मजदूरों को उनके कौशल के हिसाब से मिले काम

महामारी और लॉकडाउन के कारण आम लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को अपने घर के लिए पलायन करना पड़ा था जिसकी वजह से उनसे उनकी कमाई का साधन भी छिन गया है।
लेकिन केंद्र सरकारों ने प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार का इंतजाम करा है परंतु चिंतापुर्ण विषय यह है, कि यह काम सिर्फ प्रवासी मजदूरों को तत्कालित एक राहत दे सकता है उनके कौशल के साथ न्याय नहीं कर सकता।
बेशक अब बेरोजगारी के आंकड़ों में गिरावट आ रही है लेकिन मजदूरों को उनके कौशल के हिसाब से काम मिलना अनिवार्य है व इन कुशल कामगारों से जो इनका काम छूटा है उससे इस काम की तुलना नहीं की जा सकती जो उन्हें अभी उपलब्ध कराया जा रहा है। मौजूदा वक्त में प्रवासी मजदूरों को रोजगार देकर हम तत्कालीन तौर पर तो बेरोजगारी के आंकड़े को दुरुस्त कर सकते हैं परंतु वास्तविक में यह भविष्य में कई कठिनाइयों को न्योता दे सकता है।
बहरहाल, अभी बेरोजगारी का आंकड़ा 17.5 फीसदी से 8.5 फीसदी तक पहुंच गया है जो लॉकडाउन से पहले 8.7 फीसदी तक था जिसे एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। और अगर जल्द ही सरकार द्वारा कोई ठोस कदम उठा लिया गया तो शायद अर्थव्यवस्था एक बार फिर से पटरी पर आ जाए।
लेकिन सरकारों को मजदूरों के कौशल को ध्यान में रखकर भी उनके लिए काम का इंतजाम करना चाहिए क्योंकि हर एक इंसान को उसके कौशल के मुताबिक ही काम करना चाहिए ताकि वह उस काम में उपलब्धि हासिल कर सकें।
-निधि जैन

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