किसान त्रस्त

 -by Nidhi jain 


कोरोना वायरस के सुरक्षा उपायों के बीच देश की राजधानी दिल्‍ली में 72वीं गणतंत्र दिवस परेड में बीते दिनों कुछ चीजें पहली बार देखने को मिलीं, इसमें केंद्र शासित क्षेत्र लद्दाख की झांकी और कोविड-19 की महामारी पर केंद्रित झांकी सबके बीच चर्चा का विषय बनीं। कोरोना महामारी के बीच इस बार की छोटी और कम प्रतिभागियों वाली परेड और कम मेहमान के बीच इन झांकियों में भारत की संस्‍कृति और क्षमता का चित्रण देखने को मिला। वर्ष 2020 में देश सहित पूरी दुनिया ने कोरोना संक्रमण की महामारी का सामना किया, इसकी झांकी भी इस बार परेड में दिखाई दी। हालांकि यह देश में विकसित की गई कोरोना वैक्‍सीन के लिए भी जाना जाएगा। गौरतलब है कि जहां देश में गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया जा रहा था तो वहीं दूसरी तरफ किसान आंदोलन ने देश के अहम दिन को शर्मसार साबित कर दिया। बेशक यह किसान आंदोलन आंदोलन नही रहा बल्कि आरजकता में तब्दील हो गया था। उर्ग किसानों ने दिल्ली में लाल क़िले के ऊपर चढ़कर प्रदर्शन किया व उत्पात कंट्रोल से बाहर हो गया था। बहरहाल यह जय जवान- जय किसान कहने वाला देश है लेकिन जवानों की किसानों पर लाठी बरसाने और किसानों की जवानों के ऊपर ट्रैक्टर चलाने की तस्वीरें देश को शर्मसार करने वाली हैं। शांतिपूर्ण आंदोलन की बात करने वाले अब कहेंगे की यह हमारे संगठन के लोग नहीं हैं लेकिन पत्थरबाज़ी, लाठी चार्ज, आसू गैस के गोले और तलवार वाला शांतिपूर्ण आंदोलन आज पहली बार देश ने गणतंत्र दिवस के दिन देखा। आलम तो यह है कि 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान हिंसा में करीब 400 पुलिसवाले जख्मी हुए थे। लाल किले में घुसे आंदोलनकारियों ने धार्मिक झंडा फहराया था। जिस मसले में पुलिस ने अब ऐक्शन शुरू किया है। दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च के दौरान हुई हिंसा में बड़ा खुलासा हुआ है कि इसमें खालिस्तानी हाथ होने के सबूत मिले हैं। दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक, खालिस्तानी समर्थकों के ट्विटर हैंडल से हिंसा की पूरी साजिश रची गई थी और अब तमाम खालिस्तानी समर्थकों के ट्विटर हैंडल दिल्ली पुलिस की रडार पर हैं। उल्लेखनीय है कि ऐसा सभी ट्विटर हैंडल्स की पहचान करके उनके कंटेंट को डंप किया जा रहा है। ये ट्विटर हैंडल कहां, कब और किसने बनाए ये तमाम डीटेल निकाली जा रही हैं क्योंकि ऐसे ट्विटर हैंडल्स में कई भड़काऊ पोस्ट मिले हैं। गणतंत्र दिवस पर लाल किला में हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने दो कांस्टेबलों से दो मैग्जीन के साथ 20 कारतूस, दंगा रोधी उपकरण भी छीन लिए और वाहनों को नुकसान पहुंचाया। घटना को लेकर दर्ज प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया है कि उत्तरी दिल्ली में कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इसमें कहा गया है कि लाल किला पर हिंसा के दौरान 141 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे। प्राथमिकी के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने बंदूकें भी छीनने का प्रयास किया परन्तु दोनों कांस्टेबल अपना हथियार सुरक्षित रख पाने में कामयाब रहे। हालांकि, वह मैग्जीन नहीं बचा सके। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 186, धारा 353, 308, 152, 397 और 307 यानी हत्या के प्रयास के तहत आरोप लगाए हैं। हालांकि राकेश टिकैत के रोने से पूरा मामला बदल चुका है क्योंकि उनहोंने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा और जब तक पानी गांव से नहीं आएगा वो कुछ खाएगे नहीं लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ‌से बातचीत कर राकेश टिकैत ने पानी उपलब्ध कराने की मांग की है परन्तु किसानों का फैसला है कि वह गाजीपुर में ही बैठेंगे। कुल मिलाकर एक बात यह है कि जब उत्पीड़न पर रोक लगेगी तो उपद्रव स्वयं रुक जाएगा लेकिन इसके लिए लोकतंत्र का सही इस्तेमाल की जरूर है जिसका अधिकांश सगंठन अब तक गलत उपयोग करते आए हैं।

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