तथ्य को बचाने के लिए अनिवार्य है टाइम कैप्सूल

-By Nidhi Jain

राम इस धरती पर सबसे ज्यादा पूजे जानें वाले भगवानों में से एक हैं। वो एक ऐसे भगवान है जो राजा, संत व संतो के भी राजा है, राजाओं के भी संत है। वो ऐसे भगवान है, जिन्होने अपनी मां को दिया पिता का वचन निभाने के लिए 14 साल के लिए वन भी चले गए थे। उन्होंने अपना राज ऐसे छोड़ा जैसे कि उन्होंने कुछ छोड़ा ही ना हो। वो इकलौते ऐसे राजा थे, जिन्हे राज पाने का कोई भी अभिमान नहीं था। गौरतलब है कि, रामजन्मभूमि के इतिहास को सिद्ध करने के लिए जितनी लंबी लड़ाई कोर्ट में राम मंदिर को लेकर लड़ी गई है, शायद ही ऐसी कोई ओर लंबी लड़ाई कोर्ट में लड़ी गई होगी। जिसमें इतने वर्ष लगें हो। अयोध्या में राम मंदिर को लेकर सालों से काफी विवाद चल रहा था, लेकिन अब इस वर्ष इस बात पर मुहर लग चुकी है कि, अयोध्या में अब राम मंदिर ही बनेगा। जिसका नया स्वरूप भी आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले पांच अगस्त को राम मंदिर की अयोध्या में आधारशिला रखेंगे, जिसके बाद से ही मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा।
बहरहाल, भविष्य में अगर कोई भी रामजन्मभूमी के संघर्ष के इतिहास पर सवाल उत्पन्न करता है या कोई भी विवाद शुरू हो जाता है, तो उसके लिए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। जिसके मुताबिक रामजन्मभूमि के संघर्ष का इतिहास उसके तथ्य के साथ सुरक्षित रहेगा। इसलिए अब राम मंदिर की नींव के दो हज़ार फीट नीचे टाइम कैप्सूल रखा जाएगा ताकि भविष्य में यदि कोई मंदिर के इतिहास का अध्ययन करना चाहे तो उसे राम जन्मभूमि से संबंधित तथ्य मिल सके। वैसे इससे पहले भी टाइम कैप्सूल को देश के विभिन्न स्थानों पर रखा जा चुका है। जिसमें प्रमुख नाम दिल्ली के लाल किला, कानपुर का आईआईटी कॉलेज और कृषि विश्वविद्यालय शामिल है। व पहले अन्य कई देश भी टाइम कैप्सूल का उपयोग कर चुके हैं। तथा इतनी लंबी लड़ाई और कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने के बाद जब अब वह शुभ घड़ी आई है, जब राम नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी तो ऐसे में आवश्यक है कि राम मंदिर से जुड़े तथ्य भी सुरक्षित रहे। 
            बहरहाल, टाइम कैप्सूल एक आकार का कंटेनर होता है, जिसे मुख्य रूप से तांबे के उपयोग से बनाया जाता है। व यह हर तरह के मौसम और तापमान का सामना करने के लिए सक्षम होता है। इसलिए इसे किसी भी ऐतिहासिक स्थल या स्मारक की नींव में काफी गहराई में दफनाया जाता है। ताकि हजारों साल तक यह न तो सड़-गल सकें। और ना ही कोई नुकसान पहुंचा सके। तथा इस कैप्सूल के जरिए भविष्य में किसी भी ऐतिहासिक स्थल या स्मारक की पहचान साबित आसानी से हो सके व उससे जुड़े इतिहास सुरक्षित रह सके इसलिए भी यह कैप्सूल अनिवार्य है। एंव आने वाली पीढ़ी को उस जगह की संबंधित जानकारी और महत्ता देने के लिहाज और भविष्य में किसी भी युग, समाज और देश के बारे में जानने केलिए भी यह टाइम कैप्सूल ज़रूरी है। 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वर्ष 2020 की यादें

कौन भरेगा 814 करोड़ का नुकसान?

अब कावासाकी से भी लड़ना है