इतना अत्याचार क्यों?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कहते हैं कि उनका सपना नया पाकिस्तान बनाने का है लेकिन इमरान के नये पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ कैसा व्यवहार होता है यह तो हम सोच भी नहीं सकते। पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के करक ज़िले में बहुसंख्यक मुसलमानों की भीड़ ने अल्पसंख्यक हिंदुओं के एक मंदिर में तोड़फोड़ की और उसे जला दिया। हालांकि करक ज़िला इस्लामाबाद से 241 किलोमीटर दूर है। सैकड़ों लोग मंदिर पर चढ़े हुए थे। कोई छत तोड़ रहा था तो कोई मंदिर की दीवार। गौरतलब है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के प्रति कितनी नफ़रत है, यह इस हरकत से स्पष्ट हो गया है। यह मंदिर करीब 100 वर्ष पुराना था। मंदिर में हिंदू संत परमहंस महाराज की समाधि है। वर्ष 1919 में संत परमहंस महाराज के निधन के बाद से हिंदू यहां पूजा करते थे परन्तु वर्ष 1947 में हिंदुओं को इस मंदिर में पूजा करने से रोक दिया गया था और फिर 1997 में इस मंदिर में तोड़फोड़ हुई और मौलवियों ने इस पर कब्जा कर लिया। हालांकि करक ज़िले के हिंदू संगठनों ने इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी थी। वर्ष 2015 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर को दोबारा बनाने का आदेश दिया और पिछले 5 वर्ष से मंदिर निर्माण का काम जारी था लेकिन हाल ही में मुस्लिम धर्म गुरुओं ने मंदिर निर्माण के खिलाफ प्रोटेस्ट मार्च निकाला। स्थानीय प्रशासन से शांतिपूर्वक प्रदर्शन की अनुमति ली गई लेकिन मौलवियों ने वहां इकट्ठा हुए लोगों को मंदिर तोड़ने के लिए भड़काया और इसके बाद भीड़ ने पूरे मंदिर परिसर को घेर लिया व लोगों के हाथों में कुदाल और फावड़े थे एंव जिसके हाथ में कोई औजार नहीं था, उसने ईटों से मंदिर की दीवारों को तोड़ना शुरु कर दिया। जो अवश्य ही निंदनीय हैं। उल्लेखनीय है कि कोर्ट के आदेश पर मंदिर की सुरक्षा के लिए एक पुलिस बूथ भी था परन्तु उग्र भीड़ ने उस पुलिस बूथ को भी जला दिया तथा मंदिर तोड़े जाने की घटना के विरोध में कराची में हिंदू संगठनों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया और संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की हैं। वहीं पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर तोड़े जाने की घटना पर चिंता जताई है। पाकिस्तान के चीफ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के चीफ सेक्रेटरी को घटना स्थल पर जाने के आदेश दिए हैं व 4 जनवरी तक जांच रिपोर्ट देने को कहा है एंव सुप्रीम कोर्ट ने पहले मंदिर को दोबारा बनाने के आदेश दिए थे लेकिन वहां की सरकार आदेश को लागू करवाने में असफल रही। बहरहाल यह अब किसी से छुपा नहीं है कि पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ कितने अत्याचार होते हैं और हो रहें हैं। वर्ष 1947 में पाकिस्तान में करीब 1300 मंदिर थे जिनमें से अब मात्र 30 मंदिर बचे हैं व बंटवारे के समय पाकिस्तान की कुल आबादी में 15 प्रतिशत हिंदू थे, जो 1998 में घटकर 1.6 प्रतिशत हो गए और इसके बाद तो पाकिस्तान ने धर्म के आधार पर जनसंख्या के आंकड़े देने बंद ही कर दिए ताकि उसकी उत्पीड़न की कहानी देश के सामने न आ पाए लेकिन आखिर में यही सवाल उठता है कि आखिरकार कब तक पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ अत्याचार होता रहेगा?