बेजुबान परिंदो की मौत
देश में कोरोना वायरस का संक्रमण अभी खत्म भी नहीं हुआ है कि अब पक्षियों के मरने की खबरों ने हर किसी को चिंता में डाल दिया है। हालांकि पक्षियों के मरने को लेकर अलग-अलग राज्यों से आ रही खबरों के बाद अब उन्हें बचाने की कवायद तेज कर दी गई है। पक्षियों के तेजी से मरने की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है लेकिन हर साल ठंड के मौसम में पशु-पक्षियों की मुसीबत बढ़ जाती है परन्तु इस बार इतनी बढ़ी तादाद में पक्षियों की मरने की खबर अवश्य ही भयावह है। पिछले दिनों कई राज्यों में कौओं की रहस्यमयी मौत ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी थी। बहरहाल पक्षियों की मौत के पीछे बर्ड फ्लू की आशंका जताई जा रही है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। इसलिए पक्षियों की मौत अभी तक रहस्य ही बना हुआ है। हिमाचल प्रदेश स्थित पोंग डैम इलाके में 1,400 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत हुई है। पोंग डैम इलाके में मारे गए पक्षियों की मौत के कारण का पता लगाने के लिए भोपाल स्थित हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज लैब में सैंपल भेजे गए हैं व जल्द ही पक्षियों की मौत का कारण सामने आ सकता है। वहीं भारत में हजारों मील का सफर कर हर साल प्रवासी पक्षी आते हैं एंव मध्य प्रदेश में इंदौर के एक निजी कॉलेज परिसर में मृत पाए गए 100 से ज्यादा कौओं में से 2 की जांच में एच-5 एन-8 वायरस पाया गया है। एच-5 एन-8 वायरस का घातक असर अब तक केवल वाइल्ड वर्ड पर ही देखा गया है लेकिन, अब इस वायरस का लोगों पर प्रभाव का भी अध्ययन किया जा रहा है। गुजरात में भी 53 पक्षी मृतक पाए गए हैं। वहां पक्षियों की मौत के पीछे बर्ड फ्लू की आशंका जताई जा रही है। वैसे अभी तक बर्ड फ्लू की आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। राजस्थान के जयपुर समेत 7 जिलों में 24 घंटों में 135 और कौओं की मौत हो गई है। वहीं, पिछले एक सप्ताह में प्रदेश के विभिन्न इलाकों में करीब 400 से ज्यादा कौओं की मौत को देखते हुए वन, पशुपालन और चिकित्सा विभाग सतर्क और हैरान है। गौरतलब है कि जिस तरह देश में एक के बाद एक आपदाएं आ रही हैं जिनसे लोग बुरी तरह त्रस्त हो चुके हैं न जाने कब उनसे हमें छुटकारा मिलेगा। गत वर्ष लोगों को एक के बाद एक परेशानी झेलनी पड़ी थी और अब जब नए साल का आरंभ हुआ है तो नए साल के पहले ही सप्ताह में परेशानियां आरंभ हो रही हैं, जिनसे लोग चिंतित हैं।