस रिमांड पर लिया गया व इसके अलावा तौसीफ को हथियार देने वाले अजरु को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। तौसीफ, निकिता के साथ पढ़ता था और शादी करना चाहता था परन्तु निकिता ने शादी से इनकार कर दिया था और इसी लिए आरोपी ने निकीता की जान लें ली। हालांकि नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव में शुरुआती रूझानों में महागठबंधन ने बढ़त बनाई हुई थी। तब ऐसा लग रहा था कि महागठबंधन सरकार बनाने लायक बहुमत हासिल कर सकता है लेकिन दोपहर क़रीब 12 बजे के बाद से एनडीए ने रफ़्तार पकड़ी और रुझान में बीजेपी और जेडीयू की कुल सीटें महागबंधन के हक़ में जाती दिख रही सीटों से आगे दिखने लगीं। एनडीए ने रुझान में एक बार बढ़त बनाई तो फिर इसे आख़िर तक कायम रखा। बीच में महागठबंधन कभी-कभी इस फ़ासले को कम करता दिख रहा था परन्तु आख़िरी नतीजे में बहुमत का आंकड़ा एनडीए ने ही हासिल किया। हालांकि बीच में एक समय ऐसा भी था जब लग रहा था कि महागठबंधन सौ का आंकड़ा भी नहीं पार कर रहा है लेकिन शाम के बाद महागठबंधन की सीटें बढ़ीं और वो बहुमत के क़रीब कभी भी नज़र नहीं आया। अंतिम नतीजे एनडीए के पक्ष में आए व नीतीश कुमार एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बने। 2020 साल के अन्त में पंजाब हरियाणा के किसानों ने हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के मुताबिक़ उनकी अहम माँगों में से एक है सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर ख़रीद को अपराध घोषित करे और एमएसपी पर सरकारी ख़रीद लागू रहे।
एमएसपी पर ख़ुद प्रधानमंत्री ट्वीट कर कह चुके हैं कि मैं पहले भी कह चुका हूँ और एक बार फिर कहता हूं कि एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी, सरकारी ख़रीद जारी रहेगी लेकिन किसान 20 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए है और अबतक किसान संगठनों का प्रदर्शन जारी हैं। गौरतलब है कि 2020 न जाने कितनों के सपनें ले गया और कितनों के घर उजाड़ दिये लेकिन 2021 में बस यही कामना है कि यह साल समूचे विश्व में सिर्फ खुशहाली ही लाए।
-निधि जैन

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