दिल्ली का राजा कौन?
बीजेपी सरकार एक के बाद एक बिल में संशोधन करने को तैयार बैठी है, जिसका विरोध अवश्य ही किसी न किसी विपक्षी पार्टी को करना ही हैं। हालांकि अब हालही में राजधानी दिल्ली में शासन के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किए गए संशोधन विधेयक को दिल्ली के अरविंद केजरीवाल सरकार की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। केजरीवाल सरकार का कहना है कि केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी इस विधेयक के जरिए राजधानी दिल्ली में पिछले दरवाजे से सरकार चलाने की कोशिश कर रही है और इसलिए यह बिल अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है व इस बिल का विरोध आम आदमी पार्टी सड़क से लेकर संसद तक करेगी। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने बीते दिनों लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2021 पेश किया। जिसमें मुख्य रूप से चार पहलुओं पर संशोधन किया जा रहा है, जिसमें पहला संशोधन है सेक्शन 21 में प्रस्तावित करना है, इसके मुताबिक जब विधानसभा कोई भी कानून बनाएगी तो उसमें सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा जबकि जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में चुनी हुई सरकार को ही सरकार माना था। दूसरा संशोधन सेक्शन 24 में प्रस्तावित करना है, इस प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक उपराज्यपाल ऐसे किसी भी बिल को अपनी मंजूरी देकर राष्ट्रपति के पास विचार के लिए नहीं भेज सकते है जिसमें कोई भी ऐसा विषय आ जाए जो विधानसभा के दायरे से बाहर हो। जिसका स्पष्ट मतलब है कि अब उपराज्यपाल के पास यह पावर होगी कि वह विधानसभा की तरफ से पास किए हुए किसी भी बिल को अपने पास ही रोक सकते हैं जबकि अभी तक विधानसभा अगर कोई विधेयक पास कर देती थी तो उपराज्यपाल उसको राष्ट्रपति के पास भेजते थे और फिर वहां से तय होता था कि बिल मंजूर हो रहा है या रुक रहा है या खारिज हो रहा है। वहीं तीसरा संशोधन सेक्शन 33 में प्रस्तावित है, इस प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक विधानसभा ऐसा कोई नियम नहीं बनाएगी जिससे कि विधानसभा या विधानसभा की समितियां राजधानी के रोजमर्रा के प्रशासन के मामलों पर विचार करें या फिर प्रशासनिक फैसले के मामलों में जांच करें। प्रस्तावित संशोधन में यह भी कहा गया है कि इस संशोधन विधेयक से पहले इस प्रावधान के विपरीत जो भी नियम बनाए गए हैं वह रद्द होंगे। चौथा संशोधन सेक्शन 44 में प्रस्तावित है, इस प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक उपराज्यपाल के कोई भी कार्यकारी फैसले चाहे वह उनके मंत्रियों की सलाह पर लिए गए हो या फिर न लिए गए हो, ऐसे सभी फैसलों को उपराज्यपाल के नाम लिया जाएगा। संशोधित बिल में यह भी कहा गया है कि किसी मंत्री या मंत्रिमंडल का निर्णय या फिर सरकार को दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करने से पहले उपराज्यपाल की राय लेना आवश्यक होगा। गौरतलब है कि अगर ये बिल भी पास हो गया तो यही सवाल उठता है कि दिल्ली का राजा कौन हैं? केजरीवाल या उपराज्यपाल।