बंदरों के शरीर से किया वायरस का सफाया
भारत में कोविड़-19 का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। वायरस अपना विकराल रूप धारण करता जा रहा है संक्रमितों के आंकड़े रोजाना बरते जा रहे हैं परन्तु इसी बीच सबकी निगाहें बस एक चीज पर ही टिकी हुई है कि कोरोना वैक्सीन कब बन कर तैयार होगी क्योंकि वैक्सीन आने के बाद या कोरोना का संक्रमण खत्म होने के बाद ही लोगों की जिंदगी पहले की ही तरह वापिस से पटरी पर दौड़ेगी। बहरहाल, भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन यानी कोवैक्सिन का जानवरों पर ट्रायल सफल रहा है। कंपनी ने हालही में ऐलान किया है कि कोवैक्सिन ने बंदरों में वायरस के प्रति ऐंटीबॉडीज विकसित की है मतलब लैब के अलावा जीवित शरीर में भी यह वैक्सीन कारगर रही है, और इससे यह साबित हो गया है कि बंदरों पर स्टडी के नतीजों से वैक्सीन की इम्युनोजीनिसिटी यानी प्रतिरक्षाजनकता का पता चलता है। वैसे भारत बायोटेक ने खास तरह के बंदरों यानी लघुपुच्छ वानर को वैक्सीन की डोज दी थी। और इस वैक्सीन का भारत में अलग-अलग जगहों पर फेज एक क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है। व सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने इसी महीने भारत बायोटेक को फेज दो ट्रायल की अनुमति दी है। तथा भारत बायोटेक ने बीस बंदरों को चार समूहों पर बांटकर रिसर्च किया था। एंव एक ग्रुप को प्लेसीबो दिया गया था जबकि बाकी तीन ग्रुप्स को तीन अलग-अगल तरह की वैक्सीन पहले और 14 दिन के बाद दी गई थी। व दूसरी डोज देने के बाद, सभी बंदरों को SARS-CoV-2 से एक्सपोज कराया गया। और वैक्सीन की पहली डोज दिए जाने के तीसरे हफ्ते से बंदरों में कोविड के प्रति रेस्पांस डेवलप होना शुरू हो गया था। जिससे वैक्सीन पाने वाले किसी भी बंदर में निमोनिया के लक्षण नहीं मिले। जो कि उत्साहवर्धक नतीजों है। वैसे कोवैक्सिन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आइसीएमआर और नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी यानी एनआईवी व भारत बायोटेक ने मिलकर डेवलप किया है। एंव भारत बायोटेक ने 29 जून को ऐलान किया था कि उसने वैक्सीन तैयार कर ली है। तथा आइसीएमआर भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की एक इनऐक्टिवेटेड वैक्सीन है। और यह उन कोरोना वायरस के पार्टिकल्स से बनी है जिन्हें मार दिया गया था ताकि वह इन्फेक्ट न कर पाएं। वैसे कोविड का यह स्ट्रेन पुणे की एनआइवी लैब में आइसोलेट किया गया था। जिसकी डोज से शरीर में वायरस के खिलाफ ऐंटीबॉडीज बनती हैं।
गौरतलब है कि, भारत में बनी पहली कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन का फेज एक ट्रायल 15 जुलाई 2020 से शुरू हुआ था। व देशभर में 17 लोकेशंस पर फेज एक ट्रायल हुए। कोवैक्सिन ट्रायल की सारी डिटेल्स आइसीएमआर को भेजी जाएंगी क्योंकि वहीं पर पूर्ण डेटा को एनलाइज किया जा रहा है। तथा दिल्ली स्थित एम्स में कोवैक्सिन का फेज 2 ट्रायल शुरू हो गया है। व रेवाड़ी के गावं खरखड़ा निवासी प्रकाश यादव को वैक्सीन की पहली डोज भी दे दी गई है। व उन्हें 0.5ml की डोज देने के बाद दो घंटे तक ऑब्जर्वेशन में रखा गया। और डॉक्टर अगले सात दिन तक उनके टच में रहेंगे। और 28 दिन बाद प्रकाश को दूसरी डोज दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि, भारत में कम से कम सात कंपनियां यानी Bharat Biotech, Zydus Cadila, Serum Institute, Mynvax Panacea Biotec, Indian Immunologicals और Biological E कोरोना वायरस की अलग-अलग वैक्सीन पर काम कर रही हैं। व सीरम इंस्टिट्यूट ने ऑक्सफर्ड वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया है जबकि बाकी जारी हैं। वैसे तो आमतौर पर वैक्सीन डेवलप करने में सालों लगते हैं मगर कोरोना के चलते दुनियाभर के रिसर्चर्स ने युद्धस्तर पर काम किया है। जिसमे कोवैक्सिन के फेज 1 ट्रायल डेटा को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के सामने रखना होगा। और वहीं से फेज 2 ट्रायल की परमिशन मिलेगी जिसमें 750 पार्टिसिपेंट्स होंगे। तीसरी स्टेज में हजारों वालंटियर्स शामिल होंगे। भारत बायोटेक को उम्मीद है कि उसकी वैक्सीन अगले साल की पहली तिमाही तक उपलब्ध हो जाएगी। लेकिन जब तक वैक्सीन नहीं आती तब तक यह आवश्यक है कि हम सतर्क रहें।