हवाओं में घुल रहा ज़हर
-By Nidhi Jain
देश को जिस तरह से एक के बाद एक आपदाओं का सामना करना पढ़ रहा हैं ठीक उसी तरह भारत में प्रदूषण भी अपने चरम पर जाता जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदूषण नियंत्रण करना सिर्फ सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है, सरकार ही दूषित हवा को साफ करने का काम अकेले करे यह रूख नहीं चल सकता, जहां हम रहते है वहां की हर चीज की देखरेख करना हमारा ही कर्तव्य है, इसलिए हमें खुद बढ़ते प्रदूषण के रोकथाम के लिए सख़्त कदम उठाने होगे व प्रदूषण पर नियंत्रण हमारी सामुहिक जिम्मेदारी हैं। जैसे अब हम अपनी दिनचर्या व्यतीत करने के लिए हर एक दूसरी चीज पर निर्भर रहते है ठीक उसी तरह अगर हमने बढ़ते वायु प्रदूषण पर रोक नहीं लगाई तो एक न एक दिन हमें साफ हवा में जीवन जीने के लिए हवा की खरीदारी भी करनी पढ़ सकती हैं। हालांकि दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए सड़कों के किनारे खासकर धूल के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह पूरी दिल्ली में पेड़ों पर और जगह-जगह सड़क के किनारे और साइट पर पानी का छिड़काव करें ताकि उससे प्रदूषण कुछ कम हो व दिल्ली के लोगों को साफ व स्वच्छ हवा मिल सके। बहरहाल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गत साल मई में प्रदूषित शहरों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। जिस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के टॉप 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत के ही शहर हैं व सबसे भयावह यह है कि उन टॉप 10 में से 9 हमारे शहर ही हैं। ड़ब्लूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इन शहरों में पीएम 2.5 की सालाना सघनता सबसे ज्यादा है। पीएम 2.5 प्रदूषण में शामिल वो सूक्ष्म तत्व होता हैं जिसे मानव शरीर के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के हर 10 में से 9 लोग काफी प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं एंव हर साल घर के बाहर और घरेलू वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में 70 लाख लोगों की मौत होती है व अकेले बाहरी प्रदूषण से 2016 में मरने वाले लोगों की संख्या 42 लाख के करीब थी, जबकि घरेलू वायु प्रदूषणों से होने वाली मौतों की संख्या 38 लाख है। वहीं वायु प्रदूषण के कारण हार्ट संबंधित बीमारी, सांस की बीमारी और अन्य बीमारियों से मौत होती है। उल्लेखनीय है कि ठंड का मौसम आते ही प्रदूषण का विकराल रूप हमारे शहरों में दिखने लगता है। जिससे कई लोगों को तकलीफ होती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से वर्ष 2019 में प्रदेश में 1 लाख 12 हजार लोगों की असमय मौत हुई थी। जिसमें 54101 मौतें घर के अंदर प्रदूषित हवा की वजह से हुई थी, वहीं बाहरी प्रदूषण के कारण 53201 लोगों की जान चली गई थी और मध्य प्रदेश में ओजोन गैस की वजह से भी 10832 मौतें हुई हैं। प्रदूषण के कारण राज्यों की अर्थव्यवस्था और लोगों की सेहत को नुकसान हुआ है। लोगों की अचानक और बेवक्त हुई मौतों पर राज्य सरकार ने जो खर्च किया है उससे जीडीपी के ऊपर भी असर पड़ा है। दूषित हवा की वजह से मध्य प्रदेश को 1449 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हमारे घर का प्रदूषण बाहर के प्रदूषण से ज्यादा खतरनाक है। कच्चे मकान, झुग्गी बस्ती, बिना वेंटिलेशन वाले खराब इंफ्रास्ट्रक्चर के मकानों में पैदा होने वाला प्रदूषण उसमें रहने वालों को पूरी तरह बीमार कर देता है। प्रदेश में काफी बड़े इलाके में अब भी ठोस ईंधन जैसे कोयला, लकड़ी, गोबर के कंडे, चारकोल, फसलों की नरवाई जलाने से हाउसहोल्ड प्रदूषण पैदा होता है। जो धीरे-धीरे करके लोगों की जान तक ले लेता हैं। वायु प्रदूषण से लोअर रेस्पिरेटरी इंन्फेक्शन, फेंफड़ों का कैंसर, हार्ट डिसीज, स्ट्रोक और टाइप-2 डायबिटीज जैसी कई गंभीर बीमरियां होती हैं। हालांकि प्रदेश में एम्बिएंट एयर पॉल्युशन लगातार बढ़ रहा है। जो बेहद चिंताजनक है। और अगर पराली जलाए जाने या अन्य कारकों से प्रदूषण इसी तरह बढ़ता रहा तो, हर साल की तरह स्थिति विनाशक हो जाएगी। अवशय ही कोरोना, प्रदूषण और शीतकाल का दुर्योग जानलेवा बन सकता है, मौतों का आंकड़ा दोगुनी रफ्तार पकड़ सकता है। यदि संभावित खतरे के प्रति समय रहते सचेत नहीं हुआ गया तो मुसीबतें ओर बढ़ सकती है। जहरीली हवा के सेवन से बचने के लिए सभी को मिलजुलकर प्रयास करना होगा और क्या लोगों को इस बात का अंदाजा है कि यह प्रदूषण आने वाले समय में कितनी बड़ी कीमत लेगा, अगर प्रदूषण ऐसे ही बढ़ता रहा तो अवशय ही यह दूषित हवा आने वाली पीढ़ियों को जीने से पहले ही मार देगी। बेशक़ प्रदूषण इस धरती पर मानव ने बढ़ाया है, लेकिन अब प्रदूषण कम करने की भी कसम खानी पढ़ेगी वइस धरती पर सबसे अधिक प्रदूषण इंसान करता है तो इसलिए प्राकृतिक आपदा और बीमारियों से इंसान ही पीड़ित रहता है। एक इंसान जितना प्रदूषण करता है, उस प्रदूषण को 10 पेड़ खत्म कर सकते है, इसलिये हर इंसान को कम से कम दस पेड़ लगाने चाहिए।