नेता रैली में और जनता तालाबंदी में

 दिल्ली में लगातार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व अन्य अधिकारी कोविड-19 के गंभीर हालात को लेकर बैठक कर रहे हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर चिन्तित हैं परन्तु असम, बंगाल एंव अन्य कई राज्यों में क्यां उन्हीं प्रधानमंत्री की रैलियों में आए लोगों ने कोविड के नियमों का पालन किया है? किसी ने मास्क पहना है? दो गज़ की दूरी का पालन किया हैं? प्रधानमंत्री चिन्तित हैं कि इन्हें कोरोना हो गया तो? बहरहाल चुनाव शुरू होते ही हर दल के नेता भीड़ की तस्वीरों को ट्वीट करने लगे और अपनी लोकप्रियता की ताकत दिखाने लगे परन्तु उन तस्वीरों में मास्क नदारद था। अब तो लोग हकीकत में मानने लगे हैं कि कोरोना का प्रकोप खत्म हो गया हैं, जो केवल मज़ाक हैं। जहां चुनाव होता है वहां कोरोना का कोई डर नहीं होता है, कोई नाइट कर्फ्यू नहीं होता है, कोई लॉकडाउन नहीं होता है। मंच से प्रधानमंत्री को दिखता ही होगा कि कोई मास्क पहन कर नहीं आया है। क्या प्रधानमंत्री ने अपनी चुनावी सभाओं में लगातार दो गज की दूरी और मास्क पहनने की अपील की? उनके भाषणों में इसका ज़िक्र होता है कि कोरोना के समय गरीबों को क्या क्या दिया लेकिन इस बात की अपील नहीं होती कि कोरोना से बचने के लिए क्या करना चाहिए या उनकी सभा में सभी को मास्क पहन कर आना चाहिए। गौरतलब है कि एक तरफ तो ये अपील की जा रही हैं, मास्क और दो गज की दूरी है जरूरी और एक तरफ चुनावी रैलियों में खुद ही कोई नियम का पालन नहीं कर रहें। इससे तो यहीं नज़र आता हैं कि इस वक्त नेता रैलियों में हैं और आम जनता तालाबंदी में।

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