कोरोना पर पहली जीत
-By Nidhi Jain
ऑक्सफोर्ड की इस नई कोरोना वायरस वैक्सीन सारस-कोवी2 के उत्साहजनक नतीजों से सीरम इंस्टिट्यूट काफी उत्साहित हैं। क्योंकि सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादकों में शामिल है। उन्होंने भारत के लिए इस वैक्सीन की योजनाओं पर ध्यान से काम किया है। व उन्होंने कहा कि हम इसके ट्रायल के लाइसेंस के लिए भारतीय रेगुलेटर के पास एक हफ्ते में आवदेन भी भेजेंगे और जैसे ही मंजूरी मिल जाएगी, तब भारत में भी इस वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो जाएगा। एंव इसके साथ ही भारत में भी भारी मात्रा में इसका उत्पादन आरम्भ होगा। अगस्त में इसके ह्यूमन ट्रायल की उम्मीद है। तथा सीरम इंस्टीट्यूट और एस्ट्रा जेंका के बीच भारत में वैक्सीन के प्रोडक्शन की पार्टनरशिप भी हो चुकी है। और दूसरे देशों में भी यह साझेदारी क्लीनिकल ट्रायल के फेज-तीन में है। भारत के अलावा दूसरे देशों के लिए भी सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन की डोज तैयार करेगा।
लैंसेट जर्नल में बीते दिन आई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई कि वैक्सीन कैंडीडेट पर जो ट्रायल हुआ था उसके नतीजों में साफ है कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और शरीर में एक इम्यून रिएक्शन को तैयार करती है। हालांकि अभी सिर्फ दो ही फेज के नतीजे सामने आए हैं। अभी तीसरे फेज के रिरजल्ट्स सामने आने बाकी हैं। वैसे माना जा रहा है कि, जल्द ही इन नतीजों को भी सामने लाया जाएगा। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन को एक हजार से भी अधिक लोगों पर ट्रायल किया था। जिसमें वैक्सीन के इंजेक्शन से इन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण हुआ है। ट्रायल में 18 से 55 साल के लोगों को शामिल किया गया था। इसके अलावा, इस वैक्सीन से शरीर की टी-कोशिकाओं में एक प्रतिक्रिया होती है,जो कोरोना वायरस से लड़ने में बहुत हद तक मदद करता है। ट्रायल के परिणामों के मुताबिक, क्लीनिकल ट्रायल के पहले चरण में AZD1222 टीके के नतीजे सकारात्मक रहे हैं। व किसी भी तरह के गंभीर साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिले हैं। यकीनन, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की यह सफलता काफी उम्मीद जगाती है।