बीमारियों! कब राहत मिलेगी
देश एक के बाद एक आपदाओं से घिरता जा रहा है। जहां कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक और वाइट फंगस के मामलों ने चिंता बढ़ा दी हैं, वहीं अब यलो फंगस का मामला भी सामने आया है। जिसे म्यूकर सेप्टिकस भी कहते हैं। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हाल ही में यलो फंगस से पीड़ित एक मरीज मिला है।कमजोरी, भूख कम या न लगना और वजन घटना व बीमारी बढ़ने के साथ-साथ मरीज में और गंभीर लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे शरीर में हुए घावों से मवाद निकलना, घावों का जल्दी ठीक न होना, कमजोरी से आंखें धंसना आदि इसके अलावा बीमारी गंभीर होने पर ऑर्गन फेलियर और नेक्रोसिस यानी कि शरीर के सेल यानी कोशिकाओं की लिविंग टिशू मतलब जीवित उत्तिकाओं में वक्त से पहले ही मौत हो जाती है, यानी कि सेल वक्त से पहले ही खत्म होने लगती हैं। गौरतलब है कि यलो फंगस का संक्रमण घातक हो सकता है क्योंकि यह शरीर के अंदर से शुरू होता है, ऐसे में इसके लक्षणों पर नजर रखना जरूरी है लेकिन चूंकि शुरुआत में लक्षणों को पकड़ पाना मुश्किल होता है, ऐसे में कुछ-कुछ मामलों में वक्त पर इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है। हालांकि इस बीमारी के लिए बस एक ही इलाज अभी उपलब्ध है, वो है- Amphoteracin-B इंजेक्शन लेकिन जब तक आम जनता खुद सतर्क नहीं होगे और एहतियातन कदम नहीं उठाएगे तब तक किसी भी बीमारी से हम पूर्ण रुप से स्वतंत्र हासिल नहीं कर पाएंगे इसलिए जरूरी है कि हम स्वयं स्वस्थ रहें और अपने परिजनों का भी इस संकट की घड़ी में उत्साह बढ़ाएं।
निधि जैन