बड़ी अजीब विडंबना हैं

 -BY NIDHI JAIN

जिन्हें भारत पसन्द नहीं था। उनको हवाई जहाज से घर वापस लाया जा रहा है। परंतु जिन्होंने भारत निर्माण में अपना पूरा जीवन व्यर्थ कर दिया। वह लोग कई कोशो पैदल अपने घर लौट रहे हैं। कभी सोचा भी नहीं था, कि ऐसे भी दिन आएगे, की एक गरीब कोरोना के चलते चाय नहीं बेच पाएगा, लेकिन एक अमीर शराब बेच पाएगा। एरोप्लेन से बीमारी लाने वाले अमीरों की कीमत गरीबों को हजारों किलोमीटर पैदल चलकर चुकानी पड़ेगी। गौरतलब यह है, कि सरकार अमीरों के लिए करोड़ो खर्च करके उन्हें विदेश से ला सकती है, लेकिन एक गरीब, मजदूर व किसान, जो हमारे समाज का वह तबका होता है। जिन पर हमारे देश की समस्त आर्थिक उन्नति टिक्की होती है। उनको मुफ्त में अपने घर वापस नहीं भेज सकती। उनसे बसों व रेल इत्यादि का किराया लिया जा रहा हैं। बड़ी अजीब विडंबना है, जो लोग भारत में वोट नहीं देते। वह लोग प्लेन से घर वापस आ रहे है पर, जो लोग वोट देकर सरकार बनाते है। वह लोग आज भी पैदल घर जा रहे हैं। सरकार तो अपनी तरफ से पूरे प्रयास कर ही रही है, पर जमीन तक आते-आते सारे प्रयास दम तोड़ देते हैं। मजदूर तो आज भी परेशान है। लॉकडाउन का पूरा उल्लंघन हो रहा है। रास्ते में एक्सीडेंट हो रहे हैं। मजदूर मर रहे है, पुलिस की लाठी खा रहे है, व गरीबी की मार झेल रहे हैं। पर मजदूर करे तो क्या करें? वह मजबूर हैं।

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